From The India Gate: इधर जीत के बाद उम्मीदों के सहारे चाचा, तो उधर बाबा का टशन देख फूलीं सरकार की सांसें

सियासी गलियारों में परदे के पीछे बहुत कुछ होता है- ओपिनियन, साजिश, सत्ता का खेल और राजनीतिक क्षेत्र में आंतरिक तकरार। एशियानेट न्यूज का व्यापक नेटवर्क जमीनी स्तर पर देश भर में राजनीति और नौकरशाही की नब्ज टटोलता है। पेश है 'फ्रॉम द इंडिया गेट' (From The India Gate) का तीसरा एपिसोड, जो आपके लिए लाया है दलबदल वाले नेताजी से लेकर उम्मीदों के सहारे जी रहे चाचा की कहानी।

Asianet News Hindi | Published : Dec 25, 2022 10:52 AM IST

From The India Gate: सियासी गलियारों में परदे के पीछे बहुत कुछ होता है- ओपिनियन, साजिश, सत्ता का खेल और राजनीतिक क्षेत्र में आंतरिक तकरार। एशियानेट न्यूज का व्यापक नेटवर्क जमीनी स्तर पर देश भर में राजनीति और नौकरशाही की नब्ज टटोलता है। अंदरखाने कई बार ऐसी चीजें निकलकर आती हैं, जो वाकई बेहद रोचक और मजेदार होती हैं। पेश है 'फ्रॉम द इंडिया गेट' (From The India Gate) का तीसरा एपिसोड, जो आपके लिए लाया है दलबदल वाले नेताजी से लेकर उम्मीदों के सहारे जी रहे चाचा की कहानी।

चुनाव में मिली जीत से खुली किस्मत के बाद उम्मीदों के सहारे चाचा..

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उत्तर प्रदेश विधानसभा उपचुनाव के बाद चाचाजी की किस्मत खुल गई है। जिस पार्टी और सम्मान के लिए उन्होंने नेताजी के जीते जी खूब लड़ाई लड़ी आखिरकार उसी पार्टी में उनकी सम्मानजनक वापसी एक उपचुनाव के परिणाम ने करवा दी है। जीत के बाद चाचा अब अगले चुनाव यानी कि लोकसभा 2024 की तैयारी में जुट गए हैं। भले ही उन्हें पार्टी ने अभी कोई बड़ा पद नहीं दिया है लेकिन माना जा रहा है कि आने वाले समय में उनको बड़े तोहफे से नवाजा जा सकता है। इसको लेकर चाचा-भतीजे की बातचीत भी लगभग तय मानी जा रही है और औपचारिक ऐलान ही बचा है। कुछ दिनों तक पहले जो चाचाजी अक्सर भतीजे अखिलेश के खिलाफ ही नजर आते थे वो ही अब उसका गुणगान कर रहे हैं। बता दें कि यूपी उपचुनाव में जैसे ही बहू डिंपल ने मैनपुरी से पर्चा भर चाचा के चरणस्पर्श कर जीत का आशीर्वाद लिया, वैसे ही चाचाजी का पुराना परिवार प्रेम जाग उठा। चाचा ने तुरंत ही पुराने गिले-शिकवे भुलाकर बहू को जीत का आशीर्वाद दिया और उसे सच साबित करने निकल पड़े। चुनाव में बहू डिंपल ने जैसे ही जीत के पुराने रिकॉर्ड तोड़े तो भतीजे अखिलेश को भी चाचा की अहमियत समझ में आ गई। पुरानी भूल को सुधारते हुए उन्होंने जीत का सर्टिफिकेट लेने से पहले ही चाचा के पैर छूकर उन्हें पार्टी में वापस बुला लिया। अब चर्चाएं हैं कि आने वाले दिनों में चाचा को बड़ी जिम्मेदारी भी दी जाएगी।

पुराने घर में गृह प्रवेश को तैयार दलबदल वाले नेताजी!

दलबदल वाले नेता जी फिर से वायरल हो रहे हैं। इनका रिकॉर्ड रहा है कि ये कभी एक 'घर' में स्थायी निवास नहीं करते। जब भी इनको कहीं जाना होता है, तब ये अपने ही लोगों के खिलाफ जंग का एलान कर देते हैं। ये नेता जब पुरानी सरकार में मंत्री रहे, तब अपनों के ही खिलाफ बयानबाजी करते रहे। चुनाव से पहले उन्होंने विपक्षी दल को मजबूत समझकर दलबदल तो कर लिया, लेकिन हासिल कुछ नहीं हुआ। अब चर्चाओं का बाजार गर्म है कि वह अपने पुराने गठबंधन के पास वापस जा सकते हैं। माना जा रहा है कि उनका इस बार का दलबदल लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर होगा। दरअसल, विधानसभा चुनाव से पहले वे जहां गए थे, वहां उनको ज्यादा कुछ इज्जत सम्मान नहीं मिला। इसके चलते अब वो एकबार फिर पुराने खेमे में जाने का प्रयास कर रहे हैं। इनपर आरोप लगा कि इन्होंने अपने दल को चुनाव में हरवाने का प्लान बनाया। चुनाव ही नहीं, चुनाव के बाद भी यह अपने नए साथी को लेकर कई आरोप लगाते रहे हैं। हालांकि, बहुचर्चित नेताजी वापस कब अपने पुराने खेमे में जाएंगे, अभी इसकी कोई आधिकारिक जानकारी नहीं है। लेकिन अंदरखाने चर्चा ये है कि वे डिप्टी सीएम से मुलाकात कर चुके हैं। घंटों तक डिप्टी सीएम से मुलाकात के बाद इन्हें अटल बिहारी वाजपेयी फाउंडेशन का को-चेयरमैन भी नियुक्त कर दिया गया है। 

बाबा के टशन को देख फूल गईं सरकार की सांसें...

बाबा...। राजस्थान में बस नाम ही काफी है। भारतीय जनता पार्टी से जुड़े ऐसे दिग्गज नेता, जिन्हें आता देखकर अच्छे-खासे राजनेता पतली गली पकड़ लेते हैं। इस पूरे साल बाबा ने 27 बार सरकार की नाक में दम करके रख दिया। सरकार को डर था कि राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के दौरान भी बाबा की वजह से कुछ पंगा खड़ा ना हो जाए, इसलिए बाबा को खुश करने के लिए उनके गढ़ में गहलोत सरकार ने जमकर पैसा खर्च कर डाला। सरकार ने बाबा के क्षेत्र को चमकाने के लिए अंदर ही अंदर करीब 20 लाख रुपए लगा दिए। सड़कें बनवा दीं, कैमरे लगवा दिए, समाज के जर्जर भवन को नया कर दिया और फिर इसके बाद बाबा से डील हुई कि वे कोई पंगा नहीं करेंगे। बाबा ने ऐसा ही कुछ किया। खुद के जिले में कोई पंगा नहीं किया लेकिन वो दूसरे जिले में पहुंच गए और राहुल गांधी की यात्रा के अंतिम 3 दिन सरकार को परेशानी में डाल ही दिया। नतीजा ये हुआ कि ये बाबा राहुल गांधी से मुलाकात करके ही माने। ऐसा टशनबाज है ये बाबा।

राजस्थान में इस महिला नेता का बोलबाला...

राजस्थान में राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में एक महिला नेता की खूब चली। राहुल गांधी के साथ वे 5 बार यात्रा में देखी गईं। अक्सर अपनी ही सरकार की खिंचाई करने के कारण चर्चा में रहने वाली इस महिला एमएलए ने अन्य नेताओं की तुलना में राहुल गांधी के साथ ज्यादा कदमताल किया। राजनीतिक गलियारों में चर्चा तो यहां तक है कि कहीं ये मोहतरमा सीएम को ओवरलेप कर राजस्थान की सरकार में कोई बड़ा पद ना हथिया लें। ये महिला नेता पिछले दिनों राहुल गांधी की माताजी सोनिया गांधी के साथ सोशल मीडिया पर सेल्फी शेयर कर सुर्खियां बटोर चुकी हैं। एक मीडिया हाउस तो इन्हें आने वाली कांग्रेस सरकार में सीएम चेहरा तक घोषित कर चुका है। 

केरल में जयराजन vs जयराजन की लड़ाई..

एलडीएफ के संयोजक और पिनराई विजयन के विश्वासपात्र ईपी जयराजन का पार्टी के सभी मंचों से अनुपस्थित रहना इस समय केरल के राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है। पार्टी के कई महत्वपूर्ण इवेंट से ईपी का गायब रहना सीपीएम सचिव के रूप में एमवी गोविंदन की पदोन्नति के खिलाफ एक अप्रत्यक्ष विरोध के रूप में भी देखा जा रहा है। हालांकि, साफतौर पर ये कोई नहीं जानता कि आखिर पर्दे के पीछे पार्टी में चल क्या रहा है। कन्नूर में सीपीएम के मजबूत नेता पी जयराजन ने अपने कजिन और राज्य समिति में उनके समकालीन रहे ईपी जयराजन के खिलाफ भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाकर मामले को और पेचीदा बना दिया है। अपने कम्युनिस्ट एथिक्स (साम्यवादी नैतिकता) के लिए मशहूर पी जयराजन पर आरोप है कि उन्होंने ईपी और उनके बेटे की केरल में एक आयुर्वेदिक रिसॉर्ट प्रोजेक्ट में कथित संलिप्तता का खुलासा किया था। सीपीएम की केंद्रीय समिति ने भी इस पूरी घटना की रिपोर्ट तलब की है। ऐसे में अब हर किसी की नजरें रेफरी की उस जेब पर टिकी हैं, जहां से वो केरल की सबसे पावरफुल जयराजन तिकड़ी में से किसी एक को बाहर का रास्ता दिखाने के लिए रेड कार्ड निकालता है या नहीं।

ये भी देखें : 

From The India Gate: 2 चैनलों, म्यूजिकल चेयर और दो फ्रेम की कहानी..

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