पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की आत्मकथा 'Justice for the Judge' रिलीज हुई है। उन्होंने राममंदिर केस (Ram Mandir), अपने पर लगे यौन शोषण के आरोपों सहित अपने जीवनकाल की कई घटनाओं का बेबाकी से उल्लेख किया है।
नई दिल्ली। दशकों से चले आ रहे श्री राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद केस (Ram Mandir-Babri Masjid case) पर फैसला आने के बाद क्या आप जानते हैं कि सुनवाई कर रहे सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के जजों ने क्या किया था? दरअसल, देश के सबसे विवादित मुद्दे पर फैसला देने के बाद सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन चीफ जस्टिस ने पूरे बेंच को 5स्टार होटल में दावत दी थी। सभी ने सबसे उम्दा शराब भी आर्डर किया। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रहे राज्यसभा सांसद रंजन गोगोई (Ranjan Gogoi) ने इस घटना का अपनी आत्मकथा में जिक्र किया है। तत्कालीन सीजेआई (CJI) ने अपनी ऑटोबायोग्राफी में कई रोचक घटनाओं का जिक्र किया है।
पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की आत्मकथा 'Justice for the Judge' रिलीज हुई है। उन्होंने राममंदिर केस (Ram Mandir), अपने पर लगे यौन शोषण के आरोपों सहित अपने जीवनकाल की कई घटनाओं का बेबाकी से उल्लेख किया है।
राममंदिर केस के फैसले पर क्या लिखा पूर्व सीजेआई ने?
श्री राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद केस पर 9 नवंबर 2019 को सर्वसम्मति से फैसला सुनाया गया था। तत्कालीन चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) रंजन गोगोई ने अपनी आत्मकक्षा में लिखा है कि फैसला सुनाने वाले बेंच के पांचों जज उस दिन एक शानदान होटल में गए और डिनर किया।
गोगोई लिखत हैं कि बेंच के अपने सहकर्मियों को होटल ताज मानसिंह में डिनर के लिए ले गए थे और सबसे अच्छी शराब का भी ऑर्डर दिया था।
पूर्व सीजेआई गोगोई ने लिखा है ''मैं जजों को डिनर के लिए ताज मानसिंह होटल ले गया। हमने चाइनीज खाना खाया और वहां उपलब्ध सबसे अच्छी वाइन की बोतल साझा की, सबसे बड़ा होने के नाते मैंने बिल चुकाया।'' बता दें कि सीजेआई के साथ पांच जजों की संवैधानिक पीठ में एसए बोबडे, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, अशोक भूषण और एस अब्दुल नजीर शामिल थे।
लगे यौन शोषण के आरोपों का भी किताब में जिक्र
पूर्व सीजेआई रंजन गोगोई की आत्मकथा का एक चैप्टर है 'सर्वोच्च आरोप और सत्य के लिए मेरी खोज'। इसमें उन्होंने खुद पर अपनी स्टॉफ द्वारा लगाए गए यौन उत्पीड़न के आरोपों के बारे में लिखा है। उन्होंने लिखा कि जब आरोप सामने आए, तो शनिवार (20 अप्रैल, 2019) को वह सुप्रीम कोर्ट की विशेष बैठक बुलाया और खुद पीठ की अध्यक्षता की।
लिखा है "स्थिति अभूतपूर्व थी। भारत के सर्वोच्च न्यायालय के इतिहास में पहली बार, CJI के खिलाफ इस तरह के आरोप लगाए गए थे। बार और बेंच में लगभग 45 वर्षों में बनी प्रतिष्ठा को नष्ट करने की मांग की गई थी। बेंच पर मेरी उपस्थिति, जिसे टाला जा सकता था, एक आरोप द्वारा क्षण भर में उत्पन्न आक्रोश की अभिव्यक्ति थी जो विश्वास और समझ से परे थी।"
हालांकि, बेंच में मौजूदगी के बावजूद उन्होंने "इन रे: मैटर ऑफ ग्रेट पब्लिक इम्पोर्टेंस टचिंग ऑन द इंडिपेंडेंस ऑफ द ज्यूडिशियरी" शीर्षक वाले मामले में आदेश पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया। बुधवार को पुस्तक विमोचन के मौके पर गोगोई ने कहा कि उन्हें उस पीठ का हिस्सा होने का खेद है। उन्होंने कहा, “मुझे बेंच में जज नहीं होना चाहिए था। मैं बेंच का हिस्सा न होता तो शायद अच्छा होता। हम सभी गलतियां करते हैं। इसे स्वीकार करने में कोई बुराई नहीं है।'
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