HAL विकसित कर रहा सिस्टम, दुश्मन की सीमा में 200 किलोमीटर तक की सारी जानकारियां एक झटके में मिलेगी

एक अधिकारी ने एशियानेट को बताया कि यह कॉस्ट-इफेक्टिव है। यह एक उपग्रह चलाने की तुलना में बहुत सस्ता है। आप जहां चाहें वहां रख सकते हैं। इसे दुश्मन के 200 किलोमीटर से अधिक क्षेत्र में देखा जा सकता है।

नई दिल्ली। देश की सैन्य क्षमता अल्ट्रा-एडवांस होने के साथ साथ आत्मनिर्भर भारत की दिशा में लगातार आगे बढ़ रही है। सरकार के स्वामित्व वाली विमान-निर्माता कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (Hindustan Aeronautics Limited) दो साल के भीतर एक फ्यूचरिस्टिक हाई एल्टीट्यूड स्यूडो-सैटेलाइट सिस्टम (High Altitude Pseudo-Satellite system) का पहला प्रोटोटाइप जारी करेगी। यह सिस्टम स्पेस ऑपरेशन्स में क्रांति लाएगा। इस सिस्टम से दुश्मन क्षेत्र में प्रवेश किए बगैर 200 किलोमीटर की रेंज में सारी जानकारियां हासिल की जा सकेगी। एचएएल (HAL) के अलावा, दो कंपनियां हैं जो दुनिया भर में ऐसी टेक्नोलॉजी पर काम कर रही हैं। यह कंपनियां फ्रांस (France) और यूएसए (USA) में हैं।

पहला प्रोटोटाइप साइज में एक तिहाई होगा

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एचएएल के शीर्ष अधिकारी के अनुसार, पहला प्रोटोटाइप (Prototype)  अपने आकार का एक तिहाई होगा। यह करीब 70 फीट का होगा। इस पेस टेक्नोलॉजी का उपयोग न केवल रक्षा उद्देश्यों के लिए किया जाएगा, बल्कि इसका उपयोग भूवैज्ञानिक सेवाओं, आपदा प्रबंधन, मौसम संबंधी उद्देश्यों के लिए भी किया जा सकता है।

अंतिम प्रोटोटाइप कुछ सालों में आने की संभावना

अंतिम प्रोटोटाइप कुछ वर्षों में आ जाएगा। इस प्रणाली को विकसित करने में प्राथमिक स्टेज पर 700 करोड़ रुपये खर्च हो रहे हैं। इसकी पेलोड कैपेसिटी 30-35 किलोग्राम होगी और दुश्मन की टेरीटरी में सर्विलांस की क्षमता 200 किलोमीटर होगी। फ्रांसीसी और अमेरिकी कंपनियां केवल 15-किलोग्राम की पेलोड क्षमता के लिए विकास कर रही हैं।

सौर उर्जा से चलेगी प्रणाली

करीब 500 किलोग्राम वजनी यह प्रणाली सौर ऊर्जा पर चलेगी। यह समताप मंडल (stratosphere) में या 70,000 फीट की ऊंचाई पर उड़ान भरेगी। एक अधिकारी ने एशियानेट को बताया कि यह कॉस्ट-इफेक्टिव है। यह एक उपग्रह चलाने की तुलना में बहुत सस्ता है। आप जहां चाहें वहां रख सकते हैं। इसे दुश्मन के 200 किलोमीटर से अधिक क्षेत्र में देखा जा सकता है।

स्टार्टअप के सहयोग से विकसित किया जा रहा

परियोजना को एचएएल द्वारा बेंगलुरु स्थित टेक स्टार्ट-अप के सहयोग से विकसित किया जा रहा है। HAPS एचएएल के मानवरहित ड्रोन युद्ध कार्यक्रम का एक हिस्सा है जिसे संयुक्त वायु टीमिंग सिस्टम के रूप में भी जाना जाता है। CATS में चार घटक होते हैं। एक मदर शिप है। सिस्टम को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि यह यूएवी और पारंपरिक उपग्रहों के बीच एक सेतु का काम करेगा।

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