कुछ इस तरह गुजरात के छात्रों ने भारतीय राजनीति की बदल दी थी दिशा

यह स्वतंत्र भारत में हुए उस एकमात्र सफल आंदोलन की कहानी है, जिसके परिणास्वरूप सबसे भ्रष्ट और असंवेदनशील सरकार का तख्ता पलट गया था। इस आंदोलन का नेतृत्व गुजरात के छात्रों ने किया था। नव निर्माण आंदोलन की यह कहानी अद्भुत है। 

यह साल 1971 की बात है। भारत ने उसी वक्त पाकिस्तान को हराया था और इंदिरा गांधी दोबारा भारत की प्रधानमंत्री चुनी गई थीं। उन्होंने गरीबी हटाओ का नारा दिया था, जो जल्दी ही गरीबों को हटाओ में बदल गया। गरीब और भी गरीब होते चले गए और धनी और भी ज्यादा धनी। इंदिरा गांधी की विनाशकारी नीतियों का नुकसान खास तौर पर गुजरात को काफी उठाना पड़ा। 1972 में गुजरात में सबसे भयंकर अकाल पड़ा था। उसके बाद खरीफ की फसल भी बर्बाद हो गई थी। इससे जरूरत की चीजों गेहूं, ज्वार और बाजरा की कीमतें आसमान छूने लगी थीं। लोगों को जरूरत का सामान खरीदने के लिए लंबे समय तक लाइन में खड़ा होना पड़ता था, जो खत्म होने का नाम नहीं लेती थीं। वहीं, सरकार जनता की इन परेशानियों की तरफ से आंखें मूंदे थी। 

बहरहाल, इन्हीं हालात के बीच अहमदाबाद इंजीनियरिंग कॉलेज के कुछ नवजवान छात्रों ने ऐसा आंदोलन शुरू किया कि गुजरात सरकार गिर गई। यह देश में अपनी तरह का पहला मामला था। छात्रों ने खाद्य पदार्थों की बढ़ती कीमतों और मेस चार्ज में बढ़ोत्तरी किए जाने के विरोध में आंदोलन शुरू किया था। इस आंदोलन को अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् का समर्थन हासिल था। आंदोलनकारी छात्रों के साथ मिल कर इस संगठन ने नव निर्माण समिति का गठन किया था, जो आंदोलन को नेतृत्व प्रदान कर सके। इसे भारतीय जन संघ (बीजेएस) और कांग्रेस (ओ) का समर्थन भी प्राप्त था। यह आंदोलन बहुत जल्दी तेजी से फैल गया। पूरे राज्य में लोग इससे जुड़ने लगे। सरकार के इस्तीफे की मांग तेज होने लगी। 

Latest Videos

उस समय गुजरात के मुख्यमंत्री चिमनभाई पटेल पर कई आरोप थे। उनमें सबसे बड़ा आरोप मूंगफली तेल घोटाले का था। गुजरात में मूंगफली के तेल का खाना बनाने के लिए सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है। जब आंदोलन काफी तेज हो गया तो राज्य सरकार ने इस्तीफा दे दिया और 9 फरवरी, 1974 को वहां राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया। इसके बाद जयप्रकाश नारायण अहमदाबाद आए और उन्होंने आंदोलनकारी छात्रों की प्रशंसा कर उनका हौसला बढ़ाया। उन्होंने छात्रों से कहा कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, वे आंदोलन जारी रखें। यही नहीं, छात्रों के आंदोलन के समर्थन में मोरारजी देसाई 11 मार्च, 1974 को भूख हड़ताल पर बैठ गए और उन्होंने विधानसभा भंग करने की मांग की। 

इस अनशन ने आंदोलन को और भी भड़का दिया। सरकार ने तेजी से बढ़ते आंदोलन और मोरारजी देसाई के अनशन से घबरा कर 15 मार्च को विधानसभा को भंग कर दिया। इसके बाद मोरारजी देसाई ने अनशन तोड़ा। यह नव निर्माण आंदोलन की बहुत बड़ी सफलता थी। देश भर से लोगों ने आंदोलनकारी छात्रों को बधाई दी। आगे चल कर नव निर्माण आंदोलन देश भर में इसी तरह के आंदोलनों के लिए एक प्रेरणा बन गया। 

इसी तरह का एक आंदोलन बिहार में शुरू हुआ, जहां छात्रों में बढ़ती महंगाई, खाद्यान्नों की कमी और बढ़ती बेरोजगारी के कारण भारी अंसतोष था। छात्रों ने संगठित हो कर सरकार के सामने अपनी मांगें रखीं। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् ने, जिसने नव निर्माण आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, बिहार के छात्र आंदोलन को संगठित करने में मदद करना शुरू किया। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् के साथ समाजवादी युवजन सभा और छात्र संघर्ष समिति भी एकजुट हो गई और आंदोलन के विस्तार के लिए बिहार राज्य संघर्ष समिति की स्थापना की गई। 

नव निर्माण समिति का एक सबसे बड़ा योगदान यह था कि इसने गुजरात में फिर से चुनाव कराए जाने की मांग की। आखिरकार, इसके आगे इंदिरा गांधी को झुकना पड़ा और 10 जून को चुनाव हुए। 12 जून, 1975 को चुनाव परिणाम घोषित हुए। इसी दिन यह बात सामने आई कि इंदिरा गांधी ने चुनाव जीतने के लिए गलत तरीकों का सहारा लिया और इसी के बाद देश पर इमरजेंसी थोप दी गई। गुजरात में विधानसभा चुनाव परिणाम आशा के अनुरूप था। कांग्रेस की बूरी तरह हार हुई। उसे सिर्फ 75 सीटें मिलीं। कांग्रेस (ओ), जन संघ, पीएसपी, और लोकदल (जनता मोर्चा) को 88 सीटों पर जीत हासिल हुई। इसके बाद इनकी संविद सरकार बनी, जिसमें मुख्यमंत्री बाबूभाई जे पटेल बने। नव निर्माण आंदोलन ने एक भ्रष्ट और असंवेदनशील सरकार के खिलाफ छात्रों और मध्य वर्ग के अंसतोष को दिखाया था। इसने छात्र आंदोलन की उस वास्तविक ताकत को दिखाया था, जिससे सरकार का तख्ता पलट गया था।   

कौन हैं अभिनव खरे
अभिनव खरे एशियानेट न्यूज नेटवर्क के सीइओ हैं और 'डीप डाइव विद एके' नाम के डेली शो के होस्ट भी हैं। उनके पास किताबों और गैजेट्स का बेहतरीन कलेक्शन है। उन्होंने दुनिया के करीब 100 से भी ज्यादा शहरों की यात्रा की है। वे एक टेक आंत्रप्रेन्योर हैं और पॉलिसी, टेक्नोलॉजी. इकोनॉमी और प्राचीन भारतीय दर्शन में गहरी रुचि रखते हैं। उन्होंने ज्यूरिख से इंजीनियरिंग में एमएस की डिग्री हासिल की है और लंदन बिजनेस स्कूल से फाइनेंस में एमबीए हैं।

Share this article
click me!

Latest Videos

राजस्थान में बोरवेल में गिरी 3 साल की मासूम, रेस्क्यू ऑपरेशन जारी । Kotputli Borewell News । Chetna
LIVE 🔴: रविशंकर प्रसाद ने भाजपा मुख्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित किया | Baba Saheb |
ममता की अद्भुत मिसाल! बछड़े को बचाने के लिए कार के सामने खड़ी हुई गाय #Shorts
LIVE 🔴: कैथोलिक बिशप्स कॉन्फ्रेंस ऑफ इंडिया द्वारा आयोजित क्रिसमस समारोह में पीएम मोदी का भाषण
Hanuman Ashtami: कब है हनुमान अष्टमी? 9 छोटे-छोटे मंत्र जो दूर कर देंगे बड़ी परेशानी