Republic Day Ceremony का आगाज: पीएम मोदी बोले- नेताजी की ‘Can Do, Will Do’ स्पिरिट से प्रेरणा आगे बढ़ना होगा

पीएम मोदी, वर्ष 2019, 2020, 2021 और 2022 के लिए अलंकरण समारोह में सुभाष चंद्र बोस आपदा प्रबंधन पुरस्कार भी प्रदान किया। समारोह के दौरान कुल सात पुरस्कार प्रदान किए गए।

Asianet News Hindi | Published : Jan 23, 2022 12:06 PM IST / Updated: Jan 23 2022, 11:35 PM IST

नई दिल्ली। भारत के गणतंत्र दिवस समारोह (Republic Day Ceremony) का आगाज 23 जनवरी से किया गया। देश के सर्वप्रिय नेताजी सुभाष चंद्र बोस (Netaji Subhas Chandra Bose) की जयंती से गणतंत्र दिवस समारोह का शुभारंभ किया गया। गणतंत्र दिवस समारोह की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) ने नेताजी की 125वीं जयंती के मौके पर रविवार को किया। दिल्ली के इंडिया गेट पर नेताजी की होलोग्राम प्रतिमा (Hologram statue) का अनावरण किया गया। इसके अलावा नेताजी सुभाष चंद्र बोस आपदा प्रबंधन पुरस्कार भी प्रदान किया गया। पीएम मोदी के हाथों सात पुरस्कार दिए गए।

 

पीएम मोदी (Prime Minister) कहा कि भारत मां के वीर सपूत नेताजी सुभाष चंद्र बोस (Netaji Subhas Chandra Bose) की 125वीं जन्म जयंती पर पूरे देश की ओर से कोटि-कोटि नमन करता हूं। यह दिन ऐतिहासिक है। यह कालखंड भी ऐतिहासिक है। यह साल जहां हम सब एकत्रित हैं वह भी ऐतिहासिक है। उन्होंने कहा कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा राष्ट्रीय कर्तव्य के लिए प्रेरित करते रहेंगे। नेताजी ऐसे व्यक्ति जिन्होंने अंग्रेजों के सामने कहा था कि हमको आजादी भीख में नहीं चाहिए, हम आजादी लेकर रहेंगे। पीएम ने कहा कि हमारे उन नेताजी की भव्य प्रतिमा आज डिजिटल स्वरूप में इंडिया गेट के समीप स्थापित हो रही है। जल्द ही इस होलोग्राम प्रतिमा के स्थान पर ग्रेनाइट की विशाल प्रतिमा भी लगेगी।

नेताजी की ‘Can Do, Will Do’ स्पिरिट से प्रेरणा लेते हुए आगे बढ़ना होगा

पीएम मोदी ने कहा कि नेताजी सुभाष कुछ ठान लेते थे तो फिर उन्हें कोई ताकत रोक नहीं पाती थी। हमें नेताजी सुभाष की ‘Can Do, Will Do’ स्पिरिट से प्रेरणा लेते हुए आगे बढ़ना है। मैं 21 अक्टूबर 2018 का वो दिन भी नहीं भूल सकता जब आजाद हिंद सरकार के 75 वर्ष हुए थे। लाल किले में हुए विशेष समारोह में मैंने आजाद हिंद फौज की कैप पहनकर तिरंगा फहराया था। वो पल अद्भुत है, अविस्मरणीय है।

PM Modi ने कहा कि ये मेरा सौभाग्य है कि पिछले वर्ष, आज के ही दिन मुझे कोलकाता में नेताजी के पैतृक आवास भी जाने का अवसर मिला था। जिस कार से वो कोलकाता से निकले थे, जिस कमरे में बैठकर वो पढ़ते थे, उनके घर की सीढ़ियां, उनके घर की दीवारें, उनके दर्शन करना, वो अनुभव, शब्दों से परे है।

प्रधानमंत्री ने बताया कि नेताजी कहते थे- "कभी भी स्वतंत्र भारत के सपने का विश्वास मत खोना, दुनिया की कोई ताकत नहीं है जो भारत को झकझोर सके।" आज हमारे सामने आज़ाद भारत के सपनों को पूरा करने का लक्ष्य है। हमारे सामने आज़ादी के सौंवे साल से पहले नए भारत के निर्माण का लक्ष्य है।

आजादी का अमृत महोत्सव करेगा भारत की पहचान को पुनर्जीवित

पीएम मोदी ने कहा कि आज़ादी के अमृत महोत्सव का संकल्प है कि भारत अपनी पहचान और प्रेरणाओं को पुनर्जीवित करेगा। ये दुर्भाग्य रहा कि आजादी के बाद देश की संस्कृति और संस्कारों के साथ ही अनेक महान व्यक्तित्वों के योगदान को मिटाने का काम किया गया। स्वाधीनता संग्राम में लाखों-लाख देशवासियों की तपस्या शामिल थी लेकिन उनके इतिहास को भी सीमित करने की कोशिशें हुईं।लेकिन आज आजादी के दशकों बाद देश उन गलतियों को डंके की चोट पर सुधार रहा है, ठीक कर रहा है।

पूरे देश में डिसास्टर मैनेजमेंट एक्ट बनाया

पीएम मोदी ने कहा कि हमारे देश में वर्षों तक आपदा का विषय एग्रीकल्चर डिपार्टमेंट के पास रहा था। इसका मूल कारण ये था कि बाढ़, अतिवृष्टि, ओले गिरना, इनसे बनी स्थितियों से निपटने का जिम्मा कृषि मंत्रालय के पास था। देश में आपदा प्रबंधन ऐसे ही चल रहा था। लेकिन 2001 में गुजरात में भूकंप आने के बाद जो कुछ हुआ, उसने आपदा प्रबंधन के मायने बदल दिए। हमने तमाम विभागों और मंत्रालयों को राहत और बचाव के काम में झोंक दिया। उस समय के जो अनुभव थे, उनसे सीखते हुए ही 2003 में Gujarat State Disaster Management Act बनाया गया। आपदा से निपटने के लिए गुजरात इस तरह का कानून बनाने वाला देश का पहला राज्य बना। बाद में केंद्र सरकार ने, गुजरात के कानून से सबक लेते हुए, 2005 में पूरे देश के लिए ऐसा ही Disaster Management Act बनाया। उन्होंने कहा कि NDMA की ‘आपदा मित्र’ जैसी स्कीम्स से युवा आगे आ रहे हैं। कहीं कोई आपदा आती है तो लोग विक्टिम्स नहीं रहते, वो वॉलंटियर्स बनकर आपदा का मुकाबला करते हैं। यानी, आपदा प्रबंधन अब एक सरकारी काम भर नहीं है, बल्कि ये ‘सबका प्रयास’ का एक मॉडल बन गया है।

क्या है होलोग्राम प्रतिमा?

होलोग्राम प्रतिमा को 30,000 लुमेन 4K प्रोजेक्टर द्वारा संचालित किया जाएगा। होलोग्राफिक स्क्रीन से नेताजी की 3डी छवि पेश की जाएगी। पीएमओ (PMO) द्वारा जारी एक बयान के अनुसार, होलोग्राम प्रतिमा का आकार 28 फीट ऊंचा और 6 फीट चौड़ा है।

4 वर्ष के सुभाष चंद्र बोस आपदा प्रबंधन पुरस्कार भी दिए
प्रधानमंत्री ने एक अलंकरण समारोह में वर्ष 2019, 2020, 2021 और 2022 के लिए सुभाष चंद्र बोस आपदा प्रबंधन पुरस्कार भी प्रदान किए। इस दौरान कुल सात पुरस्कार प्रदान किए गए। वर्ष 2022 के लिए यह पुरस्कार संस्थागत श्रेणी में गुजरात आपदा प्रबंधन संस्थान (जीआइडीएम) को और व्यक्तिगत श्रेणी में सिक्किम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के उपाध्यक्ष विनोद शर्मा को प्रदान किए गए हैं।

केंद्र सरकार ने देश में व्यक्तियों और संस्थानों द्वारा आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में अमूल्य योगदान देने और नि:स्वार्थ सेवा करने वालों को सम्मानित करने के लिए इस पुरस्कार की शुरुआत की थी। प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि उनकी सरकार ने आपदा प्रबंधन को प्राथमिकता पर रखा है। उन्होंने कहा, 'हमने राहत, बचाव और पुनर्वास के साथ-साथ सुधार पर भी जोर दिया है। हमने देशभर में राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) का विस्तार करने के साथ ही उसे मजबूत और आधुनिक बनाया है। अंतरिक्ष तकनीक से लेकर योजना एवं प्रबंधन तक सर्वश्रेष्ठ तरीकों को अपनाया गया है।' बता दें कि पुरस्कार की घोषणा हर साल 23 जनवरी को की जाती है। इस पुरस्कार में संस्था को 51 लाख का नकद पुरस्कार और अगर किसी व्यक्ति को दिया जाता है तो उसे 5 लाख और एक प्रमाण पत्र दिया जाता है।  

आजाद हिंद फौज का स्थापना किया था नेताजी ने

23 जनवरी, 1897 को ओडिशा के कटक में जानकीनाथ बोस के घर जन्मे नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने स्वतंत्रता आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्हें आजाद हिंद फौज की स्थापना के लिए भी जाना जाता है। गणतंत्र दिवस प्रतिवर्ष 26 जनवरी को मनाया जाता है। गणतंत्र दिवस समारोह 24 जनवरी से शुरू होकर 30 जनवरी को समाप्त होगा, जिस दिन महात्मा गांधी की हत्या हुई थी। लेकिन अब यह 23 जनवरी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती के दिन से प्रारंभ होगा।

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