अरुण जेटली एम्स में भर्ती: उप राष्ट्रपति ने कहा- उनकी हालात स्थिर, सेहत में सुधार हो रहा

 पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली की शुक्रवार को तबीयत बिगड़ गई। जेटली सुबह 11 बजे एम्स में चेकअप कराने पहुंचे थे, जिसके बाद उन्हें भर्ती कर लिया गया। गृह मंत्री अमित शाह और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन जेटली को देखने एम्स पहुंचे।

नई दिल्ली. पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली की शुक्रवार को तबीयत बिगड़ गई। जेटली सुबह 11 बजे एम्स में चेकअप कराने पहुंचे थे, जिसके बाद उन्हें भर्ती कर लिया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडू, लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन जेटली को देखने एम्स पहुंचे। जानकारी के मुताबिक, अरुण जेटली को कमजोरी और घबराहट की शिकायत के बाद भर्ती करवाया गया था। कार्डियोलॉजी के हेड ऑफ डिपार्टमेंट डॉक्टर वीके बहल की निगरानी में अरुण जेटली का इलाज चल रहा है।

उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने मुलाकात के बाद उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने ट्वीट कर बताया कि अरुण जेटली की हालत अब स्थिर है, उनकी सेहत में सुधार हो रहा है।


जेटली का सॉफ्ट टिश्यू कैंसर का इलाज चल रहा था। वे इस बीमारी के इलाज के लिए 13 जनवरी को न्यूयॉर्क चले गए थे और फरवरी में वापस लौटे थे। इसी के चलते पिछली सरकार में उन्होंने अंतरिम बजट भी पेश नहीं किया था।


                                                                      पिछले दिनों जेटली की यह तस्वीर सामने आई थी।

जेटली ने मंत्री बनने से इनकार कर दिया था
 मोदी सरकार-2 में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर मंत्री पद लेने से इनकार कर दिया था। मई 2014 में मोदी सरकार बनने के बाद  जेटली को वित्त और रक्षा मंत्रालय का प्रभार दिया गया था। वे 2014 में छह महीने रक्षा मंत्री रहे। बाद में मनोहर पर्रिकर रक्षा मंत्री बनाए गए थे। उनके गोवा का मुख्यमंत्री बनने के बाद जेटली को 2017 में छह महीने के लिए दोबारा रक्षा मंत्री बने थे। बाद में उनकी जगह निर्मला सीतारमण को दी गई थी।

क्या है सॉफ्टटिश्यू सरकोमा?
सरकोमा कैंसर का ही एक प्रकार है, जो कि हडि्डयों या मांसपेशियों जैसे टिश्यू में शुरू होता है। सॉफ्ट टिश्यू सरकोमा के 50 से ज्यादा प्रकार होते हैं। आमतौर पर यह बाजुओं या पैरों में शुरू होता है। कुछ खास रसायनों के संपर्क में आने, रेडिएशन थैरेपी करवाने या कुछ आनुवंशिक रोग होने की वजह से इसका जोखिम बढ़ जाता है।

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