सियासी गलियारों में परदे के पीछे बहुत कुछ घटता है- ओपिनियन, साजिश, सत्ता का खेल और राजनीतिक क्षेत्र में आंतरिक तकरार। पेश है 'फ्रॉम द इंडिया गेट' का 34वां एपिसोड, जो आपके लिए लाया है पॉलिटिक्स की दुनिया के कुछ ऐसे ही चटपटे और मजेदार किस्से।
From The India Gate: सियासी गलियारों में परदे के पीछे बहुत कुछ होता है- ओपिनियन, साजिश, सत्ता का खेल और राजनीतिक क्षेत्र में आंतरिक तकरार। एशियानेट न्यूज का व्यापक नेटवर्क जमीनी स्तर पर देश भर में राजनीति और नौकरशाही की नब्ज टटोलता है। अंदरखाने कई बार ऐसी चीजें निकलकर आती हैं, जो वाकई बेहद रोचक और मजेदार होती हैं। पेश है 'फ्रॉम द इंडिया गेट' (From The India Gate) का 34वां एपिसोड, जो आपके लिए लाया है, सत्ता के गलियारों से कुछ ऐसे ही मजेदार और रोचक किस्से।
अलविदा चांडी, एक सच्चे नेता..
डियर गॉड,
इस पत्र के वाहक, श्री ओमन चांडी एक सौम्य आत्मा हैं, जिन्होंने जिंदा रहते हुए लाखों केरलवासियों की मदद की है। वे हमेशा सुलभ थे। वे नहीं जानते थे कि अपने लिए एहसान कैसे जताया जाए। इसलिए यह पत्र उनके नाम। कृपया विचार करें और हमारे चांडी सर की अच्छी देखभाल करें।
भगवान को लिखी गई ये चिट्ठी पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता ओमन चांडी द्वारा इस्तेमाल किए गए प्रारूप के समान है, जिनका हाल ही में निधन हो गया। ये चिट्ठी उन लाखों श्रद्धांजलियों में से एक है, जो नेटिजंस दिवंगत नेता को दे रहे हैं। ओमन चांडी के निधन पर शोक में डूबे सैकड़ों लोगों ने बताया कि कैसे चांडी के हस्तक्षेप ने उनकी जिंदगी को बदल दिया। एक पॉलिटिकल ऑब्जर्वर के नाते कोई भी ऐसी हजारों कहानियां दोबारा बता सकता है। लेकिन ये उनके व्यक्तित्व के गुण हैं जो हमेशा किसी को भी हैरान कर देते हैं।
ओमन चांडी का अपना कोई निजी वक्त नहीं होता था। यहां तक कि बाथरूम के दरवाजे के बाहर भी लोग उनका इंतजार करते रहते थे, ताकि उन्हें अपनी समस्याएं बता सकें। केवल खादी की धोती पहने चांडी सैकड़ों लोगों की समस्याएं लेते और उनका हल निकालने के लिए संबंधित लोगों को निर्देश देते थे।
बिखरे बाल: यही उनकी पहचान थी। उन्होंने कभी अपने बालों में कंघी करने की जहमत नहीं उठाई। उनके करीबी लोगों का कहना है कि उनसे मिलने के लिए लोगों की इतनी भीड़ होती थी कि नहाने के बाद वे कंघी करने तक के लएि वक्त नहीं निकाल पाते थे।
पॉकेट डायरी: चांडी अपने पास हमेशा एक पॉकेट डायरी रखते थे। यहां तक कि उनके करीबी भी इसे नहीं समझ सके। लेकिन चांडी हमेशा उस डायरी में अपने काम के तय शेड्यूल को लिखकर रखते थे। साइबर युग में भी, ओमन चांडी जब भी किसी इवेंट में जाते तो उनकी इस खास डायरी में उनकी ही कोड लैंग्वेज में लिखी बातें होती थीं।
चांडीवाद: ओमान चांडी के करीबी लोग इसे ही तौर-तरीके मानते हैं। चांडी ने उनके पास मदद के लिए आने वाले किसी भी शख्स से कभी उसकी जाति या राजनीति के बारे में सवाल नहीं किया। उनकी इस बात की पुष्टि आज आंसुओं से सने कई चेहरों और दबी आवाज में दी जा रही गवाही से होती है।
फुटनोट: मौजूदा सीएम पिनाराई विजयन ने अपने आप को जनता से दूर रखा है। वे भारी एस्कॉर्ट के साथ करीब 50 गाड़ियों के काफिले में चलते हैं। वहीं, ओमन चांडी बिना एस्कॉर्ट या पायलट कार के चले गए। फटी शर्ट के अलावा चांडी के पास अपनी कोई सुरक्षा नहीं थी।
चांडी की मौत ने अचानक एक समानांतर रेखा खींच दी है। लाल महलों में रहने वालों को कभी भी उनके और लोगों के बीच की दूरी का एहसास नहीं होगा, क्योंकि वे ऊंचाई और ऊंचाई को छूना चाहते हैं। क्या साम्यवाद के लिए चांडीवाद से सीखने का समय आ गया है? शायद!
महिला शक्ति..
कर्नाटक में राज्य सरकार द्वारा संचालित बसों में महिलाओं को मुफ्त यात्रा की सुविधा देने वाली ‘शक्ति स्कीम’ इन दिनों काफी चर्चा में है। इस स्कीम को लेकर काफी बहस भी हो रही है। हालांकि, इस मुद्दे पर होने वाली सभी बहसें न तो हेल्दी कही जा सकती हैं और ना ही टू द प्वॉइंट। हाल ही में कर्नाटक विधान परिषद में एक चर्चा के दौरान विपक्ष ने ये कहते हुए सरकार की आलोचना की कि शक्ति स्कीम केवल नॉन-AC बसों में महिलाओं को फ्री ट्रैवल की सुविधा दे रही है। लेकिन बीजेपी के ए देवेगौड़ा की टिप्पणी ने इस मामले को कुछ मुश्किल रास्तों पर डाल दिया। दरअसल, देवेगौड़ा ने कहा कि महिलाएं हर जगह जाने (Go Everywhere) के लिए मुफ्त बसें ले रही हैं। इस पर एस रवि के नेतृत्व में कांग्रेस ने फौरन 'एवरीवेयर' शब्द पर स्पष्टीकरण की मांग की। रवि ने मुफ्त बसों का उपयोग करने वाली महिलाओं का जिक्र करते हुए कहा कि 'एवरीवेयर' का इस्तेमाल करना बिल्कुल अपमानजनक है। कांग्रेस के रवि ने बीजेपी की तेजस्विनी गौड़ा को घेरने की कोशिश की। हालांकि, तेजस्विनी ने ए देवेगौड़ा की बात का समर्थन किया और कहा कि उनका इरादा महिलाओं का अपमान करना नहीं था। इस पर जेडीएस के तिब्बे गौड़ा ने चुटकी लेते हुए कहा- अगर सत्ताधारी दल ने महिलाओं के बारे में ऐसा बयान दिया होता, तो तेजस्विनी अब तक शीर्ष पर आ जातीं। तिब्बे गौड़ा के इस कमेंट से बात और बिगड़ गई। तेजस्विनी ने तिब्बे से इस बात पर स्पष्टीकरण देने को कहा कि 'शीर्ष से गिरने' का क्या मतलब है? हालांकि, तिब्बे गौड़ा ने इस पर चुप रहना ही मुनासिब समझा।
From The India Gate: कहीं सरेआम 'बगावत' तो कहीं टूटती दिख रही नेताजी की 'उम्मीद'
'मामलों' से क्या मतलब..?
कर्नाटक विधानसभा में 'हस्तांतरण सौदे' को लेकर उस वक्त भारी विवाद हो गया, जब भाजपा विधायक यतनाल और कांग्रेस मंत्री बिरथी सुरेश इस मुद्दे पर आमने-सामने आ गए। हालांकि, बिरथी सुरेश किसी तरह विधायक उदय गरुड़चार का सपोर्ट पाने में कामयाब रहे। बिरथी को लगा कि उदय कहीं यतनाल का समर्थन तो नहीं कर रहे। बाद में, जब बिरथी और गरुड़चार विधानसभा लाउंज में आमने-सामने आए तो दोनों के बीच दोस्ताना नोकझोंक भी हुई। बिरथी ने कहा- `क्या मैंने कोई सौदा किया? क्या तुम मेरे बिजनेस के बारे में नहीं जानते? तुमने यतनाल का समर्थन क्यों किया? इस पर गरुड़चार ने हल्के-फुल्के अंदाज में कहा- यतनाल ने जो कुछ कहा वो गलत था। खैर! छोड़ो, हमारे मामले तो पहले की तरह ही चलते रहेंगे। इस पर अन्य विधायकों ने हंसी-मजाक करते हुए जमकर चुटकी ली और दोनों से ये समझाने का आग्रह करते रहे कि `मामलों' से उनका क्या मतलब है।
काम नहीं आई रणनीति..
कांग्रेस की कर्नाटक जीत के रणनीतिकार सुनील कनुगोलू को पार्टी ने तेलंगाना में अपनी रणनीति तैयार करने के लिए शामिल किया है। हालांकि, सभी को हैरान करते हुए, पार्टी ने सुनील कनुगोलू को राजस्थान और मध्य प्रदेश पर फोकस करने के लिए करने एक बार फिर तैनात कर दिया है। जबकि पूर्व आईएएस अधिकारी शशिकांत सेंथिल तेलंगाना में अब कनुगोलू की जगह लेंगे। हालांकि, ऐसी अफवाहें हैं कि सुनील कनुगोलू के वाईएस शर्मिला के साथ हाथ मिलाने के आइडिया ने इस कदम को प्रेरित किया। अपनी रिपोर्ट में उन्होंने कहा कि शर्मिला की एंट्री से ग्रेटर हैदराबाद, रंगारेड्डी और खम्मम जिलों के क्षेत्रों में पॉजिटिव असर पड़ेगा। हालांकि, कनुगोलू की इस रणनीति को तेलंगाना में कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष रेवंत रेड्डी ने खारिज कर दिया और नतीजा ये हुआ कि सुनील को बाहर कर दिया गया।
जोर का झटका, धीरे से लगा..
तमिलनाडु में कोई भी कार्यक्रम ढोल-नगाड़े के बिना पूरा नहीं होता। जाहिर है कि जब एक पॉपुलर एक्टर ने अपनी पार्टी के प्रतीक के रूप में ड्रम के साथ अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की तो वोटर्स ने इसे अच्छी तरह से स्वीकार किया। अम्मा की पार्टी के आशीर्वाद से वो विपक्ष का नेता बनने के लिए पर्याप्त समर्थन जुटा सकते थे। लेकिन उनके कुछ भाषणों ने सब मटियामेट कर दिया। दरअसल, अपने भाषणों में उन्होंने अम्मा और उनकी पार्टी के लोगों पर हमला किया, जिसके चलते जमकर शोर-शराबा हुआ और एक्टर को बीजेपी खेमे में शरण लेने के लिए मजबूर होना पड़ा। लेकिन 2019 में चुनावों में हार के बाद इस एक्सपेरिमेंट को छोड़ दिया गया। बता दें कि बीजेपी ने हाल ही में 2024 के लोकसभा चुनावों की तैयारी के लिए एक रणनीतिक बैठक की। इस बैठक में सिंगल विधायक वाली पार्टियों तक को इन्वाइट किया गया, लेकिन एक्टर की पार्टी को नहीं बुलाया गया। इससे उन्हें झटका लगा और पीछे हटने के लिए मजबूर होना पड़ा। सुना है कि अब एक्टर 2024 से पहले सत्तारूढ़ दल का ध्यान आकर्षित करने के लिए जोर-जोर से ड्रम बजा रहे हैं।
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