वह पहले ऐसे भारतीय हैं जिनको विमान उड़ाने का श्रेय जाता है। यही नहीं, पहली बार डिसमिस किए जाने वाले पहले भारतीय अधिकारी भी रहे हैं।
नई दिल्ली। बंगाल के रहने वाले हरीश चंदर सरकार, पहले भारतीय रहे हैं जो इंडियन एयरफोर्स में शामिल हुए थे। वह पहले ऐसे भारतीय हैं जिनको विमान उड़ाने का श्रेय जाता है। यही नहीं, पहली बार डिसमिस किए जाने वाले पहले भारतीय अधिकारी भी रहे हैं। आईए भारतीय वायुसेना के इतिहासकार अचिंत गुप्ता से जानते हैं उस अधिकारी के बारे में जिन्होंने भारतीय वायुसेना में कई रिकॉर्ड बनाया।
पहला अधिकारी जो भारतीय वायुसेना में शामिल हुआ
हरीश चंदर सरकार ने 8 अक्टूबर 1932 को भारतीय वायुसेना में शामिल होने के साथ पहले भारतीय अधिकारी के रूप में कमीशन्ड होने का रिकॉर्ड बनाया। आश्चर्य की बात यह कि एयरफोर्स के इतिहास में बर्खास्त होने वाले पहले भारतीय अधिकारी भी हरीश चंदर सरकार ही रहे। उनको मार्च 1935 में सेवा से बर्खास्त किया गया था।
हरीश सरकार एक सुसंस्कृत और कुलीन बंगाली परिवार से थे। बचपन से ही उड़ान भरने के जुनून ने उनको भारतीय वायुसेना में शामिल कराया। सितंबर 1930 में उन्हें ब्रिटेन के लिंकनशायर में आरएएफ कॉलेज क्रैनवेल में पायलट के रूप में ट्रेनिंग लेने के लिए छह लोगों को चुनाव गया। ट्रेनिंग में एवरो लिंक्स, आर्मस्ट्रांग व्हिटवर्थ एटलस और एडब्ल्यू सिस्किन जैसे विमानों पर उड़ान भरना शामिल था। उड़ान और क्लास ट्रेनिंग के बीच, हरीश चंदर सरकार ने खेलों पर भी ध्यान देते रहे। वह हॉकी टीम के कप्तान भी रहे।
130 घंटे की उड़ान के साथ क्रैनवेल से ग्रेजुएट
जुलाई 1932 तक सरकार ने लगभग 130 घंटे की उड़ान भरी। चार भारतीयों के साथ क्रैनवेल से स्नातक की उपाधि प्राप्त की। बेस्ट पायलट होने की वजह से कमीशन प्राप्त करते हुए फर्स्ट रैंक मिला। लेकिन IAF का गठन होने में समय होने की वजह से कुछ महीनों के लिए आर्मी को-आपरेशन कोर्स किया। हालांकि, प्रवेश के समय टॉप पर रहने वाले सरकार को कोर्स खत्म होने के बाद पांचवें स्थान पर रखा गया। उनके ऊपर चार ब्रिटिश अधिकारी थे। फिर उनको रॉयल एयरफोर्स के 16 स्क्वाड्रन में तैनात किया गया जिसमें अन्य भारतीय भी यूनिट के साथ उड़ान भरके भारत जाने को तैयार थे।
भारतीय वायुसेना के अस्तित्व में आने पर कई और उपलब्धियां जुड़ी
भारतीय वायुसेना का पहला स्क्वाड्रन अपने कमांडिंग ऑफिसर बॉय बाउचियर के साथ नित नई ऊंचाईयों को छूने लगा था। हरीश चंदर सरकार ने मई 1933 में दो और उपलब्धि अर्जित की। वह पहली बार भारतीय वायुसेना के विमान को उड़ाने वाले भारतीय होने का गौरव हासिल करने केसाथ पहली बार किसी भारतीय वायुसेना के विमान को अकेले उड़ाने का भी खिताब हासिल किए। सरकार को अपने स्किल में इतनी विशेषज्ञता थी कि बहुत जल्द ही वह बाउचर और फ्लाइट कमांडर पीटर ब्रॉड के साथ आईएएफ फॉर्मेशन फ्लाइट का हिस्सा बन गए। जब किंग का जन्मदिन आया तो वह फ्लाईपास्ट में भाग लेने वाले एकमात्र भारतीय थे।
बर्खास्त होने वाले भी पहले वायुसैनिक
हरीश चंदर सरकार, वायुसेना से बर्खास्त होने वाले भी पहले अधिकारी हैं। वह बाउचर के सबसे पसंदीदा थे। 8 जनवरी 1935 की एक सुबह, एक Wapiti, जिसके पायलट हरीश सरकार थे, 4/10 बलूच सैनिकों से टकरा गई। इसमें 15 से अधिक लोग मारे गए। सरकार और गनर अब्दुल सलाम घायल होने से बच गए। उन पर कार्रवाई की शुरूआत हुई। हालांकि, सरकार को बचाने के लिए बाउचर ने पूरा जोर लगा दिया। उनके सहयोगियों, मुख्य तकनीकी अधिकारी, स्क्वाड्रन लीडर नॉर्टन ने एयरोफ़ॉइल पर विंड करेंट्स के प्रभाव को लेकर कोर्ट में बहस की लेकिन फिर भी नतीजा उनके पक्ष में नहीं हुआ। वायुसेना से उनकी विदाई हुई। हालांकि, बाद में वह सिविल एविएशन ज्वाइन कर लिए। 1977 में उनका निधन हो गया।
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