Opinion भारत और सेना के खिलाफ प्रोपेगेंडा चला रहा अल जजीरा, इसे जल्द रोकने की जरूरत

अल जजीरा का विश्व पटल पर भारत की छवि को धूमिल करने का दुर्भावनापूर्ण इरादा अब पहले से ज्यादा साफ हो चुका है। हाल के दिल्ली दंगों के लिए, अल जजीरा ने दावा किया है कि दिल्ली में दंगे विशेष रूप से मुसलमानों के खिलाफ थे।

Abhinav Khare | Published : Mar 14, 2020 10:08 AM IST

दिल्ली में हाल ही में हुए दंगों से इंटरनेशनल मीडिया भारत विरोधी उन्माद में है। विदेशी मीडिया ने इन दंगों पर मुस्लिम विरोधी दंगों का तमगा लगा दिया है। यह भारत को मुस्लिम विरोधी देश के रूप में दिखाने की कोशिश की साजिश का एक हिस्सा है। कतर की वेबसाइट 'अल जजीरा' का भ्रामक लेखन का इतिहास रहा है। वेबसाइट अक्सर ही आधी अधूरी और भ्रामक जानकारी के आधार पर भारत के खिलाफ लेखों से हमारे नागरिकों में भय पैदा करता है।

अल जजीरा का विश्व पटल पर भारत की छवि को धूमिल करने का दुर्भावनापूर्ण इरादा अब पहले से ज्यादा साफ हो चुका है। हाल के दिल्ली दंगों के लिए, अल जज़ीरा ने दावा किया है कि दिल्ली में दंगे विशेष रूप से मुसलमानों के खिलाफ थे। 

भारत सरकार के खिलाफ अपने एजेंडे में उन्होंने एक बार भी हिंदुओं की मौत, 2 सरकारी कर्मचारियों की मौत और पुलिस और अर्धसैनिक हमलों पर रिपोर्ट नहीं की। उन्होंने रिपोर्ट दिखाई, ''भारत की राजधानी में मस्जिद में आग लगाई गई, पुलिस ने मुस्लिमों पर हमला करने और संपत्तियों में आग लगाने में मदद की।'' हालांकि, अल जजीरा की ऐसी रिपोर्ट कोई नई बात नहीं है। 

2015 में भारत सरकार ने देश का गलत नक्शा दिखाने के लिए 5 दिनों बैन कर दिया था। भारत के अधिकारियों के मुताबिक, अल जजीरा ने मैप में जम्मू-कश्मीर, विशेष रूप से पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर और अक्साई चीन के हिस्सों को भारत में नहीं दिखाया था। 

इतना ही नहीं, मैप में उन्होंने लक्षद्वीप और अंडमान द्वीप समूह को भी भारत का हिस्सा नहीं बताया। न्यूज चैनल भारत के सर्वेक्षण के कॉपीराइट मानचित्र का पालन करने में विफल रहा। यह रक्षा मंत्रालय द्वारा समय समय पर जारी नीति और भारत की 2005 की राष्ट्रीय मानचित्र नीति के खिलाफ था। 

विदेश मंत्रालय ने चैनल को प्रोग्राम कोड के प्रावधानों का उल्लंघन करने का दोषी पाया और पूरे भारत में चैनल के प्रसारण पर 5 दिनों के लिए बैन लगा दिया था। 
 
इतना ही नहीं अल जजीरा भारत में फेक न्यूज फैलाने में भी शामिल रहा है। 6 नवंबर 2017 को अलजजीरा ने एक आर्टिकल छापा था, जिसका टाइटल, ''कश्मीर विवाद पैदा करने वाला नरसंहार, जिसे भुला दिया गया' था। इसमें दावा किया गया ता कि डोगरा शासक हरि सिंह के शासनकाल में जम्मू में सुरक्षाबलों ने हजारों मुस्लिमों की हत्या कर दी थी। हालांकि, इस आर्टिकल में जो तस्वीर इस्तेमाल की गई थी, वह अमृतसर के एक परिवार की थी, जो लाहौर शिफ्ट हुआ था। इसका जम्मू कश्मीर से कोई संबंध नहीं था। 

अल जजीरा भारत पर ऐसी कहानियां करने पर तुला हुआ है, जो पूरी तरह से गलत और झूठी हैं। मीडिया हाउस आम तौर पर भारत को एक ऐसे देश के रूप में दिखाना चाहता है, जो अपने नागरिकों का दमन कर रहा है। साथ ही सेना और अर्धसैनिक बल प्रतिक्रिया देने वाले नागरिकों पर अंकुश लगाने के लिए अन्यायपूर्ण बल का इस्तेमाल कर रहे हैं। 

यहां तक ​​कि उनके पास कश्मीर पर एक अलग पेज बनाया गया है, जहां वे भारत को खलनायक के तौर पर दिखाते हैं। साथ ही इसकी तुलना फिलिस्तीन के संकट से करते हैं। हमें उस एजेंडे को नहीं भूलना चाहिए, जिसकी वजह से अल जजीरा की शुरुआत हुई। इसका एकमात्र उद्देश्य फिलिस्तीन पर इजराइल के कदम का विरोध करना था। इसमें अरब जगत पर खलल डालने का एजेंडा भी शामिल था।

पिछले दिनों हमने सीरिया पर पक्षपाती कवरेज के लिए बेरूत (लेबनान) संवाददाता अली हशेम का इस्तीफा देखा। हमने यह भी देखा कि कैसे उन्होंने बहरीन में प्रदर्शन को नहीं दिखाया, जबकि वे लीबिया और इजिप्ट में यह सब दिखाते रहे। 

यहां तक भी भारत में जिन हमलों में हजारों लोग मारे गए, उनमें शामिल लोगों को उन्होंने कभी आतंकी करार तक नहीं दिया। यहां तक की उन्होंने उन्हें बंदूकधारी बताया। जबकि पूरी दुनिया को पता था कि इन आतंकी हमलों के पीछे कौन लोग थे, लेकिन अल जजीरा ने अपनी आंखों को बंद रखा। वे कश्मीर पर पूरा पेज छाप सकते हैं, लेकिन बलूचिस्तान पर एक शब्द नहीं बोलते। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि अल जजीरा के संपादक मुस्तफा सौहाग हैं। इनका इतिहास इस्लामिक कट्टरवाद के समर्थन का रहा है। अब उन्होंने इस मीडिया संस्थान को अपना हथियार बना लिया है। अल जजीरा ने समय समय पर इस्लामिक कट्टरवादी और यहूदी-विरोधी इखवान का समर्थन किया है। 
 

तो, आइए हमें इस जाल से बचना चाहिए पड़ें और एक पक्ष को हानि ना होने दें। हमें इन झूठी रिपोर्टों का जवाब देने की जरूरत है। मुझे यकीन है कि मेरे भारतीय साथी इसे पक्षपाती चैनल के तौर पर देखेंगे।

लेखक के बारे में: कौन हैं अभिनव खरे?

अभिनव खरे एशियानेट न्यूज नेटवर्क के सीईओ हैं, वह डेली शो 'डीप डाइव विद अभिनव खरे' के होस्ट भी हैं। इस शो में वह अपने दर्शकों से सीधे रूबरू होते हैं। वह किताबें पढ़ने के शौकीन हैं। उनके पास किताबों और गैजेट्स का एक बड़ा कलेक्शन है। बहुत कम उम्र में दुनिया भर के 100 से भी ज्यादा शहरों की यात्रा कर चुके अभिनव टेक्नोलॉजी की गहरी समझ रखते है। वह टेक इंटरप्रेन्योर हैं लेकिन प्राचीन भारत की नीतियों, टेक्नोलॉजी, अर्थव्यवस्था और फिलॉसफी जैसे विषयों में चर्चा और शोध को लेकर उत्साहित रहते हैं। उन्हें प्राचीन भारत और उसकी नीतियों पर चर्चा करना पसंद है इसलिए वह एशियानेट पर भगवद् गीता के उपदेशों को लेकर एक सफल डेली शो कर चुके हैं।

मलयालम, अंग्रेजी, कन्नड़, तेलुगू, तमिल, बांग्ला और हिंदी भाषाओं में प्रासारित एशियानेट न्यूज नेटवर्क के सीईओ अभिनव ने अपनी पढ़ाई विदेश में की हैं। उन्होंने स्विटजरलैंड के शहर ज्यूरिख सिटी की यूनिवर्सिटी ETH से मास्टर ऑफ साइंस में इंजीनियरिंग की है। इसके अलावा लंदन बिजनेस स्कूल से फाइनेंस में एमबीए (MBA) भी किया है।     

Share this article
click me!