IAS कैडर नियमों में संशोधन ; क्यों विरोध में उतरे कई राज्य, फैसले से क्यों घबराए ममता और स्टालिन, जानें वजह

Ias cadre rules : मोदी सरकार ने हाल ही में आईएएस कैडर के नियमों में संशोधन का प्रस्ताव रखा है। तमिलनाडु के सीएम स्टालिन ने ट्विटर पर लिखा कि कि मैंने आईएएस कैडर नियम (1954) में संशोधन का विरोध करते हुए पीएम मोदी को एक पत्र लिखा है। इसके साथ ही मैंने अन्य मुख्यमंत्रियों से इस संघवाद की नींव हिलाने वाले फैसले पर अपनी राय व्यक्त करने का आग्रह किया है। 
 

नई दिल्ली। मोदी सरकार ने हाल ही में भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) के अफसरों के कैडर नियमों में संशोधन का प्रस्ताव रखा है। इस प्रस्ताव पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सबसे पहले आपत्ति लगाई। ममता के बाद अब तमिलनाडु के मुख्यमंत्री स्टालिन भी इस प्रस्ताव के विरोध में आ गए हैं। उन्होंने रविवार को पीएम मोदी (Narendra modi) को एक पत्र लिखकर इस बदलाव को लेकर आपत्ति जताई। झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन, राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत और छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल भी आईएएस कैडर के नियमों में संशोधन का विरोध कर मोदी को पत्र लिख चुके हैं।  

स्टालिन ने कहा - संघवाद की नींव हिलाने वाला फैसला
तमिलनाडु के सीएम स्टालिन ने ट्विटर पर लिखा कि कि मैंने आईएएस कैडर नियम (1954) में संशोधन का विरोध करते हुए पीएम मोदी को एक पत्र लिखा है। इसके साथ ही मैंने अन्य मुख्यमंत्रियों से इस संघवाद की नींव हिलाने वाले फैसले पर अपनी राय व्यक्त करने का आग्रह किया है। 

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ममता ने लिखे दो पत्र, कहा- चरमरा जाएगा राज्यों का प्रशासन
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आईएएस कैडर के संशोधनों को 'कठोर' करार दिया है। वह इस संबंध में पीएम मोदी को दो पत्र लिख चुकी हैं। इन सभी मुख्यमंत्रियों ने यह तर्क देने का प्रयास किया है कि संशोधित नियम संघवाद को प्रभावित करते हैं और इससे राज्य प्रशासन चरमरा जाएगा।

इस संशोधन से घबराए हैं राज्य 
आईएएस कैडर नियमावली 1954 में मई 1969 में नियम 6 (1) जोड़ा गया थ। इसके अनुसार IAS, IPS और IFS अफसरों की राज्यों से केंद्र में प्रतिनियुक्ति होती है। इसके लिए राज्यों की सहमति लेनी होती है। नए प्रस्ताव में केंद्र को किसी अफसर को प्रतिनियुक्ति पर लेने के लिए राज्यों की सहमति की जरूरत नहीं होगी। इससे केंद्र का अफसरों पर नियंत्रण बढ़ जाएगा। 

इसमें चार संशोधन किए गए हैं...

पहला संशोधन : यदि कोई राज्य सरकार एक निश्चित समय के भीतर एक राज्य कैडर अधिकारी को केंद्र में पोस्ट करने में देरी करती है, तो अधिकारी को केंद्र सरकार द्वारा उस राज्य के कैडर से मुक्त कर दिया जाएगा। 

दूसरा संसोधन : केंद्र राज्य सरकारों के परामर्श से केंद्र सरकार को प्रतिनियुक्त किए जाने वाले अधिकारियों की वास्तविक संख्या तय करेगा और राज्य ऐसे पात्र अधिकारियों के नाम भेजेगा। 

तीसरा संशोधन : केंद्र और राज्य के बीच किसी भी तरह की असहमति के मामले में केंद्र सरकार द्वारा तय किया जाएगा और राज्य एक निर्दिष्ट समय के भीतर निर्णय को लागू करेगा। 

चौथा संशोधन : विशिष्ट परिस्थितियों में जहां जनहित में केंद्र द्वारा कैडर अधिकारियों की सेवाओं की जरूरत होती है, राज्य सरकारें एक तय समय के भीतर केंद्र के निर्णयों को प्रभावी करेंगी।

राज्यों की क्या आपत्ति 
अफसरों की नियुक्ति और उन पर कार्रवाई का अधिकार गृह मंत्रालय और डीओपीटी को है। इनका कहना है कि नए नियम लागू हुए तो केंद्र सरकार राज्यों के काम में दखल देगी और अफसरों को दबाव में लेकर काम करेगी। आरोप है कि यह लागू होने पर केंद्र सरकारों अफसरों पर दबाव बनाने के लिए उन्हें प्रताड़ित करेंगी। 

पश्चिम बंगाल की आपत्ति सबसे पहले क्यों 
मई 2021 में पश्चिम बंगाल में यास तूफान आया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस तूफान को लेकर पश्चिम बंगाल में ही रिव्यु मीटिंग की थी, लेकिन सीएम ममता बनर्जी और उनके मुख्य सचिव अलपन बंदोपाध्याय 30 मिनट की देरी से पहुंचे थे। इस पर केंद्र सरकार ने उनका तबादला दिल्ली करने के आदेश जारी कर दिए थे। हालांकि, ममता ने बंदोपाध्याय को केंद्र की प्रतिनियुक्ति पर नहीं भेजा था। बाद में बंदोपाध्याय ने इस्तीफा दे दिया था और उसी दिन ममता ने तीन साल के लिए निजी सलाहकार नियुक्त कर लिया था। 

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