सार
सियासी गलियारों में परदे के पीछे बहुत कुछ घटता है- ओपिनियन, साजिश, सत्ता का खेल और राजनीतिक क्षेत्र में आंतरिक तकरार। एशियानेट न्यूज का व्यापक नेटवर्क जमीनी स्तर पर देश भर में राजनीति और नौकरशाही की नब्ज टटोलता है। पेश है 'फ्रॉम द इंडिया गेट' (From The India Gate) का सातवां एपिसोड, जो आपके लिए लाया है कहीं चूर-चूर हुए अफसरों के अरमान की कहानी, तो कहीं CM ने ही राज्यपाल को दे डाली सलाह।
From The India Gate: सियासी गलियारों में परदे के पीछे बहुत कुछ होता है- ओपिनियन, साजिश, सत्ता का खेल और राजनीतिक क्षेत्र में आंतरिक तकरार। एशियानेट न्यूज का व्यापक नेटवर्क जमीनी स्तर पर देश भर में राजनीति और नौकरशाही की नब्ज टटोलता है। अंदरखाने कई बार ऐसी चीजें निकलकर आती हैं, जो वाकई बेहद रोचक और मजेदार होती हैं। पेश है 'फ्रॉम द इंडिया गेट' (From The India Gate) का सातवां एपिसोड, जो आपके लिए लाया है कहीं चूर-चूर हुए अफसरों के अरमान की कहानी तो कहीं CM ने ही राज्यपाल को दे डाली सलाह।
चूर हुए कई अफसरों के अरमान, अभी कुछ दिन और करना होगा इंतजार..
यूपी के एक अफसर बीते दिनों खूब चर्चाओं में रहे। चर्चाओं में रहने का कारण और कुछ नहीं बल्कि उनके जाने के बाद उनकी कुर्सी को लेकर था। इसके लिए लिस्ट में मौजूद तमाम अफसर लखनऊ से लेकर दिल्ली तक नेताओं के यहां चरण वंदना भी शुरू कर दी थी। हालांकि, इससे पहले उनके मन के अरमानों को तसल्ली मिल पाती, तब तक एक आदेश जारी हो गया। यह आदेश और कुछ नहीं एक साल के सेवा विस्तार का था। इस आदेश ने उन तमाम लिस्ट वाले अफसरों की कोरी कल्पनाओं पर पानी फेर दिया। उन्हें इस आदेश के बाद समझ में आ गया कि वो जिस सबसे बड़ी कुर्सी के लिए पलकें बिछाए बैठे हैं, वो इतनी जल्दी उनके हाथ नहीं आने वाली। गौर करने वाली बात ये है कि जो अफसर इस कुर्सी का इंतजार कर रहे थे, उसमें एक अधिकारी वो भी थे, जो पहले भी इस कुर्सी को संभाल चुके हैं। वो दोबारा से इस पद पर आने का ख्वाब संजोए बैठे थे।
ये नेताजी भी करेंगे परिवार में कमबैक, बीजेपी के लिए बने थे परेशानी..
शिवपाल यादव की परिवार और पार्टी में वापसी हो चुकी है। अब यूपी के एक और नेताजी ऐसे हैं, जो जल्द अपने परिवार के साथ दिखाई पड़ सकते हैं। इन नेताजी ने बीते कई महीनों से भाजपा में रहते हुए यूपी से लेकर केंद्र तक के नेताओं के खिलाफ बयानबाजी जारी रखी है। भाजपा से सांसद होने के बावजूद पार्टी की नीतियों और कार्यों को लेकर सवाल खड़े करने के बाद कई बार इन्हें शीर्ष नेतृत्व से फटकार भी मिल चुकी है। हालांकि, अब पता चल रहा है कि नेताजी ने अपनी चचेरी बहन से बातचीत कर परिवार में वापसी का मन बना लिया है। उन्होंने अपनी पारिवारिक पार्टी की तारीफें भी शुरू कर दी हैं। माना जा रहा है कि नेताजी को 2024 चुनाव से पहले उनकी पार्टी और परिवार में शामिल कर लिया जाएगा। वैसे नेताजी की मौजूदा पार्टी के समर्थकों का मानना है कि उनके जाने से पार्टी को फायदा ही होगा। ऐसा इसलिए क्योंकि वो पार्टी में रहते हुए अपनों ने लिए सिरदर्द बने हुए थे।
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नए राज्यपाल को CM के दो अहम सुझाव..
पश्चिम बंगाल में नए राज्यपाल सीवी आनंद बोस के नाम की घोषणा के बाद अब वहां शांति का माहौल है। दरअसल, जगदीप धनखड़ के साथ मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के दंगल के बाद अब सीवी आनंद बोस के रूप में राज्यपाल की नियुक्ति एक तरह से ममता के लिए सोने पे सुहागा है। हालांकि, बोस की नियुक्ति को लेकर शुरुआत में थोड़ी आशंकाएं जरूर थीं, लेकिन केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा दिए गए आश्वासन के बाद कि आनंद बोस बहुत अच्छे इंसान हैं, ममता बनर्जी ने भी उनका खुले दिल से स्वागत किया। इसके साथ ही ममता बनर्जी ने राज्यपाल को दो सुझाव भी दिए। इनमें पहला ये कि आप केरल के व्यंजनों का आनंद उठाते रहेंगे। इस पर आनंद बोस ने जवाब में कहा कि वो बंगाली पकवानों के साथ पूरी तरह सहज हैं। तब ममता ने कहा- मैम (श्रीमती लक्ष्मी आनंद बोस) समझ जाएंगी कि मैं क्या सुझाव दे रही हूं और क्यों? आप चाहें तो केरल से एक रसोइया रख सकते हैं। इसमें संकोच वाली कोई बात ही नहीं है। हम आपका पूरा सहयोग करेंगे। वहीं, ममता का दूसरा सुझाव था कि राज्यपाल जब चाहें, मुख्यमंत्री के विमान का इस्तेमाल कर सकते हैं। इतना ही नहीं, वो चाहें तो इस विमान का उपयोग केरल जाने के लिए भी कर सकते हैं। हालांकि, अब तक राज्यपाल आनंद बोस ने ममता के इन दोनों प्रस्तावों को औपचारिक रूप से स्वीकार नहीं किया है। वैसे, कई लोगों को लगता है कि दोनों के बीच संबंध सौहार्दपूर्ण हैं, लेकिन कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो इसे तूफान से पहले की खामोशी मान रहे हैं।
नाराजगी के बाद, कैबिनेट मंत्री की घर वापसी..
ऐसा लगता है कि राज्यपाल और सरकार के बीच शांति की लहर अब केरल में भी पहुंच गई है। जिसे मुद्दे को एक राजनीतिक थ्रिलर समझा जा रहा था, वो अब खत्म होता नजर आ रहा है। इस बात का पहला संकेत इसी से लगाया जा सकता है कि भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के नेता साजी चेरियन को पिनराई विजयन द्वारा कैबिनेट में शामिल करने के फैसले को लेकर विरोध जताने वाले राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान भी अब इस पर सहमत हो गए हैं। बता दें कि साजी को कुछ महीने पहले एक विवादित भाषण देने की वजह से पद छोड़ना पड़ा था। दरअसल, चेरियन ने जुलाई, 2022 में पथनमथिट्टा जिले में एक भाषण के दौरान कथित तौर पर संविधान के खिलाफ टिप्पणी की थी। इसके बाद उन्हें मंत्रिमंडल से इस्तीफा देना पड़ा था। हालांकि पुलिस जांच में साजी चेरियन को क्लीन चिट मिल गई थी, लेकिन इस मामले में तब एक नया मोड़ आ गया, जब राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने शपथ ग्रहण से ठीक पहले इस मसले को कानूनी राय के लिए भेज दिया था। लेकिन जैसे ही कानून की तरफ से हरी झंडी मिल गई, राज्यपाल ने उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिला दी। इस पूरे मामले में सरकार ने भी सकारात्मक प्रतिक्रिया दी।
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