From The India Gate: कहीं पार्टी नेताओं को मिला टारगेट तो कहीं रिश्वतखोरी का बचाव करता दिखा विपक्ष

Published : Aug 13, 2023, 02:49 PM ISTUpdated : Aug 13, 2023, 02:52 PM IST
From the india gate

सार

सियासी गलियारों में परदे के पीछे बहुत कुछ घटता है- ओपिनियन, साजिश, सत्ता का खेल और राजनीतिक क्षेत्र में आंतरिक तकरार। पेश है 'फ्रॉम द इंडिया गेट' का 37वां एपिसोड, जो आपके लिए लाया है पॉलिटिक्स की दुनिया के कुछ ऐसे ही चटपटे और मजेदार किस्से।

From The India Gate: सियासी गलियारों में परदे के पीछे बहुत कुछ होता है- ओपिनियन, साजिश, सत्ता का खेल और राजनीतिक क्षेत्र में आंतरिक तकरार। एशियानेट न्यूज का व्यापक नेटवर्क जमीनी स्तर पर देश भर में राजनीति और नौकरशाही की नब्ज टटोलता है। अंदरखाने कई बार ऐसी चीजें निकलकर आती हैं, जो वाकई बेहद रोचक और मजेदार होती हैं। पेश है 'फ्रॉम द इंडिया गेट' (From The India Gate) का 37वां एपिसोड, जो आपके लिए लाया है, सत्ता के गलियारों से कुछ ऐसे ही मजेदार और रोचक किस्से।

क्या भाजपा ने राजस्थान में सीएम फेस फाइनल कर दिया?

पिछले सप्ताह भाजपा की दिल्ली में एक बड़ी बैठक हुई। उसमें राजस्थान समेत अन्य राज्यों के सांसद शामिल हुए। इस दौरान एक महिला नेता ऐसी थी, जो सांसद नहीं होने के बाद भी वहां मौजूद थी। चर्चा है कि इन्हें खासतौर पर बुलाया गया था। बीजेपी के 2 सबसे बड़े नेताओं ने उनसे काफी देर तक बातचीत की और उसके बाद वे लोग वहां से चले गए। महिला नेता को लेकर अटकलें लगना शुरू हो गई हैं। पार्टी में चर्चा है कि सीएम का फेस यही हो सकती हैं। बताया जा रहा था कि सीएम की रेस में तीन और नाम थे, जिनको साइड कर दिया गया है। कहा जा रहा है कि पार्टी इस महिला नेता का नाम जल्द सामने ला सकती है। 

नजर के सामने, जिगर के पास...

राजस्थान के एक IPS अधिकारी का रूतबा ऐसा है कि सरकार चलाने वाले भी इनसे संपर्क रखते हैं। मिलने से पहले समय लेते हैं। इतना ही नहीं, इस खास अफसर के लिए सरकार ने नियमों तक को हल्का कर दिया है। ट्रांसफर का नियम 3 साल है, जबकि साहब का ट्रांसफर 4.5 साल में किया गया। सरकार नहीं चाहती कि वे कहीं बाहर जाएं। इसलिए अफसर को प्रमोशन देकर सरकार ने उन्हें अपने और करीब कर लिया है। पुलिस महकमे में यही गाना चल रहा है- सरकार को जो पसंद है, वह नजर के सामने भी है और जिगर के पास भी...।

विपक्ष की निर्विवाद रानी...

संसद के दोनों सदन जब सत्र में होते हैं, तो संसद टीवी और अन्य जगहों पर लाइव प्रसारित होने वाली बहसों की तुलना में वास्तविक राजनीति के बारे में बहुत कुछ पता चलता है। उदाहरण के लिए, अविश्वास प्रस्ताव पर बहस के दौरान, कोई भी बड़े आराम से ये जज कर सकता था कि द्रमुक (DMK) का झुकाव किस तरफ है। इस बात में कोई रहस्य नहीं है कि सोनिया गांधी जब भी संसद में बैठती हैं तो वे अपने समर्थक पार्टीजनों को केवल चिल्लाने या बैठने या फिर बाहर जाने का इशारा करती हैं। लेकिन सभी को हैरानी इस बात से हुई कि कनिमोझी सेकेंड रो में बैठी थीं, जबकि दयानिधि मारन पहली रो में ठीक सोनिया गांधी के बगल में बैठे थे। जैसे ही प्रधानमंत्री या फिर कोई दूसरे लोग बोलते थे, तो वे अक्सर उन्हें इशारा करतीं और मारन फौरन खड़े होकर नारे लगाने लगते थे। इसमें कोई शक नहीं है कि सोनिया गांधी अब भी विपक्ष की निर्विवाद रानी बनी हुई हैं। फिर चाहे वो कनिमोझी हों, सुप्रिया सुले या विपक्षी पार्टी की कोई और लीडर, उनका ध्यान आकर्षित करना अपने आप में आनंददायक पल है।

कर्नाटक में कांग्रेस नेताओं का टारगेट..

राहुल गांधी ने कर्नाटक में तीन मजबूत नेताओं के बीच बंटी कांग्रेस पार्टी को कड़ी चुनौती दी है। उन्होंने राज्य के नेताओं को कर्नाटक से कम से कम 20 लोकसभा सीटें जीतने का आदेश दिया है, जहां पार्टी अब भी ऐतिहासिक जीत की चमक का आनंद ले रही है। राहुल गांधी ने पार्टी के नेताओं को एकजुट मोर्चे की सलाह देते हुए इस बात पर जोर दिया कि अगर पार्टी के नेताओं के बीच किसी भी बात को लेकर कोई असहमति है तो इसकी वजह से 10 सीटें जीतने में भी काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। वहीं, दिल्ली की राजनीति में AICC प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे को मजबूत करने के साथ ही मुख्यमंत्री पद के दावेदार डीके शिवकुमार की स्थिति को मजबूत करने के लिए 20 अंक (20 सीट) हासिल करना बेहद जरूरी है। इसके अलावा, सिद्धारमैया के पास भी लोकसभा चुनाव के लिए वोट जुटाने और अपने प्रभाव को कायम करने का महत्वपूर्ण लक्ष्य है। ऐसे में कांग्रेस पार्टी के नेताओं के लिए कर्नाटक में ये जरूरी हो जाता है कि वो "मनसा वाचा कर्मणा" अर्थात मन, वचन और कर्म से अपने प्रयासों को एकजुट करते हुए सामंजस्यपूर्ण ढंग से सहयोग करें।

सीधी लड़ाई से बच रही कांग्रेस..

राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे और केसी वेणुगोपाल सहित कांग्रेस आलाकमान अक्सर राज्य के नेताओं को अपनी राय शेयर करने के लिए आमंत्रित करता रहता है। 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद सहानुभूति की लहर पर सवार होकर कांग्रेस ने लगभग 400 सीटें हासिल कर एक महत्वपूर्ण जीत हासिल की। लेकिन उसके 4 दशक बाद अब पार्टी की स्थिति बेहद खराब है। कर्नाटक, महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में कांग्रेस के पुराने नेता भाजपा के राजनीतिक हमलों और गतिरोध का सामना कर रहे हैं। अगर कांग्रेस को दिल्ली में राजनीतिक परिदृश्य बदलना है, तो उसे उन राज्यों में सीधे तौर पर अपनी जीत सुनिश्चित करनी होगी, जहां उसका सीधा मुकाबला बीजेपी से है। वहीं, कांग्रेस एक संयुक्त लड़ाई लड़ने के प्रयासों में जुटी हुई है। अगर पार्टी मैच जिताऊ शतक बनाने में असफल रहती है तो वो सौदेबाजी के कई विकल्प खो देगी। ये बात पार्टी के सभी खिलाड़ी और कैप्टन अच्छी तरह जानते हैं।

हैंड्स-फ्री रिश्वत...

इससे पहले कि आप `हाउज़ैट' चिल्लाएं, कृपया केरल में यूडीएफ के नेताओं की हालिया प्रेस कॉन्फ्रेंस देखें। पार्टी के सभी कद्दावर नेता इस बात को समझाने में संघर्ष करते दिखे कि विपक्ष ने मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन की बेटी वीणा की कंपनी और कोचीन मिनरल्स के बीच वित्तीय लेनदेन के आरोप विधानसभा में क्यों नहीं उठाए। इनकम टैक्स ट्रिब्यून द्वारा दिए गए सैटलमेंट फैसले के डॉक्यूमेंट्स में वीना की कंपनी को दिए गए 1.72 करोड़ रुपए की डिटेल थी। ट्रिब्यून ने ऑन रिकॉर्ड- कहा है कि इस भुगतान का कोई औचित्य नहीं था। सभी को हैरानी हुई कि विपक्ष चुप रहा। वजह साफ है, क्योंकि एक और डायरी में कांग्रेस, मुस्लिम लीग और कम्युनिस्ट पार्टी के सभी नेताओं के संक्षिप्त नाम लिखे हुए थे। जब ये बताया गया तो मुस्लिम लीग नेता पीके कुन्हालीकुट्टी (जिनका डायरी में केके नाम से उल्लेख है) ने स्वीकार किया कि उन्हें पार्टी की ओर से पेमेंट मिला था। लेकिन मैंने कभी भी उस पैसे को अपने हाथों से नहीं छुआ। विपक्षी नेता वीडी सतीसन का तर्क बहुत अलग था। उन्होंने कहा- कोचीन मिनरल्स के मालिक तस्कर नहीं हैं। तो उनसे फंडिंग या डोनेशन स्वीकार करने में क्या गलत है? आप कैसे सोचते हैं कि हम ऐसी फंडिंग के बिना एक राजनीतिक पार्टी चलाएंगे?' इल्मेनाइट माइनिंग के आरोपों के बाद कोचीन मिनरल्स कंपनी विवादों में घिर गई है। हालांकि, इसे सुचारू रूप से चलाने के लिए पैसों के लेनदेन के कई आरोप थे। लेकिन ईडी और इनकम टैक्स के अधिकारियों को छापा मार कार्रवाई में कोई रिकॉर्ड नहीं मिला था। इस एक्सपोज़ का एंटीक्लाइमेक्स बेहद आइकॉनिक था। इतिहास में पहली बार, सीपीएम ने इस सौदे और वीना विजयन को व्हाइटवॉश करने वाला बयान जारी किया। बयान में कहा गया है कि ये सौदा 'दो कंपनियों' के बीच था और मीडिया इसमें बेवजह सीएम का नाम घसीट रहा है। हाउज़ैट?

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