नहीं मिली सरकार से कोई मदद, भुखमरी की कगार पर पीड़िता, बोली- कसाब की तरह हमें भी फांसी दे दो

26 नवंबर साल 2008 में आतंकी कसाब ने एक मछुआरे के परिवार पर कहर ढाया था। एमवी कुबेर बोट पर सवार पांच मछुआरे रोजाना की तरह मछली पकड़ रहे थे। आतंकी कसाब ने शहर में घुसने के लिए उसी बोट पर कब्जा किया और बमभानिया सहित सभी पांच मछुआरों को मारकर समुद्र में फेंक दिया था।

नई दिल्ली. मुंबई हमले के लिए पाकिस्तान से आए आतंकी नाव के रास्ते शहर में दाखिल हुए थे। उन्होंने नाव में सवार करीब 5 मछुआरों को मारकर समुद्र में फेंक दिया था। उनमें से एक मछुआरे का परिवार हमले के 11 साल बाद भी गरीबी और भुखमरी की जिंदगी जी रहा है। पीड़ित परिवार की मुखिया जशीबेन बंभानिया का कहना है कि, 'सरकार ने कसाब को तो फांसी दे दी हमें भी फांसी पर लटकाकार खत्म कर दे।'

गुजरात के जूनागढ़ जिले के सिमसी गांव में दो किलोमीटर की दूरी पर प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना का एक साइनबोर्ड लगा है। साइनबोर्ड से एक किलोमीटर से भी कम की दूरी पर रास्ता कच्छ की ओर जाता है जहां दो मंजिला इमारत खड़ी है। जशीबेन बंभानिया इसी बिल्डिंग में किराए के दो मकान में अपनी गुजर-बसर कर रही हैं।

Latest Videos

समुद्र में मारकर फेंक दिए मछुआरे

जशीबेन के पति का नाम रमेश भाई नागजीभाई बमभानिया था। वह मुंबई में नाव चलाकार पैसा कमाते थे। यात्रियों को इस पार से उस पार छोड़कर जो कमाई होती थी वहीं उनकी आमदनी थी। मछली पकड़ना और बाजार में बेच देना उन पैसों को घर पत्नी और बच्चों के लिए भेज देना। ऐसे ही उनकी गृहस्थी चल रही थी। पर 26 नवंबर साल 2008 में आतंकी कसाब ने उनके परिवार पर कहर ढा दिया। उनकी बोट का नाम एमवी कुबेर था उनके साथ चार और मछुआरे दोस्त थे। आतंकी कसाब ने शहर में घुसने के लिए उस बोट पर कब्जा किया और बमभानिया सहित सभी पांच मछुआरों को मारकर समुद्र में फेंक दिया।

महीने के मात्र 150 रूपये में कैसे करें गुजारा

आज उनकी पत्नी और बच्चे गरीबी में जिंदगी गुजार रहे हैं। हमले के 11 साल बाद भी पीड़ित परिवार को सरकार की तरफ से कोई मुआवजा कोई राहत नहीं मिली है। पीड़ित की पत्नी जशीबेन का कहना है कि, वह मूंगफली की फसल के मौसम में रोजाना खेतों में काम करके लगभग 150 रुपये कमाती हैं। “मेरे परिवार में कोई भी जमीन या घर का मालिक नहीं है, मेरा पति अमीर नहीं था, लेकिन वह हमारी बुनियादी जरूरतों का खर्च उठा सकता था। पति की मौत को 11 साल बीत चुके हैं और आज भी हमें खाली पेट सोना पड़ता है।" 

नहीं हो रही बेटी की शादी

उनकी एक बड़ी बेटी है जिसका शादी कहीं तय नहीं हो पा रही है। उन्हें उम्मीद थी कि वह मुआवजे के पैसे मिलने पर घर बनवा पाएंगी। बेटी की शादी किसी अच्छे घर में करेंगी लेकिन सरकार के चक्कर काटते-काटते परिवार और गरीब हो गया। उनका एक बेटा कहीं फॉर्म में काम करता है लेकिन इस महंगाई के जमाने में घर खरीदगने की उसकी हैसियत नहीं है। 

हमें भी कसाब की तरह फांसी पर लटका दो

जशीबेन ने बताया कि, मुआवजे लेने के लिए उन्होंने गुजरात हाई कोर्ट और सरकारी दफ्तरों के कई चक्कर काटे। उन्होंने पति की मौत के सबूत मांगे। उनके पास पति की तस्वीर के अलावा कोई सबूत नहीं है। मुंबई हमले की पीड़ित इस महिला का कलेजा जब दुख से फट जाता है तो वह कहती है कि सरकार ने कसाब को तो फांसी पर लटका दिया अब हमें भी लटका दे ताकि हमारा ये दुख खत्म हो।" 
 

Share this article
click me!

Latest Videos

जय भवानी' PM Modi बोले- महाराष्ट्र में सुशासन और विकास की जीत, झूठ-छल-फरेब की हुई हार
Maharashtra Election Result: जीत के बाद एकनाथ शिंदे का आया पहला बयान
LIVE 🔴 Maharashtra, Jharkhand Election Results | Malayalam News Live
एकनाथ शिंदे या देवेंद्र फडणवीस... कौन होगा महाराष्ट्र का अगला सीएम? डिप्टी सीएम ने साफ कर दी तस्वीर
200 के पार BJP! महाराष्ट्र चुनाव 2024 में NDA की प्रचंड जीत के ये हैं 10 कारण । Maharashtra Result