अपने घर में असुरक्षित होते हिंदू और कैसे राष्ट्रवाद को खत्म कर रहा खास समुदाय?

भाजपा की सत्ता को आए पांच साल से ज्यादा वक्त हो गया। लेकिन अभी भी हिंदू राष्ट्रवादी अपने ही देश में असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। उन्हें उस जमीन पर अभी भी खतरा महसूस होता है, जिसे श्री राम ने उन्हें रहने और घर बनाने को दी। 

अभिनव खरे

भाजपा की सत्ता को आए पांच साल से ज्यादा वक्त हो गया। लेकिन अभी भी हिंदू राष्ट्रवादी अपने ही देश में असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। उन्हें उस जमीन पर अभी भी खतरा महसूस होता है, जिसे श्री राम ने उन्हें रहने और घर बनाने को दी। धर्मनिरपेक्षता की वेदी पर हिंदू अब भी बलि चढ़ते हैं। वे अभी भी अपनी मातृभूमि और पूज्यभूमि पर समान अधिकारों के लिए लड़ रहे हैं।

एक व्यक्ति जो इसके खिलाफ खड़े होने की हिम्मत करता है, सनातन सभ्यता के पक्ष में बोलता है, उसे खत्म कर दिया जाता है। यदि हम इस तरह की घटनाओं का विश्लेषण करते हैं, तो हमें एक पैटर्न मिलेगा।

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आप 6 चरणों में देख सकते हैं कि कैसे एक राष्ट्रवादी को नष्ट किया जा रहा:
 
STEP 1- एक प्रायोजित अभियान चलाएं, जिसमें विदेशी फंडिंग मिले और फ्रॉड अकेडमी जुडे़ं

द वायर टुकड़े-टुकड़े गैंग के साथ काफी कम वक्त में फेमस मीडिया संस्थान बन गया। वे स्वतंत्र पत्रकारिता के माध्यम से सच्चाई दिखाने का दावा करते हैं लेकिन इसका नेतृत्व ऐसे लोगों के समूह के हाथ में है, जिनका अतीत संदिग्ध रहा है और अन्य संदिग्ध समूहों के साथ संबंध हैं। हमने उन्हें हमेशा किसी भी या हर मुद्दे पर सरकार विरोधी एजेंडा चलाते हैं। वे नागरिकों के बीच टकराव की स्थिति पैदा करने की एक मशीनरी की तरह काम करते हैं। 

इस वेबसाइट पर आप एक हेडलाइन देख सकते हैं, ''सरकार की साबरमती आश्रम को वर्ल्ड क्लास बनाने की योजना, स्थानीय निवासियों में डर'' 

सरकार के एक प्रगतिशील कदम, जिसके तहत एक आश्रम को वर्ल्ड क्लास बनाने की बात कही जा रही है, उसे संदेह की नजर से देखना। हालांकि, दूसरी तरफ वायर के संस्थापक एक अमेरिकी नागरिक हैं।  

यह इस तरह से करने वाले अकेले एक नहीं हैं। हमने देखा था कि टाइम मैगजीन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 'डिवाइडर इन चीफ' बताया था। इसी तरह से हमने क्विंट, वॉशिंगटन पोस्ट और स्क्रॉल के बारे में भी देखा। वे भी यहीं कर रहीं हैं। ये सारे विदेशी संगठनों से फंड प्राप्त करते हैं और इनका सिर्फ एक एजेंडा है कि किस तरह से देश में नफरत और भय को फैलाया जाए। इन लोगों के पास इंटेलेक्चुअल्स की पूरी सेना है, जिन्होंने सरकार के खिलाफ 'शूट एंड स्कूट' पॉलिसी चला रखी है। ये लोग एक मुद्दे से दूसरे पर लगातार कूदते रहते हैं, जिससे लोगों के मन में पीएम मोदी के खिलाफ संदेह पैदा हो सके। उनका मकसद किसी समस्या को सुलझाने का नहीं, बल्कि सिर्फ लोगों को गुमराह करना घृणा फैलाने का काम होता है। ये लोग तथ्यों और इतिहास को तोड़-मरोड़ कर पेश करते हैं और विपक्ष के लिए नरम रुख रखते हैं। 
 
ये लोग ऑनलाइन ट्रोल बन जाते हैं और किसी भी ऐसे व्यक्ति को रोकते हैं जो राष्ट्र के लिए बोलता है। उसके जीवन और करियर को खत्म कर देते हैं। 

STEP 2-  जो स्टेप 1 से बच जाएं उन्हें जेल भेज दो 

न्यायपालिका अभी भी वाम माफिया से निपट रही है। (कांग्रेस नेता और वकील अभिषेक मनु सिंघवी के उस वीडियो को याद करिए, जिसमें एक फेमस महिला वकील ने उनसे कहा था कि क्या संबंध बनाने के बदले उसे जज बनाया जा सकता है)। 

हाल ही में हमने एक हिंदू सेनानी कमलेश तिवारी को खो दिया। उन्हें अखिलेश यादव सरकार में गिरफ्तार किया गया था। तिवारी पर आरोप था कि उन्होंने किसी के संबंधों के बारे में बात की थी, जो शांतिप्रिय लोगों को पसंद नहीं आया। 

लेकिन लोग ये भूल गए कि यह समाजवादी नेता आजम खान की उस टिप्पणी पर प्रतिक्रिया थी। जिसमें आजम खान ने कहा था कि आरएसएस के सभी प्रचारक अविवाहित रहते हैं, क्योंकि वे समलैंगिक हैं। इसके बावजूद राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत तिवारी को गिरफ्तार किया गया। जहां उन्होंने एक साल बिताया। लेकिन खान घूमते रहे। 

प्रज्ञा ठाकुर का भी यही हाल था! वह अभी भी देश में हिंदू-विरोधी भावनाओं का शिकार हैं, जिन्हें मालेगांव ब्लास्ट मामले में झूठा आरोप लगाकर जेल में डाला गया और निर्ममता से पीटा गया था।
 
STEP 3- फिर भी जो ना माने उसकी हत्या कर दो!
कमलेश तिवारी जैसे लोग वाकई बेशर्म हैं! वे सजा के बाद भी चुप रहना नहीं सीखते! वे अब भी अपनी मातृभूमि और अपनी मान्यताओं के लिए लड़ते रहते हैं। तो ऐसे जिद्दी लोगों को कैसे बंद किया जाए? जवाब बहुत आसान है। मार डालो।

इस चरण में, उनके स्लीपर सेल सक्रिय हो जाते हैं। यहां वे रणनीतिक रूप से सभ्य समुदाय का चोला पहने होते हैं। कुछ ही घंटों में पीड़ित की हत्या कर दी जाएगी। कमलेश तिवारी के हत्यारों ने फेसबुक के जरिए संगठन से जुड़ने की बात कही थी। मर्डर से एक रात पहले ही बात हुई, जिसके बाद अगले दिन मुलाकात फिक्स हुई।  

STEP 4: जो पीड़ितों के प्रति सहानुभूति रखते हैं, उन्हें दोषी महसूस कराओ!

- कमलेश तिवारी को इस वजह से उत्तर मिला!
- कमलेश तिवारी समाज के लिए खतरा थे, वे सांप्रदायिक तनाव को बढ़ावा देते थे!
- अच्छी मुक्ति!

ये शब्द मेरे नहीं हैं। बल्कि ये शब्द कमलेश तिवारी की मौत के बाद सोशल मीडिया पर चल रहे थे। राम जन्मभूमि पर सुनवाई के दो दिन बाद कमलेश तिवारी की हत्या कर दी जाती है। 

तिवारी की हत्या हमारे लिए एक चेतावनी है कि देश वास्तव में कितना असहिष्णु हो गया है। लोग कितना भी जोर से कहें कि भारत अब हिंदुओं पर हावी है, कट्टरपंथ अभी भी आदर्श बना हुआ है।

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता किसी और के लिए है लेकिन हिंदुओं के लिए! लोग कमलेश तिवारी की मृत्यु की मांग कई साल से कर रहे थे, और अब उन्होंने इसे हासिल कर लिया तो हिंदुओं को दोषी महसूस करा रहे हैं कि कमलेश तिवारी वास्तव में एक भयानक व्यक्ति थे।

STEP 5- विषय को हिंदू आक्रामकता की ओर मोड़ें

मौत के बाद मीडिया के आसपास क्या विषय रहा है: हिंदू आक्रामक हैं। हां बिल्कुल! कुछ दिन पहले एक इंसान की गला रेतकर हत्या के बावजूद शांतिप्रिय अभी भी पीड़ित बनने का हथियार नहीं छोड़ेंगे। 

भारत में अल्पसंख्यक कैसे असुरक्षित और खतरे में हैं, इसके बारे में आपको विदेशी मीडिया हाउस को इंटरव्यू देते हुए तमाम डिजाइनर मिल जाएंगे। कमलेश तिवारी की हत्या के दो दिन बाद नास्तिक

 कमलेश तिवारी की हत्या के ठीक दो दिन बाद, एक आत्म-प्रचारक “कम्युनिस्ट नास्तिक” ने शांतिदूतों का ट्विटर पर महिमामंडन किया। इसके बाद स्कॉल, द हिंदू, वायर, क्विंट और तमाम अन्य मीडिया संस्थानों में इसे दिखाने की होड़ मच गई। 
 
Step 6- अशिक्षित साधुओं को टारगेट करना
कुछ अशिक्षित लोगों को खासकर कम शिक्षित साधुओं को जो ग्रामीण इलाकों में रहते हैं उन्हें टारगेट करें। इनसे कुछ ऐसा निकलवाओ जिससे डिबेट कमलेश तिवारी की हत्या से भटक जाए। इन वीडियो को जल्द से जल्द सोशल मीडिया और मीडिया में प्रसारित करो। आप देखेंगे कि कैसे यह डिबेट कमलेश तिवारी की हत्या से भटक जाती है। अब ये डिबेट पहुंच जाती है कि अल्पसंख्यक खतरे में हैं। 

अब आप ऐसे वक्त में कैसे अपने आप को बचाएंगे?

जिस तरह से विभिन्न प्रतिष्ठान द्वारा हिंदुओं के साथ व्यवहार, उससे पता चलता है कि भारत में धर्मनिरपेक्षता की लकीरें कैसी हैं, जो हिंदुओं के अधिकारों को मान्यता देने में भी विफल है। हमारी आकांक्षाएं, आशाएं और सपने वास्तव में शांतिप्रिय समुदाय के लिए चिंता का विषय नहीं हैं।  1926 में स्वामी श्रद्धानंद की हत्या से लेकर 2019 में कमलेश तिवारी की हत्या तक, इतिहास हिंदुओं के खिलाफ बार-बार हिंसा का गवाह रहा है और यह तब तक जारी रहेगा जब तक हिंदू संयुक्त और मुखर नहीं हो जाते। शारीरिक रूप से नहीं बल्कि वैचारिक रूप से। एक विचार कलम और तलवार से अधिक शक्तिशाली है।

कौन हैं अभिनव खरे
अभिनव खरे एशियानेट न्यूज नेटवर्क के सीईओ हैं, वह डेली शो 'डीप डाइव विथ अभिनव खरे' के होस्ट भी हैं। इस शो में वह अपने दर्शकों से सीधे रूबरू होते हैं। वह किताबें पढ़ने के शौकीन हैं। उनके पास किताबों और गैजेट्स का एक बड़ा कलेक्शन है। बहुत कम उम्र में दुनिया भर के सौ से भी ज्यादा शहरों की यात्रा कर चुके अभिनव टेक्नोलॉजी की गहरी समझ रखते है। वह टेक इंटरप्रेन्योर हैं लेकिन प्राचीन भारत की नीतियों, टेक्नोलॉजी, अर्थव्यवस्था और फिलॉसफी जैसे विषयों में चर्चा और शोध को लेकर उत्साहित रहते हैं। उन्हें प्राचीन भारत और उसकी नीतियों पर चर्चा करना पसंद है इसलिए वह एशियानेट पर भगवद् गीता के उपदेशों को लेकर एक सक्सेजफुल डेली शो कर चुके हैं।
अंग्रेजी, हिंदी, बांग्ला, कन्नड़ और तेलुगू भाषाओं में प्रासारित एशियानेट न्यूज नेटवर्क के सीईओ अभिनव ने अपनी पढ़ाई विदेश में की हैं। उन्होंने स्विटजरलैंड के शहर ज्यूरिख सिटी की यूनिवर्सिटी ETH से मास्टर ऑफ साइंस में इंजीनियरिंग की है। इसके अलावा लंदन बिजनेस स्कूल से फाइनेंस में एमबीए (MBA)भी किया है।

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