Hijab Row : होली की छुट्‌टी के बाद सुप्रीम कोर्ट करेगा हिजाब बैन से जुड़ी याचिकाओं की सुनवाई

Hijab row in Supreme court : शीर्ष कोर्ट ने कहा है कि वह होली की छुट्टियों के बाद हिजाब से जुड़ी याचिकाओं को सूचीबद्ध करने पर विचार करेगा। कर्नाटक हाईकोर्ट ने कल के अपने फैसले में कहा था कि हिजाब इस्लाम की अनिवार्य धार्मिक प्रथा का हिस्सा नहीं है। उसने छात्राओं की हिजाब बैन से जुड़ी सभी याचिकाएं खारिज कर दी थीं। 

 

नई दिल्ली। कर्नाटक हाईकोर्ट (Karnata High court) के फैसले के बाद हिजाब बैन (Hijab Ban) के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) में याचिकाएं दायर की गई हैं। वरिष्ठ अधिवक्ता संजय हेगड़े ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष मामले की तत्काल सुनवाई की मांग रखी। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह होली की छुट्टियों के बाद सुनवाई से जुड़ी याचिकाओं को लिस्ट करने पर विचार करेगा। कोर्ट ने संजय हेगड़े की तत्काल सुनवाई करने की मांग वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया। हेगड़े ने मांग की थी कि मांग थी कि, इस मामले की सुनवाई सोमवार को ही की जाए। हालांकि, कोर्ट ने कहा है कि वह होली की छुट्टियों के बाद सुनवाई से जुड़ी याचिकाओं को सूचीबद्ध करने पर विचार करेगा। कर्नाटक हाईकोर्ट ने कल के अपने फैसले में कहा था कि हिजाब इस्लाम की अनिवार्य धार्मिक प्रथा का हिस्सा नहीं है। उसने छात्राओं की हिजाब बैन से जुड़ी सभी याचिकाएं खारिज कर दी थीं। 

छात्राओं ने कहा- अधिकार वापस मिलने तक जारी रहेगी लड़ाई
हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने वाली छात्राओं का कहना है कि हमें न्याय व्यवस्था पर भरोसा था। लेकिन हाईकोर्ट ने जो फैसला दिया वह हमारे साथ अन्याय है। अगर हिजाब इस्लाम की अनिवार्य धार्मिक प्रथा (ERP) नहीं होता तो हम संघर्ष नहीं करते। हम यहां अपने अधिकारों के लिए शिक्षा को खतरे में डाल रहे हैं। हिजाब के लिए हमारी लड़ाई यहीं नहीं रुकेगी। 
 
दिसंबर से उठा विवाद देश भर में फैला
पिछले साल दिसंबर में कर्नाटक उडुपी और मांड्या के कुछ स्कूलों से उठा यह विवाद तूल पकड़ने लगा और जनवरी तक पूरे कर्नाटक में मुद्दा राजनीतिक तौर पर फैल गया। मुस्लिम लड़कियों ने हिजाब पहनकर स्कूल-कॉलेज आना शुरू किया तो हिंदू छात्रों ने भगवा दुपट्‌टा और गमछा पहनना शुरू कर दिया। इसको लेकर कई बार टकराव की स्थिति बनी। मामला गरमाता देख कर्नाटक सरकार ने 5 फरवरी 2022 को एक आदेश जारी कर यूनिफॉर्म कोड लागू कर दिया। इस आदेश को मुस्लिम छात्राओं ने हाईकोर्ट में चुनौती दी। 11 सुनवाई के बाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रितुराज अवस्थी, जस्टिस कृष्णा दीक्षित और जस्टिस एम खाजी की फुल बेंच ने इस मामले में अपना फैसला सुनाया। कोर्ट ने माना कि हिजाब इस्लाम का अनिवार्य धार्मिक हिस्सा नहीं है। कोर्ट ने कहा कि छात्रों को यूनिफॉर्म का पालन करना होगा। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में छिपे हुए हाथ मामले को तूल दे रहे हैं।  

यह भी देखें हिजाब इस्लाम का हिस्सा नहीं', कोर्ट के इस फैसले पर क्या बोले मौलाना सुफियान निज़ामी?

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