हमें अपनी जड़ों में जाने की जरूरत, यह केवल इंटेक्चुअल बनने या प्रवचन देने के लिए नहीं बल्कि खुद को जिंदा रखने के लिए

शायद हिंदू ही अकेले ऐसे हैं, जिन्होंने राष्ट्रहित के आधार पर अन्य किसी देश पर कोई हमला नहीं किया। साथ ही, हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि किस तरह से इस्लाम और ईसाई उत्पीड़न के 1100 से ज्यादा साल तक हिदुंत्व ने अपना बचाव किया।

Abhinav Khare | Published : Oct 25, 2019 8:16 AM IST / Updated: Nov 18 2019, 03:56 PM IST

अभिनव खरे

हिंदुत्व विभिन्न धार्मिक परंपराओं का एक मिलान है, जो 6,000 साल पहले भारत की पवित्र भूमि में उत्पन्न हुआ और विकसित हुआ। हिंदू धर्म में वैष्णववाद, शक्तिवाद, वेदवाद और तांत्रिकवाद जैसी तमाम परंपराएं शामिल हैं। 

हिंदू धर्म में कई योगी और तपस्वी और लोक प्रथाएं भी शामिल हैं। ये अब हिंदू धर्म का अभिन्न अंग बन गए हैं, इनकी पहचान करना भी अब बहुत मुश्किल हो जाता है। 

हिंदू धर्म में परंपराओं के तौर पर कई फिलोस्फी अर्थात दर्शन के केंद्र शामिल हैं। इनमें से कुछ दर्शन सांख्य, योग, न्याय, मीमांसा और वेदांत हैं। हिंदुत्व सनातन है। हमारे मूल्य और सिद्धांत शाश्वत हैं। वेदों से लेकर श्रीमद भागवत गीता तक के हमारे ये तर्क और संवाद हजारों सालों से चली आ रहीं ऐतिहासिक घटनाओं के बावजूद जस के तस हैं। हमारा दर्शन व्यापक, पूर्ण और मानवीय है। इसके बावजूद, हम अन्य धर्मों से श्रेष्ठता का दावा नहीं करते हैं। हमारे महान ऋषियों ने किसी को हानि पहुंचाए बिना जीवन के निर्माण और उद्देश्य के रहस्य की जांच की है। 

हिंदू धर्म काफी लचीला यानी सभी को आत्मसात करने वाला है। इसकी कई भिन्न परंपराओं की वजह से इसका दृष्टिकोण भी काफी व्यापक है। हिंदू धर्म में कभी कट्टरता नहीं आई। यह सिर्फ अपनी शिक्षाओं और शास्त्रों के आधार पर आगे बढ़ा है। मुझे हिंदू धर्म के बारे में जो बात अचंभित करती है, वह है इसका लचीलापन और सभी को समाहित करने की क्षमता है। यह वक्त के साथ बदलता जा रहा है। लेकिन इसने कभी अपनी मूल्यों की वास्तिवकता को नहीं खोया। 

हिंदू धर्म इस शब्द की अस्थिर प्रकृति को पहचानता है और यह महसूस करता है कि हमारे साथ परिस्थितियां कितनी आसानी से बदल जाती हैं। लेकिन हिंदू धर्म में हम हमेशा सच्चाई के महत्व को ऊपर रखते हैं और इसे बनाए रखने का प्रयास करते हैं क्योंकि सच को बदला नहीं जा सकता। 

हिंदू धर्म में इसे नियंत्रित करने के लिए किसी भी केंद्रीय अथॉरिटी की जरूरत नहीं है। इसलिए आप जब चाहें हिंदू बन सकते हैं, इसके लिए किसी की अनुमति लेने की जरूरत नहीं है। हिंदू धर्म में भी आचार संहिता नहीं है। आप नास्तिक हो सकते हैं, फिर भी आप हिंदू रहेंगे। यह हिदू धर्म विश्व का सबसे शांत और सहिष्णु धर्म है। साथ ही हिंदू धर्म का कभी किसी दूसरे धर्म के साथ कोई विवाद भी नहीं रहा, जो केवल किसी एक व्यक्ति की शिक्षा के आधार पर बने हैं।  

हिंदू धर्म व्यापक है, इसकी व्यापकता धार्मिक और दार्शनिक आधार पर है। यह अन्य धर्मों के साथ शांति से सह-अस्तित्व में रह सकता है। जहां उसे प्रभुत्व और श्रेष्ठता को कायम रखने के लिए किसी से कोई खतरा भी महसूस नहीं होता।

शायद हिंदू ही अकेले ऐसे हैं, जिन्होंने राष्ट्रहित के आधार पर अन्य किसी देश पर कोई हमला नहीं किया। साथ ही, हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि किस तरह से इस्लाम और ईसाई उत्पीड़न के 1100 से ज्यादा साल तक हिदुंत्व ने अपना बचाव किया।

यही कारण है कि भारत के बंटवारे के वक्त सनातन धर्म ने अपने घर को दूसरों के साथ बांटने में कोई परहेज नहीं किया। अपनी परंपराओं को सालों तक जारी रखने के बाद हम अब भी अपनी जमीन और साधन बिना किसी विरोध के आज भी बांट रहे हैं। हम अभी भी अल्पसंख्यकों को खास प्रावधान दे रहे हैं। इसी से अल्पसंख्यक तुष्टिकरण का भी जन्म हुआ है। 

हिंदू धर्म में दुनिया में सबसे जीवंत और प्रमुख धर्म बनने की क्षमता है, लेकिन इसके लिए हमें अपनी जड़ों पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है। हमें अपने पारंपरिक संस्थानों को मजबूत करना चाहिए और हमारे शास्त्रों में वर्णित मूल्यों, ज्ञान और शिक्षाओं को विकसित करना चाहिए। कोई शक नहीं, हिंदू धर्म एकमात्र धर्म है जो लगातार विकसित हो रहा है और इसका कारण इसकी विशेषताएं और लचीलापन है। लेकिन, बदलते समय के साथ, हमें हिंदू धर्म में एक कदम वापस लेने और संशोधन करने की भी जरूरत है।

यह अविश्वसनीय रूप से महत्वपूर्ण है कि हमें अपने अंदर की ओर देखने की जरूरत है। हिंदुत्व एक व्यापक बोध है। यह प्रतिक्रियात्मक नहीं है, बल्कि आधुनिक वैज्ञानिक तर्कों का सामना करने में भी अपने आप में सक्षम है। दुनिया ने मतभेदों के चलते संघर्ष को देखा है। जबकि कुछ खुद को बचाए रखने के लिए दूसरों के विनाश पर तुले हैं। केवल हिदुओं ने यह साबित किया है कि मतभेद के बाद भी साथ में रहा जा सकता है। हिंदू धर्म के लिए सभी धर्मों, लिंगों, समुदाय, प्रकृति, नदियों, संस्कृतियों, जंगलों, पेड़ों और यहां तक ​​कि कीड़े के साथ समानता और संतुलन ही हिंदुत्व है। 

हमें किसी से मान्यता की जरूरत नहीं है। आइए अपने कर्म पर ध्यान केंद्रित करें और अहिंसा, धर्म और राम राज्य के अमर वंदना के माध्यम से अपना प्रसार करें! सभी मानव जाति के लिए सुख और समृद्धि की प्रार्थना करें। 

कौन हैं अभिनव खरे
अभिनव खरे एशियानेट न्यूज नेटवर्क के सीईओ हैं, वह डेली शो 'डीप डाइव विथ अभिनव खरे' के होस्ट भी हैं। इस शो में वह अपने दर्शकों से सीधे रूबरू होते हैं। वह किताबें पढ़ने के शौकीन हैं। उनके पास किताबों और गैजेट्स का एक बड़ा कलेक्शन है। बहुत कम उम्र में दुनिया भर के सौ से भी ज्यादा शहरों की यात्रा कर चुके अभिनव टेक्नोलॉजी की गहरी समझ रखते है। वह टेक इंटरप्रेन्योर हैं लेकिन प्राचीन भारत की नीतियों, टेक्नोलॉजी, अर्थव्यवस्था और फिलॉसफी जैसे विषयों में चर्चा और शोध को लेकर उत्साहित रहते हैं। उन्हें प्राचीन भारत और उसकी नीतियों पर चर्चा करना पसंद है इसलिए वह एशियानेट पर भगवद् गीता के उपदेशों को लेकर एक सक्सेजफुल डेली शो कर चुके हैं।
अंग्रेजी, हिंदी, बांग्ला, कन्नड़ और तेलुगू भाषाओं में प्रासारित एशियानेट न्यूज नेटवर्क के सीईओ अभिनव ने अपनी पढ़ाई विदेश में की हैं। उन्होंने स्विटजरलैंड के शहर ज्यूरिख सिटी की यूनिवर्सिटी ETH से मास्टर ऑफ साइंस में इंजीनियरिंग की है। इसके अलावा लंदन बिजनेस स्कूल से फाइनेंस में एमबीए (MBA)भी किया है।

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