From The India Gate: कहीं सरेआम 'बगावत' तो कहीं टूटती दिख रही नेताजी की 'उम्मीद'

सियासी गलियारों में परदे के पीछे बहुत कुछ घटता है- ओपिनियन, साजिश, सत्ता का खेल और राजनीतिक क्षेत्र में आंतरिक तकरार। पेश है 'फ्रॉम द इंडिया गेट' का 32वां एपिसोड, जो आपके लिए लाया है पॉलिटिक्स की दुनिया के कुछ ऐसे ही चटपटे और मजेदार किस्से।

From The India Gate: सियासी गलियारों में परदे के पीछे बहुत कुछ होता है- ओपिनियन, साजिश, सत्ता का खेल और राजनीतिक क्षेत्र में आंतरिक तकरार। एशियानेट न्यूज का व्यापक नेटवर्क जमीनी स्तर पर देश भर में राजनीति और नौकरशाही की नब्ज टटोलता है। अंदरखाने कई बार ऐसी चीजें निकलकर आती हैं, जो वाकई बेहद रोचक और मजेदार होती हैं। पेश है 'फ्रॉम द इंडिया गेट' (From The India Gate) का 32वां एपिसोड, जो आपके लिए लाया है, सत्ता के गलियारों से कुछ ऐसे ही मजेदार और रोचक किस्से।

सरेआम बगावत..

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जब एक हिंदू फायरब्रांड नेता और जाने-माने कांग्रेस विरोधी अनंत कुमार हेगड़े खुलेआम एक कांग्रेस नेता को गले लगाते हैं, तो इस कृत्य की गूंज दूर-दूर तक महसूस की जाती है। हेगड़े ने हाल ही में कर्नाटक के कारवार में आयोजित एक बैठक में कांग्रेस नेता सतीश सेल को गले लगाया। उनके इस कारनामे ने कई लोगों को हैरानी में डाल दिया, क्योंकि सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री हेगड़े ने इससे पहले कभी ऐसा कुछ नहीं किया था। भले ही, हेगड़े अभी राजनीतिक शीतनिद्रा में हैं, लेकिन उनके कांग्रेस विरोधी उग्र भाषणों की गूंज अब भी हिंदुवादी प्रशंसकों के बीच महसूस की जाती है। हेगड़े ने कांग्रेस नेता सतीश सेल को गले क्यों लगाया, इसे लेकर कई तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं। इनमें राजनीतिक अलगाव से लेकर भगवा नेतृत्व में असंतोष तक कई चीजें शामिल हैं। वैसे, विधानसभा चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री मोदी की अंकोला यात्रा के दौरान हेगड़े की गैरमौजूदगी ने अफवाहों को पहले ही हवा दे दी थी। क्या बाड़ के दूसरी तरफ के लोग वाकई अच्छे हैं या फिर इसमें कांग्रेस लीडरशिप के लिए कोई संकेत है? इस पहेली से पर्दा तो आने वाले दिनों में ही उठेगा।

'नेताजी' को खाए जा रही चिंता..

जनरलाइज्ड एंग्जाइटी डिसऑर्डर (GAD) बुजुर्ग वयस्कों में सबसे आम बात है। कुछ इसी तरह का डिसऑर्डर 70 साल के कोप्पाला सांसद संगन्ना कराडी को घेरे हुए है। ऐसी अफवाहें हैं कि 70 साल की उम्र पार कर चुके मौजूदा सांसदों को लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए टिकट देने से इनकार किया जा सकता है। इस खबर से संगन्ना कराडी को गहरा झटका लगा है। संसद में उनका ऐसा कोई यादगार प्रदर्शन नहीं है, जो कभी सुर्खियां बना हो। हालांकि, अफवाहों से परेशान कराडी के समर्थकों का कहना है कि इतनी उम्र होने के बावजूद उनके नेता बेहद उत्साही, ऊर्जावान और पूरी तरह फिट हैं। अपने सपोर्टर्स के रुख का समर्थन करते हुए कराडी ने पूरी हिम्मत से कहा- मेरी उम्र भी पीएम मोदी के बराबर ही है। अगर मोदी को टिकट मिलेगा तो मुझे भी मिलना चाहिए। अगर मोदी को टिकट नहीं मिलता तो फिर कोई बात नहीं। इस खतरे को भांपते हुए बीजेपी के सीनियर लीडर बीएस येदियुरप्पा और बसवराज बोम्मई कराडी को मनाने के लिए आगे आए हैं। बता दें कि कराडी का गुस्सा इस अफवाह को लेकर है कि कर्नाटक में 28 में से 26 सीटें जीतने वाली बीजेपी दर्जनभर सीटों पर नए चेहरे मैदान में उतारेगी और 70 से ज्यादा उम्र वाले सांसदों को टिकट नहीं देगी। ऐसे में 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए टिकट की दौड़ में अपनी मौजूदगी दर्ज कराने के लिए कई नेता पहले से कहीं ज्यादा मीडिया को संबोधित कर रहे हैं।

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चुनावी नौटंकी..

फुटबॉल में डिफेंडर द्वारा टैकल का समय टीम की जीत और हार के बीच होता है। राजनीति में भी इसमें बहुत ज्यादा अंतर नहीं है। हमने अक्सर किसी प्रमुख नेता के समय रहते हस्तक्षेप करने से बहस या चल रहे विवाद का रुख बदलते हुए देखा है। ऐसा ही कुछ केरल में देखने को मिला। दरअसल, केरल में जब कांग्रेस पार्टी अपने प्रदेश अध्यक्ष के रिश्वतखोरी घोटाले में फंसने के बाद बचने की कोशिश कर रही थी, तभी एर्नाकुलम के सांसद हिबी ईडन की ओर से बड़ी खबर आई। हालांकि यह पूर्व-निर्धारित कदम नहीं है, लेकिन संसद में ईडन के निजी विधेयक ने केरल की राजधानी को तिरुवनंतपुरम से एर्नाकुलम में शिफ्ट करने की संभावना पर विचार करते हुए KPCC अध्यक्ष के सुधाकरन के खिलाफ मच रहे शोर को पूरी तरह शांत कर दिया। आरोपों के बादल अचानक छंट गए। यहां तक ​​कि पार्टी के भीतर समूह के नेताओं ने भी सांसद हिबी ईडन को अलग-थलग करने के लिए हाथ मिला लिया। दिलचस्प बात ये है कि विपक्ष ने भी ईडन के निजी विधेयक के मद्देनजर मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन के खिलाफ अपने हमले को रोकने का फैसला किया है। बता दें कि एर्नाकुलम (कोच्चि) केरल का सबसे बड़ा और व्यापारिक शहर है। लेकिन आगामी लोकसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस सांसद द्वारा लाए गए इस निजी विधेयक को उनकी चुनावी नौटंकी से ज्यादा कुछ नहीं समझा जा रहा है।

मोबाइल की टेंशन..

उत्तर प्रदेश की एक बड़ी पार्टी के मुखिया को फोन की चिंता सता रही है। लेकिन ये एक अलग तरह का फोबिया है। दरअसल, उन्हें डर है कि अगर 'भरोसेमंद' नेताओं को मोबाइल फोन ले जाने की इजाजत दी गई तो कोर कमेटी की बैठकों की कार्यवाही लीक हो सकती है। लोकसभा चुनाव नजदीक होने के कारण युवा नेता काफी संवेदनशील हैं। संवेदनशील बैठकों की वीडियो और ऑडियो रिकॉर्डिंग लीक होने के बाद उन्हें काफी शर्मिंदगी झेलनी पड़ी थी। कैडर अब उस 'एक' नेता को इसके लिए जिम्मेदार ठहरा रहे हैं, जिसने विभीषण का रोल निभाते हुए पार्टी के अंदर के सीक्रेट्स को विपक्षी खेमे तक पहुंचाया। एक युवा नेता ने चुटकी लेते हुए कहा कि सीटों का लालच और ज्यादा विभीषणों को जन्म दे सकता है। ऐसे में लोकसभा चुनाव खत्म होने तक न सिर्फ जूते-चप्पल बल्कि मोबाइल के साथ हो सकता है कि अपना आत्म-सम्मान भी बाहर रखना पड़े।

नेताजी का मिशन इम्पॉसिबल..

भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व द्वारा राजस्थान में होनेवाले आगामी चुनाव में 'रानी' को पार्टी के चेहरे के रूप में नियुक्त करने के बाद अब एक 'नेताजी' की उम्मीदें टूटती नजर आ रही हैं। इसके साथ ही, जनता को संगठित करने और तत्काल विरोध प्रदर्शन करने के लिए मशहूर इन नेताजी को निराशा ही हाथ लगी है। पिछले कुछ सालों में नेताजी ने केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह बनाने और आगामी विधानसभा चुनावों में महत्वपूर्ण भूमिका दिए जाने की उम्मीद से कई विरोध प्रदर्शन आयोजित किए। लेकिन हाल ही में उदयपुर में भाजपा के शीर्ष नेताओं की ओर से बेरुखी देखने के बाद उन्हें खुद को दरकिनार किए जाने का खतरा महसूस हो गया है। उन्होंने अपने कार्यकर्ताओं से कहा है कि वे अगली सूचना तक कोई विरोध प्रदर्शन न करें। सूत्रों के मुताबिक, नेताजी का मानना है कि मिशन इम्पॉसिबल में ऊर्जा क्यों खर्च करें।

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