From The India Gate: कहीं नफरत की आग में जल रहे नेताजी, तो कहीं जानी दुश्मन बने बाप-बेटे

सियासी गलियारों में परदे के पीछे बहुत कुछ घटता है- ओपिनियन, साजिश, सत्ता का खेल और राजनीतिक क्षेत्र में आंतरिक तकरार। पेश है 'फ्रॉम द इंडिया गेट' का 13वां एपिसोड, जो आपके लिए लाया है पॉलिटिक्स की दुनिया के कुछ ऐसे ही चटपटे और मजेदार किस्से।

From The India Gate: सियासी गलियारों में परदे के पीछे बहुत कुछ होता है- ओपिनियन, साजिश, सत्ता का खेल और राजनीतिक क्षेत्र में आंतरिक तकरार। एशियानेट न्यूज का व्यापक नेटवर्क जमीनी स्तर पर देश भर में राजनीति और नौकरशाही की नब्ज टटोलता है। अंदरखाने कई बार ऐसी चीजें निकलकर आती हैं, जो वाकई बेहद रोचक और मजेदार होती हैं। पेश है 'फ्रॉम द इंडिया गेट' (From The India Gate) का 13वां एपिसोड, जो आपके लिए लाया है, सत्ता के गलियारों से कुछ ऐसे ही मजेदार और रोचक किस्से।

जेल से वापस आकर भी नहीं खत्म हो रही नेताजी की नफरत

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बीते दिनों यूपी की एक बड़ी राजनीतिक पार्टी के नेता जमकर चर्चाओं में रहे। उनके जेल जाने के बाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष तक उनको छुड़ाने के लिए पुलिस मुख्यालय पहुंच गए। नेता जी तो एक दिन बाद जेल से बाहर आ गए लेकिन उनकी हरकतों में अभी भी सुधार नहीं है। दरअसल, नेताजी सोशल मीडिया पर ऊटपटांग लिखने को लेकर जेल गए थे। नेताजी की नाराजगी सबसे ज्यादा ब्राह्मणों और पंडितों से थी। उनके निशाने पर पत्रकार और यूपी के उप मुख्यमंत्री तक थे। खैर नेताजी जेल से बाहर आए तो उन्हें पार्टी की मीडिया सेल से भी बाहर कर दिया गया। लेकिन अब वही नेताजी अपने सोशल मीडिया अकाउंट से पंडितों और ब्राह्मणों पर निशाना साधने में फिर जुट गए हैं। नेताजी के मन में इतना ज्यादा जहर घुला हुआ है कि उन्होंने स्वामी प्रसाद मौर्य की ओर से रामायण पर की गई टिप्पणी और मोहन भागवत के बयान के बाद फिर से पंडितों पर निशाना साध डाला।

तो क्या अभी भी बहनजी हैं भाजपा के साथ?

यूपी में इन दिनों रामचरितमानस को लेकर विवाद छिड़ा हुआ है। हालांकि, इस बीच एक पुरानी बात को फिर से हवा मिल गई है कि बहनजी भाजपा के साथ हैं। खुद को शूद्र बताने को लेकर समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव चर्चाओं में आए तो बहन जी ने भी सोचा कि वह क्यों पीछे रहें। उन्होंने भतीजे अखिलेश पर ही निशाना साध लिया और खुद को दलितों का हितैषी दिखाने में लग गईं। बहन जी ने बाबा साहब की संविधान में लिखी बातों की दलील तक दे डाली। फिर क्या था भतीजे ने खुद को कमतर होता देख बुआ को बीजेपी की टीम का हिस्सा बता दिया। अखिलेश यादव ने यहां तक कह दिया कि बीजेपी जो खुद नहीं कह पाती है वह दूसरों से कहलवा देती है।

मैं तेरा दुश्मन, दुश्मन तू मेरा...

राजस्थान की राजनीति में पिता-पुत्र की एक जोड़ी नोकझोंक को लेकर काफी सुर्खियों में रहती है। पिता राजस्थान सरकार में मंत्री हैं और सीएम अशोक गहलोत के भक्त भी, जबकि बेटा एक गुर्जर कांग्रेसी नेता का सपोर्टर है। पिता का रौब देखिए कि उनको ऐसा मंत्रालय मिला है जहां काम कम है लेकिन दबंगई जबरदस्त है। इलाके में खौफ पैदा करने के लिए मंत्री जी का नाम ही काफी है। लेकिन कहावत है ना कि दिया तले अंधेरा...यही मंत्री जी के साथ है। पूरा जिला, पूरा इलाका और यहां तक की सीएम भी उनकी बात सुनते और मानते हैं लेकिन बेटे का दिल है कि मानता नहीं। हाल ही में बेटे ने अपने नेता को सर्वोपरि बताते हुए पिता जी से पंगा ले लिया। बेटे ने एक ट्वीट में लिखा- जंगल में शेर एक ही होता है...। यह शेर शब्द का इस्तेमाल सीएम के धुर विरोधी गुर्जर कांग्रेसी नेता के लिए किया गया है। बता दें, पिता-पुत्र की यह लड़ाई कई बार सड़क पर भी आ चुकी है।

From The India Gate: कहीं 'पायलट' विहीन गाड़ी तो कहीं दूसरे के कंधे पर रख चलाई बंदूक

ना खाएंगे ना खाने देंगे...

राजस्थान के सबसे बड़े निगम में कांग्रेसी और बीजेपी पार्षदों में असंतोष है। निगम की अध्यक्ष कांग्रेस की नेता हैं और उन्हें दो बड़े मंत्रियों का सपोर्ट है। यही कारण है कि ये महिला अध्यक्ष नेता किसी को कुछ समझती ही नहीं। उनका इलाका बहुत बड़ा है। 100 से भी ज्यादा वार्ड है। ऐसे में बीजेपी और कांग्रेस पार्षद दोनों के काम नहीं हो रहे हैं। विरोध बढ़ता देख मैडम ने रास्ता निकाला। इस रास्ते को चुपचाप तैयार किया गया। रास्ता था कि कांग्रेसी पार्षदों को बेंगलुरू और ऊटी घुमा कर उन्हें खुश किया जाए। चुपचाप तैयारी हो गई, बैग पैक हो गए लेकिन इसकी भनक एक बीजेपी पार्षद को लग गई। उसने ऐसा रायता फैलाया कि ट्रिप ही कैंसिल करनी पड़ी। अब फिर से दोनों पार्टी के नेताओं में खींचतान शुरू हो गई है।

नेताओं का भाषा प्रेम...

किसी से तत्काल संपर्क साधने के लिए उत्तर भारतीय नेताओं के बीच एक अभिवादन प्रथा बहुत प्रचलन में है, जिसमें वो क्षेत्रीय लोगों से उनकी भाषा में बातचीत करते हैं। नेताओं की ये ट्रिक ज्यादातर चुनाव अभियानों के दौरान देखने को मिलती है। लेकिन हाल ही में दिल्ली में इसके बिल्कुल उलट नजारा देखने को मिला। दरअसल, एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने मीडिया को सबसे पहले नमस्कार किया। यहां तक तो सब ठीक था, लेकिन बाद में उन्होंने इससे एक कदम और आगे बढ़ते हुए पूछा- चेन्नागिद्दीरा (आशा है आप सब ठीक होंगे)। कन्नड़ में अभिवादन सुनकर वहां मौजूद सभी मीडियाकर्मी हैरत में पड़ गए। लेकिन नेताजी के मुख से कन्नड़ में अभिवादन सुनकर तो यही लगता है कि दक्षिण के राज्यों में हिंदी भाषा को थोपने के हालिया प्रयासों के असर को कम करने के लिए ऐसा किया गया है। बता दें कि नेताओं द्वारा दक्षिण भारतीय राज्यों में राष्ट्रभाषा के तौर पर हिंदी को बढ़ावा देने का काफी विरोध हुआ था। शुक्र है कि नेताओं ने अब दिल्ली दरबार में कन्नड़ के प्रति प्रेम दिखाना शुरू कर दिया है। क्या हम जल्द ही तमिल में 'वनक्कम' सुनेंगे, जो इस समय दिल्ली मीडिया की सुर्खियों में है।

गले की हड्डी बने टूरिस्ट रिसॉर्ट..

टूरिस्ट रिसॉर्ट की वजह से केरल CPM की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। सीपीएम की युवा नेता चिंता जेरोम और उनका परिवार कई सालों से एक टूरिस्ट रिसॉर्ट में रह रहे थे। इस खुलासे के बाद सीपीएम की दिक्कतें और बढ़ गई हैं। बता दें कि चिंता जेरोम सबसे कम उम्र की स्टेट कमेटी मेंबर्स होने के साथ ही राज्य युवा आयोग की अध्यक्ष भी हैं। जेरोम हाल ही में अपनी पीएचडी थीसिस में गलतियों के अलावा सैलरी और बकाया एरियर अमाउंट की मांग को लेकर भी सुर्खियों में रहीं। चिंता जेरोम पर यह आरोप है कि वो एक दोस्त के रिसॉर्ट पर मुफ्त में रह रही थीं। हालांकि, जेरोम ने इन आरोपों से इनकार करते हुए कहा है कि वो इसके लिए हर महीने 20 हजार रुपए किराया चुकाती थीं। दूसरी ओर, सीपीएम की परेशानी बढ़ाने वाला एक और विवाद खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। पार्टी नेतृत्व की काफी कोशिशों के बावजूद, कन्नूर के बाहुबली ईपी जयराजन और पी जयराजन के बीच जुबानी जंग अब भी जारी है। राज्य समिति की बैठक में एक बार फिर पी जयराजन ने अपने उस आरोप को दोहराया जिसमें उन्होंने कहा था कि ईपी जयराजन का कन्नूर के एक लग्जरी आयुर्वेद रिसॉर्ट में बड़ा इन्वेस्टमेंट और और निहित स्वार्थ थे। ईपी के बेटे और पत्नी बोर्ड में डायरेक्टर हैं। हालांकि, ये बात अफवाह निकली कि सीपीएम ने इस पूरे मामले की जांच के लिए एक पैनल का गठन किया था। पार्टी महासचिव एमवी गोविंदन ने इसका खंडन करते हुए मीडिया को दोषी ठहराया है।

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