अमित शाह ने राम मंदिर आंदोलन के नेता अशोक सिंघल को दी श्रद्धांजलि, ट्वीट में लिखा ये सब

  • शाह ने अशोक सिंघल को रविवार को श्रद्धांजलि दी
  • उन्होंने एक ट्वीट में कहा, “राम जन्मभूमि और राम सेतु आंदोलन व धर्म जागरण के लिए उनका संघर्ष वंदनीय था
  • गृह मंत्री ने एक अन्य ट्वीट में स्वतंत्र सेनानी लाला लाजपत राय को श्रद्धांजलि दी

Asianet News Hindi | Published : Nov 17, 2019 11:48 AM IST / Updated: Jan 20 2020, 05:35 PM IST

नयी दिल्ली: केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने राम जन्मभूमि आंदोलन के नेताओं में से एक अशोक सिंघल को रविवार को श्रद्धांजलि दी और कहा कि इस उद्देश्य के लिये उनका संघर्ष सराहनीय था। शाह ने कहा कि सिंघल ने बेहद धनी परिवार से आने के बावजूद, सभी खुशियां और वैभव का त्याग कर, एक सन्यासी की तरह देश और धर्म की सेवा सारी जिंदगी की। उन्होंने एक ट्वीट में कहा, “राम जन्मभूमि और राम सेतु आंदोलन व धर्म जागरण के लिए उनका संघर्ष वंदनीय था। उनकी पुण्यतिथि पर मैं उन्हें श्रद्धांजलि देता हूं।”

सिंघल 20 सालों तक विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष थे और अयोध्या राम जन्मभूमि आंदोलन से बेहद गहराई से जुड़े थे। 89 साल की उम्र में 17 नवंबर 2015 को उनका निधन हो गया था।

 

स्वतंत्रत सेनानी लाला लाजपत राय को श्रद्धांजलि दी

गृह मंत्री ने एक अन्य ट्वीट में स्वतंत्रता आंदोलन के नायकों में से एक लाला लाजपत राय को उनकी पुण्यतिथि पर याद करते हुए कहा कि वह देशवासियों के लिये प्रेरणा और देशभक्ति के प्रतीक बने रहेंगे। उन्होंने कहा, “लाला लाजपत राय जी एक ऐसे स्वतंत्रता सेनानी थे जिनके नाम से आज भी देशवासियों में राष्ट्रभक्ति तथा प्रेरणा का संचार होता है। मां भारती के लिए सर्वस्व अर्पण करना देश व संस्कृति के प्रति उनके अटूट प्रेम और आदर का परिचायक है। लालाजी के बलिदान को यह कृतज्ञ राष्ट्र कभी भुला नहीं पाएगा।

लाला लाजपत राय जी एक ऐसे स्वतंत्रता सेनानी थे जिनके नाम से आज भी देशवासियों में राष्ट्रभक्ति तथा प्रेरणा का संचार होता है। माँ भारती के लिए सर्वस्व अर्पण करना देश व संस्कृति के प्रति उनके अटूट प्रेम और आदर का परिचायक है। लालाजी के बलिदान को यह कृतज्ञ राष्ट्र कभी भुला नहीं पाएगा। देश के स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले लाला लाजपत राय का निधन 17 नवंबर 1928 को हुआ था।

(यह खबर समाचार एजेंसी भाषा की है, एशियानेट हिंदी टीम ने सिर्फ हेडलाइन में बदलाव किया है।)

 

 

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