रेवड़ी कल्चर पर SC ने कहा-मुफ्त उपहार एक महत्वपूर्ण मुद्दा, इस पर बहस की जरूरत है

जुलाई में मोदी के एक बयान के बाद सियासी बहस का मुद्दा बने 'रेवड़ी कल्चर' पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई हो रही है। मामले की सुनवाई खुद सीजेआई एनवी रमना की अगुवाई वाली तीन जजों की बेंच कर रही है, जिसमें जस्टिस जेके महेश्वरी और जस्टिस हिमा कोहली शामिल हैं। 

Amitabh Budholiya | Published : Aug 23, 2022 1:42 AM IST / Updated: Aug 23 2022, 12:29 PM IST

नई दिल्ली. चुनावों में मतदाताओं को रिझाने राजनीति दलों की ओर से की जाने वालीं लुभावनी घोषणाओं को 'रेवड़ी कल्चर' का नाम दिया गया है। जुलाई में मोदी के एक बयान के बाद सियासी बहस का मुद्दा बने 'रेवड़ी कल्चर' पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है। इस मामले में मंगलवार(23 अगस्त) को भी सुनवाई हुई। मामले की सुनवाई खुद सीजेआई एनवी रमना की अगुवाई वाली तीन जजों की बेंच कर रही है, जिसमें जस्टिस जेके महेश्वरी और जस्टिस हिमा कोहली शामिल हैं। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मुफ्त उपहार एक महत्वपूर्ण मुद्दा है और इस पर बहस की जरूरत है। सीजेआई एनवी रमना का कहना है कि मान लीजिए कि केंद्र एक कानून बनाता है कि राज्य मुफ्त नहीं दे सकते हैं, तो क्या हम कह सकते हैं कि ऐसा कानून न्यायिक जांच के लिए खुला नहीं है। देश के कल्याण के लिए हम इस मुद्दे को सुन रहे हैं।

सुप्रीम कोर्ट में यूं चली सुनवाई
CJI रमना ने कपिल सिब्बल से पूछा कि हमने आपका जवाब पढ़ा। आप अपने पुराने स्टैंड पर लौट आए हैं। इस पर सिब्बल ने हां कहते हुए कहा कि महात्मा गांधी ने एक बार कहा था कि समझदार व्यक्ति हमेशा अपने स्टैंड में सुधार करता है। लेकिन ऐसा नहीं है कि मैं खुद को समझदार कहने की कोशिश कर रहा हूं। रमना ने कहा कि यह एक अहम मुद्दा है। अगर कल कोई राज्य एक योजना का ऐलान करता है और सभी को इससे फायदा मिल सकता है। तो क्या यह कहना सही होगा कि ये सरकार का विशेषाधिकार है? हम इसमें दखल नहीं दे सकते? इस मुद्दे पर बहस आवश्यक है। 

सुप्रीम कोर्ट भी मान चुका रेवड़ी कल्चर को गंभीर
11 अगस्त को  हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने रेवड़ी कल्चर को गंभीर माना था। SC का दो टूक कहना था कि पैसों का उपयोग इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए होना चाहिए। इस मामले में आम आदमी पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट को तर्क दिया था कि कल्याणकारी योजनाओं और मुफ्त के रेवड़ी कल्चर में अंतर है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अर्थव्यवस्था, पैसा और लोगों के कल्याण के बीच संतुलन जरूरी है।

उधर, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस पर जनमत संग्रह तक कराने की मांग उठाई है। सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि ये फ्री योजनाएं देश, राज्य और जनता पर बोझ बढ़ाता है। इस पर सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि सरकार भी इस बात से सहमत है। ऐसी आदतें आर्थिक विनाश की ओर ले जाती हैं। याचिकाकर्ता ने विशेषज्ञ कमेटी बनाने की मांग की थी, लेकिन बेंच ने कहा कि पहले अन्य के सुझाव पर भी गौर करेंगे। आम आदमी पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर इस मुद्दों पर विचार के लिए विशेषज्ञ कमिटी के गठन की मांग का विरोध किया था। 

PM मोदी के बयान से पकड़ा था मामले ने तूल
16 जुलाई को पीएम नरेंद्र मोदी बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे का लोकार्पण करने आए थे। इस दौरान उन्होंने कहा था-"रेवड़ी कल्चर से देश के लोगों को बहुत सावधान रहना है। हमारे देश में मुफ्त की रेवड़ी बांटकर वोट बटोरने का कल्चर लाने की कोशिश हो रही है। ये रेवड़ी कल्चर देश के विकास के लिए बहुत घातक है। रेवड़ी कल्चर वालों को लगता है कि जनता जनार्दन को मुफ्त की रेवड़ी बांटकर, उन्हें खरीद लेंगे। हमें मिलकर उनकी इस सोच को हराना है, रेवड़ी कल्चर को देश की राजनीति से हटाना है।"

मोदी की इस स्पीच के बाद रेवड़ी कल्चर को लेकर देशभर में बहस छिड़ गई थी। मोदी के इस बयान पर सपा चीफ  अखिलेश यादव ने ट्वीट में लिखा था कि रेवड़ी बाँटकर थैंक्यू का अभियान चलवाने वाले सत्ताधारी अगर युवाओं को रोज़गार दें तो वो ‘दोषारोपण संस्कृति’ से बच सकते हैं। रेवड़ी शब्द असंसदीय तो नहीं?

AAP को है मोदी के बयान पर ऐतराज
मोदी के कटाक्ष पर विपक्षी दलों ने मोर्चा खोल रखा है। AAP कार्यकओं ने मोदी के बयान के तत्काल बाद पूरे गुजरात में प्रदर्शन किया था। प्रदर्शन के दौरान कार्यकर्ताओं को अहमदाबाद, सूरत, राजकोट और वडोदरा में हिरासत में भी लिया गया था। दरअसल, AAP ने 200 यूनिट तक बिजली बिल माफी जैसी मुफ्त या अत्यधिक सब्सिडी वाली सेवाओं के दिल्ली मॉडल को प्रदर्शित करके चुनावी अभियान गुजरात में अपने चुनावी अभियान को आधार बनाया है।

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