गृह मंत्रालय ने कहा- एमनेस्टी इंटरनेशल के आरोप सच्चाई से दूर, कानून सबके लिए बराबर है

अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल ने भारत में अपना काम रोकने का आरोप लगाया है। संस्था का आरोप है कि सरकार जानबूझकर संस्था के पीछे पड़ी है। अब इस मामले में भारत सरकार ने अपना पक्ष रखा है। गृह मंत्रालय ने कहा, एमनेस्टी इंटरनेशल के आरोप सच्चाई से परे हैं। भारत में कानून सबके लिए बराबर हैं।

नई दिल्ली. अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल ने भारत में अपना काम रोकने का आरोप लगाया है। संस्था का आरोप है कि सरकार जानबूझकर संस्था के पीछे पड़ी है। अब इस मामले में भारत सरकार ने अपना पक्ष रखा है। गृह मंत्रालय ने कहा, एमनेस्टी इंटरनेशल के आरोप सच्चाई से परे हैं। भारत में कानून सबके लिए बराबर हैं।

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मंगलवार को बयान जारी कर कहा, एमनेस्टी इंटरनेशनल का रुख और बयान दुर्भाग्यपूर्ण हैं और यह सच्चाई से दूर हैं। एमनेस्टी इंटरनेशनल को विदेशी योगदान कानून (एफसीआरए) के तहत 20 साल पहले 19 दिसंबर 2000 में एक बार अप्रूवल मिला है। एमनेस्टी इंटरनेशनल ने एफसीआरए की अनुमति पाने के योग्य नहीं है। 

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अपने मानवीय कार्य जारी रखे संस्था
गृह मंत्रालय ने कहा,  एमनेस्टी भारत में अपने मानवीय कार्य जारी रखने के लिए स्वतंत्र है। लेकिन भारत में ऐसे संगठनों को घरेलू राजनीतिक मुद्दों पर दखल देने की अनुमति नहीं है, जिन्हें विदेशी मदद मिलती है। यह कानून सभी के लिए है। इसमें एमनेस्टी भी शामिल है। 
 
एमनेस्टी ने लगाए आरोप
इससे पहले एमनेस्टी ने आरोप लगाया था कि सरकार ने संस्था के सभी बैंक खातों को फ्रीज कर दिया। उसे इसकी जानकारी 10 सितंबर को मिली। इतना ही नहीं उसका आरोप है कि सरकार ने ये कदम इसलिए उठाए हैं क्यों कि संस्था भारत में मानवाधिकारों के लिए काम कर रही है। संस्था का कहना है कि वह भारत में कर्मचारियों को निकालने और अपने अभियानों को बंद करने के लिए मजबूर हो चुकी है। 

एमनेस्टी इंटरनेशनल पर क्या हैं आरोप?
उधर,  सरकार का कहना है कि ईडी एमनेस्टी के खिलाफ विदेशी फंडिंग हासिल करने में अनियमितताओं के आरोपों की जांच कर रही है। गृह मंत्रालय के मुताबिक, संस्था ने एफडीआई के जरिए पैसे मंगाए। एनजीओ को यह अनुमति नहीं है। पिछले साल सीबीआई ने एमनेस्टी के खिलाफ केस दर्ज किया था।

समाचार एजेंसी के मुताबिक, एमनेस्टी इंडिया को 2011-12 में यूके से 1.69 करोड़ रुपए प्राप्त करने की सरकार की अनुमति मिली थी। लेकिन 2013 के बाद ये अनुमति नहीं दी गई। ईडी ने 2017 में संस्था के अकाउंट फ्रीज किए थे। लेकिन उसे उस वक्त सुप्रीम कोर्ट से कुछ राहत जरूर मिल गई थी। 

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