यह है देश का पहला डिजिटल कोर्ट: यहां मुकदमों की पैरवी, सुनवाई से लेकर केस दायर करने तक सबकुछ पेपरलेस
First Digital court of India: डिजिटल इंडिया के हिस्से में एक और उपलब्धि जुड़ गया है। वाशी देश का पहला डिजिटल कोर्ट बन गया है। नवी मुंबई स्थित इस कोर्ट में अब सारे काम डिजिटल होंगे। पेपरलेस हो चुके इस कोर्ट में केस भी ई-माध्यम से ही दायर होंगे।
Dheerendra Gopal | Published : Apr 8, 2023 12:41 PM IST / Updated: Apr 08 2023, 06:51 PM IST
वाशी कोर्ट, महाराष्ट्र के नवी मुंबई में स्थित है। यहां सभी कार्य अब डिजिटल होंगे। इस पहल से आम लोगों को बहुत आसानी से न्याय प्राप्त करने में सुविधा प्राप्त होगी। बॉम्बे हाई कोर्ट के जज गौतम पटेल ने वाशी कोर्ट को पेपरलेस डिजिटल बनाने की सराहना करते हुए कहा कि देश भर की विभिन्न अदालतों में बढ़ते मामले को देखते हुए यह भारतीय न्यायिक प्रणाली के इतिहास में एक मील का पत्थर साबित होगा।
पेपरलेस कोर्ट का अर्थ होता है जहां अदालतें कागजों के बिना काम करती है। पहले चरण में अदालत को पूरी तरह से स्मार्ट कोर्ट में बदल दिया जाता है जिससे जज़ों, वकीलों और याचिकाकर्त्ताओं को दस्तावेज़ों के साथ जूझने से मुक्ति मिलती है। इसके अलावा वकीलों को अदालत में पेश होने और अपने साथ केस की मोटी-मोटी फाइलें लाए बिना बहस करने की अनुमति होगी।
पेपरलेस हुए वाशी कोर्ट में काम की गति बढ़ने के साथ ही कोर्ट्स के कागजों के रखरखाव संबंधी दिक्कतों से भी निजात मिलेगी। इस पहल से अदालतों पर पड़ने वाला बोझ कम होगा। इसके अलावा डिजिटल कोर्ट कि मदद से व्यक्ति बड़ी आसानी से अपना केस ई-फाइल कर सकेगा साथ ही कोर्ट संबंधित अन्य काम जैसे न्यायालय शुल्क या अन्य दस्तावेज जमा करने के लिए कोर्ट नहीं जाना पड़ेगा। व्यक्ति बड़ी आसानी से विभिन्न चैनलों के माध्यम से मामले की स्थिति को ऑनलाइन देख सकेगा।
कोर्ट के पेपरलेस होने से एक तो कागज पर निर्भरता कम होगी। अभी तक देश में ई-फाईलिंग की सुविधा थी, लेकिन वाशी कोर्ट के बाद धीरे-धीरे पूरे देश में डिजिटल फाइलिंग की सुविधा हो जाएगी। डिजिटल अदालत होने से जाहिर है पारदर्शिता को बढ़ावा मिलेगा और लंबित विवादों को जल्दी और कुशलता से निपटाने में मदद मिलेगी ।
केंद्र सरकार ने तकनीक का उपयोग कर न्याय तक पहुंच में सुधार लाने के उद्देश्य से ई-कोर्ट इंटीग्रेटेड मिशन मोड प्रोजेक्ट शुरू किया गया था। लॉकडाउन के दौरान संपूर्ण भारत के न्यायालयों द्वारा 2 करोड़ से अधिक वर्चुअल सुनवाई की गई है। भारत वर्चुअल सुनवाई में विश्व में अग्रणी बन गया है। यातायात अपराधों की सुनवाई के लिए 17 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में 21 वर्चुअल अदालतें स्थापित की गई हैं।