आंदोलन का 16वां दिन: कृषि मंत्री ने कहा, उन लोगों की टिप्पणी हमारे पास नहीं आई, गतिरोध तोड़ना चाहिए

किसान आंदोलन 16वें दिन भी जारी है। वहीं दूसरी ओर दिल्‍ली पुलिस के मुताबिक, सिंघु बॉर्डर पर तैनात दो आईपीएस अधिकारी कोविड-19 पॉजिटिव टेस्‍ट हुए हैं। डीसीपी गौरव और अतिरिक्त डीसीपी घनश्याम बंसल कोरोना संक्रमित हैं।

नई दिल्ली. किसान आंदोलन 16वें दिन भी जारी है। वहीं दूसरी ओर दिल्‍ली पुलिस के मुताबिक, सिंघु बॉर्डर पर तैनात दो आईपीएस अधिकारी कोविड-19 पॉजिटिव टेस्‍ट हुए हैं। डीसीपी गौरव और अतिरिक्त डीसीपी घनश्याम बंसल कोरोना संक्रमित हैं। उन्हें आइसोलेशन में रखा गया है। किसानों को दिल्ली आने से रोकने के लिए सिंघु बॉर्डर पर दो हफ्ते से अधिक समय से भारी पुलिस बल तैनात किया गया है। सिंघु बॉर्डर पर सैकड़ों किसानों और भारी पुलिस की तैनाती ने कोरोनोवायरस के लिए भीड़भाड़ वाला हॉटस्पॉट बना दिया है। इससे पहले गृह मंत्रालय ने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से आग्रह किया था कि यह सुनिश्चित करें कि विरोध प्रदर्शन के दौरान कोरोनोवायरस के दिशानिर्देशों का पालन हो। 

कृषि मंत्री ने कहा,किसानों की तरफ से बातचीत का कोई प्रस्ताव नहीं आया

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कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा, प्रस्ताव उनके(किसानों) पास है, उन लोगों की टिप्पणी हमारे पास नहीं आई। मीडिया के माध्यम से पता चलता है कि उन्होंने प्रस्ताव को खारिज कर दिया। अभी उनकी तरफ से बातचीत का कोई प्रस्ताव नहीं आया है, जैसे ही प्रस्ताव आएगा हम बातचीत के लिए तैयार हैं। किसान आंदोलन के दौरान यूनियन के साथ छह दौर की बातचीत हुई। सरकार का लगातार आग्रह था कि कानून के वो कौन से प्रावधान हैं जिन पर किसान को आपत्ति है, कई दौर की बातचीत में ये संभव नहीं हो सका। मैं किसान यूनियन के लोगों को कहना चाहता हूं कि उन्हें गतिरोध तोड़ना चाहिए। सरकार ने आगे बढ़कर प्रस्ताव ​दिया है, सरकार ने उनकी मांगों का समाधान करने के लिए प्रस्ताव भेजा है। किसी भी कानून में प्रावधान पर आपत्ति होती है, प्रावधान पर ही चर्चा होती है। प्रस्ताव में हमने उनकी आपत्तियों का निराकरण करने की कोशिश की है। उन्हें आंदोलन समाप्त करके वार्ता का रास्ता अपनाना चाहिए। 

पीएम मोदी ने किया ट्वीट

गुरुवार को कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की प्रेस कॉन्फ्रेंस का लिंक शेयर करते हुए पीएम मोदी ने लिखा, मंत्रिमंडल के मेरे दो सहयोगी नरेंद्र सिंह तोमर जी और पीयूष गोयल जी ने नए कृषि कानूनों और किसानों की मांगों को लेकर विस्तार से बात की है। इसे जरूर सुनें।

गुरुवार को सिंघु बॉर्डर  की रेड लाइट पर धरने पर बैठे किसानों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली गई। किसानों पर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन ना करने और महामारी एक्ट और अन्य धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया गया।

किसान आंदोलन पर कृषि मंत्री की बड़ी बातें 

  1. मंडी के किसानों को सरकार मुक्त करना चाहती थी ताकि वे अपनी उपज कहीं भी किसी भी कीमत पर मंडी के दायरे से बाहर बेच सकें। 
  2. हमने किसानों के लिए एक प्रस्ताव भेजा। वे चाहते थे कि कानूनों को निरस्त किया जाए। सरकार उन प्रावधानों पर खुली विचार-विमर्श के लिए तैयार है जिनके खिलाफ उन्हें आपत्ति है। 
  3. कानून APMC या MSP को प्रभावित नहीं करते हैं। हमने किसानों को यह समझाने की कोशिश की।
  4. हम लोगों को लगता था कि कानूनी प्लेटफॉर्म का फायदा लोग अच्छे से उठाएंगे। किसान महंगी फसलों की ओर आकर्षित होगा। नई तकनीक से जुड़ेगा। बुआई के समय ही उसको मुल्य की गारंटी मिल जाएगी। 
  5. MSP पर हम किसानों को लिखित आश्वासन देने के लिए तैयार हैं। 
  6. वार्ता के दौरान, कई लोगों ने कहा कि कृषि कानून अवैध हैं क्योंकि कृषि राज्य विषय है और केंद्र इन कानूनों को लागू नहीं कर सकता है। हमने स्पष्ट किया, हमारे पास व्यापार पर कानून बनाने का अधिकार है और यह उन्हें समझाया गया है। APMC और MSP इससे प्रभावित नहीं हैं। 
  7. अनुमान लगाया जा रहा है कि किसानों की जमीन पर उद्योगपतियों का कब्जा होगा। गुजरात, महाराष्ट्र, हरियाणा, पंजाब, कर्नाटक में लंबे समय से कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग चल रही है, लेकिन ऐसा कभी नहीं हुआ। 
  8. किसानों की भूमि पर किसी भी पट्टे या समझौते का कोई प्रावधान नहीं है। कृषि मंत्री ने कहा, पूरे देश ने देखा है कि स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट 2006 में आई थी, उत्पादन की लागत का 1.5 गुना एमएसपी के बारे में सिफारिश तब तक लंबित रही जब तक कि मोदी सरकार ने इसे लागू नहीं किया। 

  1. 1- किसान उपज व्‍यापार एवं वाणिज्‍य (संवर्धन एवं सुविधा) विधेयक, 2020  (The Farmers Produce Trade and Commerce (Promotion and Facilitation) Bill 2020)

    अभी क्या व्यवस्था- किसानों के पास फसल बेचने के ज्यादा विकल्प नहीं है। किसानों को एपीएमसी यानी कृषि उपज विपणन समितियों  में फसल बेचनी होती है। इसके लिए जरूरी है कि फसल रजिस्टर्ड लाइसेंसी या राज्य सरकार को ही फसल बेच सकते हैं। दूसरे राज्यों में या ई-ट्रेडिंग में फसल नहीं बेच सकते हैं।

    नए कानून से क्या फायदा- 
    1- नए कानून में किसानों को फसल बेचने में सहूलियत मिलेगी। वह कहीं पर भी अपना अनाज बेच सकेंगे। 
    2- राज्यों के एपीएमसी के दायरे से बाहर भी अनाज बेच सकेंगे। 
    3- इलेक्ट्रॉनिग ट्रेडिंग से भी फसल बेच सकेंगे। 
    4- किसानों की मार्केटिंग लागत बचेगी। 
    5- जिन राज्यों में अच्छी कीमत मिल रही है वहां भी किसाने फसल बेच सकते हैं।
    6- जिन राज्यों में अनाज की कमी है वहां भी किसानों को फसल की अच्छी कीमत मिल जाएगी।

    2- किसानों (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) का मूल्‍य आश्‍वासन अनुबंध एवं कृषि सेवाएं विधेयक, 2020 (The Farmers (Empowerment and Protection) Agreement of Price Assurance and Farm Services Bill 2020)

    अभी क्या व्यवस्था है- यह कानून किसानों की कमाई पर केंद्रित है। अभी किसानों की कमाई मानसून और बाजार पर निर्भर है। इसमें रिस्क बहुत ज्यादा है। उन्हें मेहनत के हिसाब से रिटर्न नहीं मिलता। 

    नए कानून से क्या फायदा- 
    1- नए कानून में किसान एग्री बिजनेस करने वाली कंपनियों, प्रोसेसर्स, होलसेलर्स, एक्सपोर्टर्स और बड़े रिटेलर्स से एग्रीमेंट कर आपस में तय कीमत में फसल बेच सकेंगे। 
    2- किसानों की मार्केटिंग की लागत बचेगी। 
    3- दलाल खत्म हो जाएंगे।
    4- किसानों को फसल का उचित मूल्य मिलेगा।
    5- लिखित एग्रीमेंट में सप्लाई, ग्रेड, कीमत से संबंधित नियम और शर्तें होंगी। 
    6- अगर फसल की कीमत कम होती है, तो भी एग्रीमेंट के तहत किसानों को गारंटेड कीमत मिलेगी। 

    3- आवश्‍यक वस्‍तु (संशोधन) विधेयक, 2020 (The Essential Commodities (Amendment) Bill 

    अभी क्या व्यवस्था है- अभी कोल्ड स्टोरेज, गोदामों और प्रोसेसिंग और एक्सपोर्ट में निवेश कम होने से किसानों को लाभ नहीं मिल पाता। अच्छी फसल होने पर किसानों को नुकसान ही होता है। फसल जल्दी सड़ने लगती है।

    नए कानून से क्या फायदा-  
    1- नई व्यवस्था में कोल्ड स्टोरेज और फूड सप्लाई से मदद मिलेगी जो कीमतों की स्थिरता बनाए रखने में मदद मिलेगी। 
    2- स्टॉक लिमिट तभी लागू होगी, जब सब्जियों की कीमतें दोगुनी हो जाएंगी।  
    3- अनाज, दलहन, तिलहन, खाद्य तेलों, प्याज और आलू को आवश्यक वस्तुओं की सूची से हटाया गया है। 
    4- युद्ध, प्राकृतिक आपदा, कीमतों में असाधारण वृद्धि और अन्य परिस्थितियों में केंद्र सरकार नियंत्रण अपने हाथ में ले लेगी।

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