कोचर को देश के दूसरे सबसे बड़े निजी क्षेत्र के बैंक से उनके बैंक को छोड़ने के कुछ महीनों बाद नौकरी से निकाल दिया गया था। अपने नौकरी से निकाले जाने के निर्णय को चुनौती देते हुए कोचर ने 30 नवंबर 2019 को उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की थी।
नई दिल्ली. आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी और प्रबंध निदेशक चंदा कोचर को सुप्रीम कोर्ट से एक और झटका मिला है। उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को आईसीआईसीआई की पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) चंदा कोचर की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें उन्होंने बैंक से उन्हें बर्खास्त करने के खिलाफ दायर अर्जी को मुंबई उच्च न्यायालय द्वारा अस्वीकार किए जाने के फैसले को चुनौती दी थी।
न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि हमें माफ कीजिए, हम उच्च न्यायालय के आदेश में हस्तक्षेप करने को इच्छुक नहीं हैं। शीर्ष अदालत ने कहा कि यह मामला निजी बैंक और कर्मचारी के बीच का है। पीठ चंदा कोचर की अपील पर सुनवाई कर रही थी जिसमें उन्होंने उच्च न्यायालय द्वारा पांच मार्च को दिए आदेश को चुनौती दी थी। उच्च न्यायालय ने आईसीआईसीआई बैंक के प्रबंधक निदेशक और सीईओ पद से बर्खास्त करने के खिलाफ अर्जी खारिज कर दी थी और साथ ही रेखांकित किया था कि विवाद कार्मिक सेवा की संविदा से उत्पन्न हुआ है।
मुंबई उच्च न्यायालय ने खारिज कर दी थी अपील
इस साल मार्च में बंबई उच्च न्यायालय ने आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी चंदा कोचर की उनके पद से हटाने के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया था, जिसके बाद चंद कोचर ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। हाई कोर्ट ने भी यही कहा कि कोचर से जुड़ा विवाद अनुबंध पर आधारित है और यह एक निजी संस्था का विषय है।
जानें क्या था पूरा मामला
कोचर को देश के दूसरे सबसे बड़े निजी क्षेत्र के बैंक से उनके बैंक को छोड़ने के कुछ महीनों बाद नौकरी से निकाल दिया गया था। अपने नौकरी से निकाले जाने के निर्णय को चुनौती देते हुए कोचर ने 30 नवंबर 2019 को उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की थी।कोचर के वकील विक्रम नानकनी ने दलील दी कि बैंक ने कोचर के स्वैच्छिक इस्तीफे को पांच अक्टूबर 2018 को स्वीकार कर लिया था। इसलिए बाद में उन्हें नौकरी से निकाला जाना अवैध है। कोचर ने अपनी याचिका में यह भी कहा था कि बैंक ने उनका वेतन और अप्रैल 2009 से मार्च 2018 के बीच मिले बोनस और शेयर विकल्प आय को भी देने से मना कर दिया है।
कोचर पर ये था आरोप
कोचर पर आरोप है कि उन्होंने वीडियोकॉन समूह को अवैध तरीके से 3,250 करोड़ रुपये का ऋण देने में कथित भूमिका अदा की और इससे उनके पति दीपक कोचर को लाभ हुआ। इस मामले के सामने आने के बाद ही कोचर को अपने पद से इस्तीफा भी देना पड़ा था।