From The India Gate: कहीं भाजपा नेता के अचीवमेंट से खुश हुए कांग्रेसी, तो कहीं सजा की जगह मिल गया प्रमोशन

सियासी गलियारों में परदे के पीछे बहुत कुछ घटता है- ओपिनियन, साजिश, सत्ता का खेल और राजनीतिक क्षेत्र में आंतरिक तकरार। पेश है 'फ्रॉम द इंडिया गेट' का दसवां एपिसोड, जो आपके लिए लाया है पॉलिटिक्स की दुनिया के कुछ ऐसे ही चटपटे और मजेदार किस्से।

From The India Gate: सियासी गलियारों में परदे के पीछे बहुत कुछ होता है- ओपिनियन, साजिश, सत्ता का खेल और राजनीतिक क्षेत्र में आंतरिक तकरार। एशियानेट न्यूज का व्यापक नेटवर्क जमीनी स्तर पर देश भर में राजनीति और नौकरशाही की नब्ज टटोलता है। अंदरखाने कई बार ऐसी चीजें निकलकर आती हैं, जो वाकई बेहद रोचक और मजेदार होती हैं। पेश है 'फ्रॉम द इंडिया गेट' (From The India Gate) का दसवां एपिसोड, जो आपके लिए लाया है, सत्ता के गलियारों से कुछ ऐसे ही मजेदार और रोचक किस्से।

भाजपा नेता के अचीवमेंट से क्यों खुश हैं कांग्रेस वाले?

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राजस्थान के एक दिग्गज सांसद का नाम इन दिनों सोशल मीडिया और अन्य माध्यमों से केंद्र सरकार में मंत्री पद के लिए चल रहा है। ये भाजपा सांसद अगर मंत्री बनाए जाते हैं तो सबसे ज्यादा खुशी राजस्थान सरकार को होगी। दरअसल, सरकार की नाक में नेताजी ने इतना दम कर रखा है कि पूछिए मत। उनका नाम चर्चा में आते ही कांग्रेसी नेता अपना फोन तक बंद कर लेते हैं। दो दिन पहले गहलोत सरकार को नेताजी आंख दिखा चुके हैं। जयपुर मे बड़ा बवाल कर दिया था। बाद में पुलिस अफसरों ने जैसे-तैसे मामले को समेटा। इतना ही नहीं, दो साल के दौरान लगभग हर महीने दो से तीन बार नेता जी किसी न किसी धरने प्रदर्शन को लेकर सरकार के माथे पर सिकन डालते ही रहे हैं। इनके पास इतनी मेन पावर है कि सरकार को उनके आगे अपना रुख नर्म करना ही पड़ता है। अब अगर ये दिल्ली रवाना हो जाएंगे तो कांग्रेसवालों का खुश होना लाजमी है।

दुखी हैं भाजपा वाले नेता, आखिर क्यों?

राजस्थान भाजपा के कई दिग्गज नेता दुखी हैं। दुख ऐसा कि किसी से शेयर भी नहीं कर सकते। पूरा मसला है जयपुर में आयोजित हुई भाजपा नेता के बेटे की शादी का। दरअसल, शादी में राजस्थान के 20 से ज्यादा बड़े नेताओं के शामिल होने की सूची बनी थी। बाद में पता चला कि लिस्ट में मौजूद 3 नेताओं को छोड़कर बाकी के नाम उड़ा दिए गए। जयपुर के सिर्फ 2 नेता ही शादी में नजर आए, बाकियों का पता नहीं चला। अब वे अपना दुख किसी को बता भी नहीं पा रहे हैं। अंदरखाने चर्चा है कि एक नेताजी ने सबका नाम कटवा दिया।

स्वामी ने पार्टी को दिया बड़ा प्रसाद!

इन दिनों बिहार से लेकर यूपी तक रामचरित मानस की चर्चा है। विपक्ष के एक नेताजी ने भी बीते दिनों मानस पर बयान देकर पार्टी की मुश्किलें बढ़ा दीं। चर्चा यह है कि नेताजी ने पार्टी को मुसीबतों का यह तोहफा जानबूझकर दिया है। दरअसल, नेताजी पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बनने की जुगाड़ में थे। इसी वजह से वो पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के साथ कदमताल मिलाते नजर आ रहे थे। हालांकि, जब उन्होंने अपनी इस ख्वाहिश को अध्यक्ष जी के सामने रखा तो उन्हें जोर का झटका जोर से लगा। अब नेताजी करें तो करें क्या। आखिरकार उन्होंने भी पार्टी को एक बड़ी समस्या में डाल दिया। नेताजी खुद चाह रहे हैं कि उनके खिलाफ पार्टी कोई एक्शन ले।

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सजा की जगह साहब को मिल गया प्रमोशन...

लखनऊ में बीते दिनों एक अधिकारी खासा चर्चाओं में रहे। कारण था पत्रकार से अभद्रता। आईपीएस अधिकारी की इस हरकत पर उप मुख्यमंत्री ने भी सख्त एक्शन लिए जाने की बात कह डाली थी। हालांकि, परिणाम उसके अपोजिट आया। अधिकारी के प्रमोशन का आदेश बीते दिनों जारी किया गया। इस आदेश के बाद तमाम पत्रकार संगठनों के लोग खुद को ठगा महसूस करने लगे। आलम यह है कि अभद्रता करने वाला अधिकारी अभी भी पद पर तैनात है।

डैमेज कंट्रोल में जुटी आप...

आम आदमी पार्टी की केरल ब्रांच इन दिनों एक अजीबोगरीब दिक्कत का सामना कर रही है। आप के राष्ट्रीय नेतृत्व, जिन्होंने केरल में कई पदाधिकारियों को पद से हटा दिया था, अब तत्काल प्रभाव से डैमेज कंट्रोल में लग गए हैं। केरल के नेता अब भी सदमे में हैं। किसी को ऐसी उम्मीद नहीं थी कि राष्ट्रीय नेतृत्व अपनी केरल इकाई को इस तरह अनाथ कर देगा। आप के आकाओं का हमेशा से ये मानना रहा है कि केरल राज्य पार्टी के लिए उर्वर जमीन है। लेकिन कई जाने-माने सामाजिक कार्यकर्ताओं और लेखकों के प्रति पार्टी के नेताओं की उदासीनता ने उन्हें नाराज कर दिया है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने तेलंगाना की रैली में जो कुछ कहा वो घाव पर नमक छिड़कने जैसा था। इस रैली के दौरान केजरीवाल ने केरल के विकास के लिए पिनाराई विजयन की प्रशंसा करते हुए इसे 'राष्ट्र के लिए एक मॉडल' बताया था। केजरीवाल के शब्दों ने राज्य के कार्यकर्ताओं का मनोबल गिरा दिया। अब इंतजार है नए नेता का। कार्यकर्ताओं को उम्मीद है कि अब केजरीवाल की परिपाटी के अनुसार, उम्मीदवारों के साक्षात्कार आयोजित कर कॉर्पोरेट स्टाइल में हेडहंट की तलाश की जाएगी।

क्या से क्या हो गए देखते देखते...

बीजेपी की राज्य इकाई पश्चिम बंगाल में 'धनखड़ दंगल' के सीक्वल की उम्मीद कर रही थी। लेकिन बोस ने एक अलग रास्ता अपनाते हुए बंगाली भाषा में पाठ सीखने शुरू कर दिए हैं। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी उनकी मदद के लिए हाथ बढ़ाया और नए राज्यपाल को बांग्ला की दुनिया से रूबरू कराने के लिए राजभवन में आयोजित समारोह में शामिल हुईं। दूसरी ओर, विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने न्योता मिलने के बावजूद समारोह में शामिल न होने का फैसला किया और इसकी आलोचना भी की। वहीं, बीजेपी का मानना है कि सरकार और राज्यपाल के बीच संबंधों के बेहतर होने के पीछे राजभवन में तैनात एक सीनियर अफसर की रणनीति है। ये महिला आईएएस अफसर ममता बनर्जी की बेहद खास और विश्वासपात्र है। ऐसे बहुत से लोग हैं, जिन्हें लगता है कि आनंद बोस गवर्नर की प्राथमिकताओं को भूल रहे हैं और इस अराजकता की गूंज दिल्ली तक पहुंच गई है। गृह मंत्री अमित शाह की आनंद बोस के साथ मीटिंग की मांग के साथ ही ये बात और पुख्ता हो जाती है। वैसे, आने वाले दिनों में ये ट्यूशन बोस के नजरिए को किस तरह बदलेगी, ये देखना वाकई दिलचस्प होगा।

पदयात्रा से CM की कुर्सी का सफर...

नायडू वंशज नारा लोकेश की 27 जनवरी को शुरू हुई 4000 किलोमीटर की पदयात्रा को संभावित मुख्यमंत्री उम्मीदवार के रूप में लॉन्च करने वाली गुलेल के तौर पर देखा जा रहा है। दरअसल, इतिहास के पन्नों को खंगालने के बाद राजनीतिक पंडितों का यह तर्क इसलिए भी मजबूत लगता है, क्योंकि कई नेता पदयात्रा कर सीएम की कुर्सी तक पहुंच चुके हैं। तेलुगु देशम पार्टी (TDP) की स्थापना के फौरन बाद सीनियर NTR ने तत्कालीन आंध्र प्रदेश का दौरा किया, जिसका नतीजा TDP की बड़ी जीत के रूप में सामने आया और कांग्रेस का सफाया हो गया। आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वाईएस राजशेखर रेड्डी ने भी चुनाव और मुख्यमंत्री पद के लिए जीत से पहले पदयात्रा की थी। ठीक ऐसा ही उनके बेटे और मौजूदा मुख्यमंत्री वाईएस जगन ने भी किया। चंद्रबाबू नायडू ने भी अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए पदयात्रा की थी। स्वाभाविक तौर पर, जब उनका बेटा पिता के गढ़ कुप्पम से यात्रा शुरू करता है तो उत्सुकता और बढ़ जाती है। लोकेश ने 'युवागलम' यात्रा के माध्यम से टीडीपी को पुनर्जीवित करने की योजना बनाई है। वैसे, अगर लोकेश इसमें सफल हो जाते हैं, तो सीएम पद तक पहुंचने के लिए दूसरे उम्मीदवार भी लंबी पैदल यात्रा का रास्ता अपनाएंगे

विधानसभा कूच की गुपचुप तैयारी...

भाजपा सांसद किरोडी लाल मीणा राजस्थान के दौसा जिले से सांसद है । वे पिछले 5 दिन से अपने कुछ कार्यकर्ताओं के साथ जयपुर शहर के आगरा रोड पर जैन मंदिर के नजदीक सड़क पर बैठे हैं। उनकी मांग है की पिछले दिनों शिक्षक भर्ती परीक्षा पेपर लीक प्रकरण की जांच सीबीआई से करवाई जाए। 5 दिन पहले वह दौसा जिले से हजारों कार्यकर्ताओं के साथ जयपुर में चल रही विधानसभा पर कूच करने आए थे, लेकिन उन्हें आगरा रोड पर ही रोक लिया गया था। अब सोमवार से फिर विधानसभा शुरू होने वाली है। ऐसे में वो फिर से विधानसभा पर कूच करने की गुपचुप तैयारी कर रहे हैं।

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