रिपब्लिक मीडिया का जवाब- सुशांत-पालघर केस में महाराष्ट्र सरकार से सवाल किए, इसलिए फेक केस दायर हुआ

टीआरपी मामले में मुंबई पुलिस द्वारा नाम घसीटे जाने के मामले में रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क ने अपना बयान जारी किया। चैनल ने कहा, हमने सुशांत सिह केस और पालघर में लिंचिंग मामले में हमने सरकार से सवाल पूछे। इसलिए षड्यंत्र के तहत मुंबई पुलिस और महाराष्ट्र सरकार ने फेक केस दायर किया। 

Asianet News Hindi | Published : Oct 10, 2020 8:04 AM IST / Updated: Oct 10 2020, 01:35 PM IST

नई दिल्ली. टीआरपी मामले में मुंबई पुलिस द्वारा नाम घसीटे जाने के मामले में रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क ने अपना बयान जारी किया। अपने बयान में चैनल ने कहा,  रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क (Republic Media Network) भारत में सबसे बड़ा न्यूज नेटवर्क है। नेटवर्क के अंग्रेजी, हिंदी चैनल और डिजिटल प्लेटफॉर्म पर करीब 25 करोड़ व्यूअर्स हैं। चैनल ने कहा, हमने सुशांत सिह केस और पालघर में लिंचिंग मामले में हमने सरकार से सवाल पूछे। इसलिए षड्यंत्र के तहत मुंबई पुलिस और महाराष्ट्र सरकार ने फेक केस दायर किया। 

चैनल ने कहा, फेक केस करने से पहले किसी तरह की कोई जांच भी नहीं की गई। रिपब्लिक के खिलाफ इस फेक केस की जानकारी मुंबई पुलिस कमिश्नर ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करके दी गई। 
 
'इंडिया टुडे को दे दी क्लीन चिट'
रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क ने आगे कहा, जब यह पता चला कि एफआईआर इंडिया टुडे के खिलाफ है, तो मुंबई पुलिस ने जल्दबाजी में स्पष्टीकरण देने की कोशिश की। मुंबई पुलिस के ज्वाइंट कमिश्नर ने इंडिया टुडे पर ही इंडिया टुडे के खिलाफ कोई सबूत नहीं होने की बात कही।  

चैनल ने ये सबूत भी पेश किए ...
 

  1.  जिस एफआईआर में टीआरपी स्कैम में गंभीर आरोपों का जिक्र है, उसमें इंडिया टुडे का 6 बार नाम है।
  2. मामले में मुख्य गवाह ने इंडिया टुडे पर ऑन रिकॉर्ड आरोप लगाए हैं। उसने स्पष्ट रूप से कहा है कि उन्हें हंसा रिसर्च ग्रुप प्राइवेट लिमिटेड के रिलेशनशिप मैनेजर विशाल भंडारी द्वारा इंडिया टुडे को देखने के लिए कहा गया था। इंडिया टुडे के खिलाफ यह सबसे मजबूत सबूत है।
  3. शुक्रवार को यह खुलासा किया गया कि इंडिया टुडे को रेटिंग एजेंसी BARC द्वारा टीआरपी में हेराफेरी के मामले में पकड़ा गया था। इंडिया टुडे को 27 अप्रैल, 2020 को कारण बताओ नोटिस के बाद "व्यूअरशिप अनाचार" का दोषी ठहराया गया था, और दर्शकों की संख्या में बेवजह बढ़ाने के लिए BARC को 5,00,000 रुपये का जुर्माना देने के लिए कहा गया था।
  4. पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस मुकुल मुद्गल की अध्यक्षता वाली BARC की अनुशासन समिति ने भी गंभीर टिप्पणी की थी कि इंडिया टुडे को टीआरपी में धांधली का दोषी पाया गया।

 
महाराष्ट्र सरकार के मंत्री दे चुके धमकी
चैनल ने आगे कहा, मुंबई के पुलिस कनिश्नर परम बीर सिंह अपने दुर्भावनापूर्ण और राजनीतिक एजेंडे को पूरा करने के लिए, इंडिया टुडे को इस केस से निकालने के लिए अतिरिक्त मेहनत कर रहे हैं। देश अब जानता है कि पूरा ध्यान इंडिया टुडे पर है। रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क के रिकॉर्ड में है कि महाराष्ट्र सरकार के मंत्री अनिल परब और शिवसेना के शीर्ष नेता सुनील राउत खुले तौर पर रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क को धमकी दे चुके हैं।

चैनल ने कहा, रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क यह भी सबके सामने रखना चाहेगा कि मुंबई पुलिस कमिश्नर की कार्रवाई महाराष्ट्र सरकार और शिवसेना के उसी अभियान का हिस्सा है, जिसके तहत शिवसेना ने 10 सितंबर को केबल नेटवर्क वितरकों को रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क की चैनल ना दिखाने के लिए कहा था। 

'इस लड़ाई को जीतेंगे'
इस द्वेष से लड़ाई में रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। चैनल ने कहा, हमने महाराष्ट्र सरकार को अपनी कानूनी कार्रवाई के नोटिस भेजे हैं। हम कानून का पालन करेंगे, हम इस अत्याचारी अभियान के खिलाफ कानूनी उपाय के लिए दृढ़ हैं। इंडिया टुडे जैसे चैनल, जिन्हें आज मुंबई पुलिस और महाराष्ट्र सरकार का संरक्षण प्राप्त है, उन्हें पता होना चाहिए कि अगर वे स्वतंत्र पत्रकारिता करना शुरू करते हैं और उनसे कल सवाल करते हैं तो सिक्का पलट सकता है। रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क इस लड़ाई को लड़ेगा और जीतेगा। यह जीत कानून की अदालतों और जनता की अदालतों में होगी।

क्या है मामला?
मुंबई पुलिस ने पिछले दिनों टीआरपी रैकेट को लेकर खुलासा किया था। पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह ने बताया था कि रिपब्लिक टीवी समेत 3 टीवी चैनल ने टीआरपी सिस्टम से फर्जीवाड़ा किया था। उन्होंने यह भी कहा कि पैसे देकर लोगों को घर में रिपब्लिक टीवी चलाकर रखने को कहा जाता था। हालांकि, पुलिस के इस खुलासे पर सवाल खड़े हो रहे हैं।

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