भारतीय उपमहाद्वीप पर नजर रखेगा जीसैट-1 सैटेलाइट, 16 मंजिला इमारत के बराबर ऊंचे रॉकेट से होगा लॉन्च

जियो इमेजिंग सैटेलाइट यानी जीसैट-1 को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से लॉन्च करेगा। इसरो के मुताबिक प्रक्षेपण 5 मार्च को शाम 5: 43 बजे होगा। यह मिशन 18 मिनट का होगा यानी प्रक्षेपण के 18 मिनट बाद जीएसएलवी-एफ10 रॉकेट उपग्रह को उसकी कक्षा में स्थापित कर देगा।

Asianet News Hindi | Published : Mar 3, 2020 2:40 AM IST

नई दिल्ली.  भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) 5 मार्च को GSLV-F 10 के जरिए जियो इमेजिंग सैटेलाइट यानी जीसैट-1 को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से लॉन्च करेगा। जिस जीएसएलवी एफ-10 रॉकेट से इस सैटेलाइट को लॉन्च किया जाएगा, वह 16 मंजिला इमारत के बराबर ऊंचा है और इसका वजन 4,20,300 किलो है। 

जीएसएलवी भरेगी 14 वीं उड़ान

Latest Videos

इसरो के मुताबिक प्रक्षेपण 5 मार्च को शाम 5: 43 बजे होगा। यह मिशन 18 मिनट का होगा यानी प्रक्षेपण के 18 मिनट बाद जीएसएलवी-एफ10 रॉकेट उपग्रह को उसकी कक्षा में स्थापित कर देगा। यह जीएसएलवी की 14वीं उड़ान होगी। इस सैटेलाइट के जरिए देश के किसी भी हिस्से की रीयल टाइम तस्वीरें ली जा सकेगी। 

पृथ्वी से 36 हजार किमी दूर रहेगा सैटेलाइट

इस सैटेलाइट को जीएसएलवी-एफ 10 की मदद से जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट (जीटीओ) में रखा जाएगा। इसके बाद, ऑनबोर्ड प्रपलशन सिस्टम के जरिए यह सैटेलाइट 36 हजार किलोमीटर ऊंचाई वाली अपनी कक्षा में स्थापित हो जाएगा। इसरो ने जानकारी देते हुए बताया कि 2268 किलो वजन वाला जीसैट ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट है। जो बहुत तेजी से धरती की तस्वीरें लेगा। 

इस जीएसएलवी उड़ान में पहली बार 4 मीटर व्यास का ओगिव आकार का पेलोड फेयरिंग (हीट शील्ड) लगाया गया है। यह स्पेसक्राफ्ट के लिए सुरक्षा का काम करता है। कोन के आकार का पेलोड फेयरिंग लॉन्च के दौरान वायुमंडल से पैदा होने वाली गर्मी और वायुमंडलीय दबाव से स्पेसक्राफ्ट को बचाता है।  

50 मीटर से 1.5 किलोमीटर की रिजोल्यूशन में लिया जा सकेगा फोटो 

इस उपग्रह में विशेष पे लोड उपकरण हैं। इसमें इमेजिंग कैमरों की एक लंबी रेंज है, जिसमें इंफ्रारेड और थर्मल इमेजिंग की खूबियां हैं। साथ ही कई हाई-रिजोल्यूशन वाले कैमरे भी लगाए गए हैं, जो उपग्रह की ऑन बोर्ड प्रणाली द्वारा ही संचालित होंगे। यह 50 मीटर से 1.5 किलोमीटर की रिजोल्यूशन में फोटो ले सकता है। इस सैटेलाइट की मदद से भारतीय उपमहाद्वीप पर 24 घंटे नजर रखी जा सकेगी।

सीमा सुरक्षा, मौसम की भविष्यवाणी में साबित होगा मददगार

इस सैटेलाइट के सफलतापूर्वक लांच होने के बाद जब यह काम शुरू करेगा तो उसके बाद भारतीय सीमाओं की चौकसी और भी पैनी हो जाएगी। आमतौर पर जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट देश के किसी हिस्से से गुजरने के बाद निश्चित समय के बाद ही दोबारा फिर वहां पहुंचते हैं। लेकिन जीसैट-1 पृथ्वी की ऐसी कक्षा में रहेगा, जहां से वह पूरे उपमहाद्वीप पर हमेशा नजर रख सकेगा। यह सैटेलाइट मौसम की भविष्यवाणी और प्राकृतिक आपदा में काफी मददगार साबित होगी।  

Share this article
click me!

Latest Videos

Garib Rath Express Train: ट्रेन में भाग खड़े हुए पैसेंजर, Shocking Video आया सामने
सुल्तानपुर डकैती के गुनहगारों का हिसाब कर रही STF, अब तक 11 के खिलाफ हुआ एक्शन
Shocking Video: उत्तराखंड में दरका पहाड़ और बंद हो गया हाईवे #Shorts
कहीं आपके घी में तो नहीं है जानवरों की चर्बी, ऐसे करें चेक । Adulteration in Ghee
इस्तीफा देने के बाद कहां रहेंगे केजरीवाल, नहीं है घऱ #Shorts