जर्मनी की डिफेंस दिग्गज टीकेएमएस को भारत में 6 पनडुब्बियों के निर्माण की डील पक्की, दो डिफेंस कॉरिडोर में इन्वेस्टमेंट पर भी चर्चा

राजनाथ सिंह से जर्मनी के रक्षा मंत्री बोरिस पिस्टोरियस ने पनडुब्बी निर्माण सौदे के साथ यूपी और तमिलनाडु में दो डिफेंस कॉरिडोर में इन्वेस्टमेंट पर द्विपक्षीय वार्ता की है।

 

TKMS to win Indias Submarine deal: जर्मनी के रक्षा क्षेत्र की दिग्गज कंपनी थिसेनक्रुप मरीन सिस्टम्स (टीकेएमएस) भारत में पनडुब्बी निर्माण के बड़े टेंडर को हासिल करने की दिशा में मजबूत कदम बढ़ा रहा है। अगर सबकुछ ठीकठाक रहा तो जर्मन कंपनी, भारत में 5.8 अरब डॉलर की छह नेक्स्ट जेनरेशन स्टील्थ पारंपरिक पनडुब्बियों का टेंडर हासिल कर लेगी। मंगलवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से जर्मनी के रक्षा मंत्री बोरिस पिस्टोरियस ने इस मुद्दे पर द्विपक्षीय वार्ता की है। पनडुब्बी निर्माण सौदे के साथ यूपी और तमिलनाडु में दो डिफेंस कॉरिडोर में इन्वेस्टमेंट पर भी चर्चा की।

छह पनडुब्बियों के बारे टीकेएमएस के सौदे पर बात

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जर्मनी के रक्षा मंत्री बोरिस पिस्टोरियस ने नई दिल्ली में कहा कि "हम छह पनडुब्बियों के बारे में टीकेएमएस के सौदे के बारे में बात कर रहे हैं। टेंडर प्रक्रिया अभी समाप्त नहीं हुई है। मुझे लगता है कि जर्मन उद्योग इस दौड़ में एक अच्छी जगह पर है।" उधर, अपनी बातचीत के दौरान राजनाथ सिंह ने रक्षा उत्पादन में संभावित अवसरों पर प्रकाश डाला और भारत की आपूर्ति श्रृंखलाओं को गति देने के लिए जर्मन निवेश की गुंजाइश पर जोर दिया। सिंह ने भारत और जर्मनी के बीच संबंधों की सहजीवी प्रकृति पर भी जोर दिया।

टेक्नोलॉजी ट्रांसफर पर भी सहमति

इन पनडुब्बियों के लिए रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल (RFP) जुलाई 2021 में जारी किया गया था। लेकिन इसे अगस्त 2023 तक बढ़ा दिया गया है। डील के तहत विदेशी पनडुब्बी निर्माता को देश में इनका निर्माण करने के लिए एक भारतीय कंपनी के साथ साझेदारी करनी होगी। पनडुब्बी निर्माता को ईंधन-सेल-आधारित एयर इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन (एआईपी) के लिए एक विशिष्ट तकनीक भी स्थानांतरित करनी होगी। टेक्नोलॉजी ट्रांसफर के मामले में अधिकतर देशों की रक्षा कंपनियों ने हाथ पीछे खींच ली है। हालांकि, जर्मन और दक्षिण कोरियाई कंपनियों ने टेक्नोलॉजी ट्रांसफर पर सहमति जताई है।

डील लगभग जर्मनी के पक्ष में...

सूत्रों की मानें तो बर्लिन के पक्ष में डील लगभग पक्की है। इंटर-गवर्नमेंटल डील के अंतर्गत, जर्मनी की कंपनी को टेंडर देना लगभग फाइनल कर दिया गया है। जर्मन कंपनी रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम मझगांव डॉक लिमिटेड (एमडीएल) के साथ हाथ मिलाने के लिए तैयार हो गई है।

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