निर्भयाः हाईकोर्ट ने दोषियों को दिया 7 दिन का वक्त, फैसले के खिलाफ SC पहुंची केंद्र सरकार

केंद्र सरकार और तिहाड़ जेल प्रशासन ने हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल कर ट्रायल कोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी थी। जिसमें सुनवाई करते हुए कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। जिस पर कोर्ट ने फैसला सुनाया है। 

नई दिल्ली. निर्भया बलात्कार और हत्या मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को अपना फैसला सुनाया है। जिसमें कोर्ट ने सभी दोषियों को निर्देश दिया है कि चारों दोषी 7 दिन के भीतर अपने सभी कानूनी विकल्प अजमा लें। इसके साथ ही उन्होंने यह साफ किया है कि सभी दोषियों को एक साथ ही फांसी होगी। हाईकोर्ट के इस फैसले पर केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रूख किया है। केंद्र सरकार की मांग है कि जिन दोषियों के सभी कानून विकल्प खत्म हो गए हैं उन्हें फांसी दी जाए। लेकिन हाईकोर्ट ने बुधवार को सुनाए गए अपने फैसले में सरकार की इस मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया था। 

निर्भया मामले में चार दोषियों की फांसी की सजा पर अनिश्चितकालीन रोक को चुनौती देने वाली केंद्र सरकार की याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने रविवार को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। गौरतलब है कि किसी एक दोषी की याचिका पेंडिंग होने के कारण शेष तीन दोषियों की फांसी पर भी ब्रेक लग जाता है। ऐसे में सरकार का कहना है कि दोषियों को राहत नहीं दी जा सकती। 

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22 जनवरी फिर 1 फरवरी, जब टल गई फांसी 

निर्भया के साथ दरिंदगी करने वाले चार दोषियों विनय, पवन, अक्षय और मुकेश को पहले 22 जनवरी की सुबह सात बजे फांसी दी जानी थी। लेकिन दोषियों ने कानून दांव पेंच का प्रयोग कर फांसी रोकवा ली थी। जिसके बाद दिल्ली की पटियाला कोर्ट ने नया डेथ वारंट जारी करते हुए दोषियों के 1 फरवरी की सुबह 6 बजे फांसी पर लटकाने का आदेश दिया था। लेकिन दोषियों ने एक फिर पैंतरेबाजी कर मौत की तारीख को टाल दिया। 

दोषी अक्षय की याचिका है लंबित

इस मामले में तीन लोगों की क्यूरेटिव पिटिशन सुप्रीम कोर्ट खारिज कर चुका है जबकि मुकेश और विनय की दया याचिका भी राष्ट्रपति ने खारिज कर दी है। वहीं, अक्षय की दया याचिका फिलहाल राष्ट्रपति के पास लंबित है। दोषियों की तरफ से नई- नई याचिका लगाने और कोर्ट में उनके लंबित रहने के चलते ही दो बार उन्हें फांसी दिए जाने के लिए जारी किया गया। 

क्या है पूरा मामलाः 

दक्षिणी दिल्ली के मुनिरका बस स्टॉप पर 16-17 दिसंबर 2012 की रात पैरामेडिकल की छात्रा अपने दोस्त को साथ एक प्राइवेट बस में चढ़ी। उस वक्त पहले से ही ड्राइवर सहित 6 लोग बस में सवार थे। किसी बात पर छात्रा के दोस्त और बस के स्टाफ से विवाद हुआ, जिसके बाद चलती बस में छात्रा से गैंगरेप किया गया।जिसके बाद लोहे की रॉड से क्रूरता की सारी हदें पार कर दी गईं। 

छात्रा के दोस्त को भी बेरहमी से पीटा गया। बलात्कारियों ने दोनों को महिपालपुर में सड़क किनारे फेंक दिया। पीड़िता का इलाज पहले सफदरजंग अस्पताल में चला, सुधार न होने पर सिंगापुर भेजा गया। घटना के 13वें दिन 29 दिसंबर 2012 को सिंगापुर के माउंट एलिजाबेथ अस्पताल में छात्रा की मौत हो गई।

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