सार
खुफिया रिपोर्ट्स (Intelligence reports) में यह साफ तौर पता नहीं चल सका है कि भारत में तबाही मचाने के लिए मौत के कितने सामान लाए जा चुके हैं। हालांकि, पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों द्वारा की गई बरामदगी से बड़े पैमाने पर साजिश को समझा जा सकता है।
नई दिल्ली। आतंकियों (Terrorists) को प्रश्रय देने वाला पाकिस्तान (Pakistan), इन दिनों भारत में बड़ी साजिश को अंजाम देने में जुटा हुआ है। ड्रग तस्करी (Drug Smugglers) के लिए इस्तेमाल होने वाले समुद्र रूट व अन्य रास्तों का इस्तेमाल वह आईईडी विस्फोटकों को भेजने के लिए कर रहा है। पिछले शुक्रवार को गाजीपुर में बरामद आरडीएक्स-पैक इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (IED) भी पाकिस्तान ने तस्करी वाले रूट्स से ही भेजा था। दिल्ली पुलिस की खुफिया जांच रिपोर्ट्स में हैरान करने वाले यह तथ्य सामने आए हैं।
भारत में कितने आईईडी लाए जा चुके?
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हालांकि, खुफिया रिपोर्ट्स (Intelligence reports) में यह साफ तौर पता नहीं चल सका है कि भारत में तबाही मचाने के लिए मौत के कितने सामान लाए जा चुके हैं। हालांकि, पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों द्वारा की गई बरामदगी से बड़े पैमाने पर साजिश को समझा जा सकता है। अकेले पंजाब पुलिस ने 20 आईईडी, 5-6 किलोग्राम आईईडी और 100 ग्रेनेड बरामद किए हैं। यह समझा जाता है कि पाकिस्तान में स्थित आतंकवादियों से कहा गया है कि वे पंजाब से बाहर और उत्तर प्रदेश जैसे चुनावी राज्यों और महाराष्ट्र, गुजरात और दिल्ली जैसे संवेदनशील राज्यों में वितरण के लिए और अधिक आईईडी या टिफिन बम (Tiffin Bomb) इकट्ठा करें।
ड्रग तस्करों को भारत में विस्फोटक पहुंचाने का जिम्मा
सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार, अफगान हेरोइन और अफीम का कारोबार करने वाले सीमा पार से ड्रग तस्करों (cross-border drug smugglers ) को ड्रोन और समुद्र में जाने वाले जहाजों के माध्यम से आईईडी को भारत में धकेलने का काम सौंपा गया है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि ड्रग्स के पैसे से आईईडी की खेप अभी भी भारत में आ रही है, जिसका मकसद एक बड़ी घटना के बाद सांप्रदायिक दहशत फैलाना है।
हेडली कर चुका है ड्रग तस्करों की संलिप्तता का खुलासा
26/11 के आरोपी और लश्कर-ए-तैयबा पाकिस्तान मूल के आतंकवादी डेविड कोलमैन हेडली (David Coleman Hedley) ने एनआईए (NIA) को खुलासा किया था कि कैसे पाकिस्तानी आतंकी हमलों को ड्रग के पैसे से ड्रग तस्करों के साथ वित्त पोषित किया जाता था, जो अक्सर भारत में सीमा पार हथियारों और गोला-बारूद की आपूर्ति में शामिल होते थे।
गाजीपुर में बाल-बाल बची जानें
शुक्रवार को गाजीपुर में बरामद आईईडी को अगर पुलिस ने तत्परता दिखाकर खोजा नहीं होता तो स्थितियां बेहद भयानक हो सकती थीं। तथ्य यह है कि अगर दिल्ली पुलिस की पीसीआर ने गाजीपुर मामले में तत्परता से प्रतिक्रिया नहीं दी होती, तो विस्फोट में कई बेगुनाह मारे जाते और राजधानी में अनिश्चितता का माहौल पैदा हो जाता। विस्फोटक को एक स्टील टिफिन के अंदर साइकिल बियरिंग और कीलों के साथ रखा गया था, जो विस्फोट होने पर घातक छर्रों का स्रोत बन जाता है। बम को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि आरडीएक्स अमोनियम नाइट्रेट और ईंधन तेल के साथ एक मुख्य चार्ज बनाता है जो विस्फोट को खत्म करने के लिए द्वितीयक चार्ज के रूप में कार्य करता है।
टिफिन बम का आतंकी कर चुके कई बार इस्तेमाल
पिछले एक दशक में आतंकी संगठनों ने कई विस्फोट किए। टिफिन बम का इस्तेमाल पाकिस्तान प्रायोजित इंडियन मुजाहिदीन आतंकवादी समूह ने किया था। 2005 सरोजिनी नगर और पहाड़गंज बाजार में हुए विस्फोटों में टिफिन बम का इस्तेमाल किया गया था। गोरखपुर, लखनऊ, वाराणसी, हल्द्वानी, जयपुर, हैदराबाद और मुंबई में विस्फोटों में समूह द्वारा समान उपकरणों का इस्तेमाल किया गया था, जिसमें सीमा पार अपने आकाओं के इशारे पर कट्टरपंथी स्थानीय लोगों द्वारा किए गए भगदड़ में सैकड़ों निर्दोष मारे गए थे।
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