स्वतंत्रता दिवस स्पेशल: 1950 से 2020 तक बिजनेस सेक्टरः नेहरू ने की शुरुआत, मोदी ने लगाया चार चांद

1947 में आजाद होने के बाद से 2020 तक हर सेक्टर की तरह ही भारत ने बिजनेस सेक्टर में भी तमाम उतार चढ़ाव देखे। इन सबके बावजूद भारत दुनिया की 5वीं अर्थव्यवस्था बन गया है। स्वतंत्रता दिवस (independence day)के इस मौके पर हम बात कर रहे हैं 1947 से 2020 तक बिजनेस सेक्टर में क्या बदलाव आए।

Asianet News Hindi | Published : Aug 14, 2020 7:13 AM IST

नई दिल्ली. देश आजादी की 74वीं वर्षगांठ मना रहा है। 1947 में आजाद होने के बाद से 2020 तक हर सेक्टर की तरह ही भारत ने बिजनेस सेक्टर में भी तमाम उतार चढ़ाव देखे। इन सबके बावजूद भारत दुनिया की 5वीं अर्थव्यवस्था बन गया है। स्वतंत्रता दिवस (independence day)के इस मौके पर हम बात कर रहे हैं 1947 से 2020 तक बिजनेस सेक्टर में क्या बदलाव आए। आजादी के इस जश्न में एक्सपर्ट से दशक के हिसाब से समझिए आखिर कैसे व्यवसाय के क्षेत्र में साल दर साल भारत विश्वस्तर पर बुलंदियों को छूता गया। नेहरू ने बिजनेस सेक्टर को रफ्तार पकड़ाने का काम किया, वहीं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इंडिया की इकोनॉमी को 5 ट्रिलियन डॉलर तक ले जाने का संकल्प देश के सामने रखा। 

Asianet hindi से खास बातचीत में पीएचडी चैम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज (मप्र) के चेयरमैन प्रदीप काम्बलेकर ने बताया, 1947 में जब देश स्वतंत्र हुआ था। 70 सालों में विचारों में काफी बदलाव आया। यानी स्वतंत्रता दिवस के बाद से अब तक विचारधारा और बिजनेस कम्युनिटी के प्रति हमारे नजरिए में  काफी परिवर्तन आया। 

नेहरू ने आधारभूत सरंचना बढ़ाने के लिए उठाए अहम कदम
काम्बलेकर ने बताया, उस वक्त काफी कम बिजनेस हाउथ थे। सिर्फ टाटा, बिरला, एस्कॉर्ट जैसी कुछ संस्थाएं थीं। लेकिन इनका प्रभाव काफी कम शहरों में था। बिजनेस उस समाज में इम्पेक्टफुल नहीं माना जाता था। भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की सरकार में आधारभूत सरंचना को बढ़ाने के लिए काफी अहम फैसले लिए।  उनकी सोच थी कि बिजनेस ही भारत की अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ा सकते हैं। इसलिए ज्यादातर पब्लिक सेक्टर की स्थापना भी 1947-1960 के दशक में हुई। 

इसके प्रभाव से औद्योगिकरण शुरू हुआ। इसके साथ लेबर ऑरियन्टेशन भी शुरू किया। भारत में दो चीजें एक साथ शुरू हुईं, पहला औद्योगिकरण और सामाजवाद। हम एक तरह मिश्रित अर्थव्यवस्था की तरफ बढ़े।

1960-70 के दशक में हुए बड़े परिवर्तन
उन्होंने बताया, जब इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री बनीं, तो देश में बड़ा परिवर्तन हुआ। उन्होंने सबसे बड़ा फैसला किया बैंकों का राष्ट्रीकरण किया। इस तरह से सरकार ने पूरी अर्थव्यवस्था को सेंट्रलाइज्ड किया। 

प्रदीप काम्बलेकर ने बताया, सबसे अधिक बैंकों और पब्लिक सेक्टर का निर्माण किया। सरकार ने बिजनेस को सरकारी हिस्सा बनाया। सरकार को बैंकों को, व्यापार को पब्लिक सेक्टर में परिवर्तित किया। भारत में बड़े पब्लिक सेक्टर इसी दशक में उभरे। 

1970-80 में आई हरित क्रांति
उन्होंने बताया, इसके बाद 1970-80 के दौर में सरकार ने बिजनेस सेक्टर को ओपन-अप किया। इस दौर में कुछ हद तक टेक्सटाइल और पेट्रोकेमिकल्स इस तरह की चीजें सामने आईं। इसे हरित क्रांति कहा गया। हमने इंडस्ट्री को एग्रीकल्चर को बड़ा स्थान दिया। हमने पहली बार समझा कि एग्रीकल्चर सिर्फ जीवन यापन का हिस्सा नहीं है, बल्कि यह अर्थव्यवस्था या जीडीपी का बड़ा हिस्सा है। 

1980-1990 का दशक युवाओं के लिए अहम रहा
काम्बलेकर के मुताबिक, राजीव गांधी के प्रधानमंत्री बनने के बाद 1980 का दशक युवाओं के लिए काफी अहम रहा। यहां से नए बिजनेस के रूप में नई शुरुआत हुई। अब वह पीढ़ी रोजगार में आ गई थी, जो स्वतंत्रता के वक्त पैदा हुई थी। उसी वक्त कम्प्यूटर का दौर आया। 

1991 में प्राइवेटाइजेशन का दौर शुरू हुआ 
उन्होंने बताया, पीवी नरसिम्हाराव की सरकार आई। मनमोहन सिंह के वित्त मंत्री रहते हमने प्राइवेटाइजेशन का दौर देखा। पहली बार भारत की अर्थव्यवस्था को दुनिया और प्राइवेट सेक्टर के लिए खोला गया। भारत में इंटरनेट और आईटी सेक्टर आया। राष्ट्रीयकृत बैंकों का प्राइवेटाइजेशन शुरू हुआ।। इसके बाद इंश्योरेंस कंपनियों को प्राइवेट लाइसेंस दिए गए। आधारभूत सुविधाओं का प्राइवेटाइजेशन शुरू हुआ। 

भारत 2005-07 तक एग्री बेस्ड इंडस्ट्री से सर्विस बेस्ड इंडस्ट्री तक आ गए। यहां से अंतिम 10-15 साल में देश में बड़ा बदलाव ये आया कि हर क्षेत्र में प्राइवेटाइजेशन शुरू हो गया। रोजगार बढ़ाने के लिए आईटी सेक्टर में आउटसोर्सिंग का काम शुरू किया। दुनिया के विभिन्न देशों में भारत के प्रोफेशनल पहुंचना शुरू हो गया। भारत विश्व का सबसे बड़ा कंज्यूमर कास्ट देश बन गए। 

गेम चेंजर साबित हुई मोदी सरकार 
काम्बलेकर कहते हैं, 2014 के बाद से जब भारत में मोदी सरकार आई तो देश की अर्थव्यवस्था में बड़ा बदलाव आया। हालांकि, इसे कुछ लोग नकारात्मक ले सकते हैं, कुछ पॉजिटिव। भारत में जीएसटी, नोटबंदी जैसे फैसले हुए। नोटबंदी से सरकार को एक झटके में पता चल गया कि कितना ब्लैक मनी है या कितना व्हाइट। इसी तरह से जनधन योजना के तहत पहली बार 60 करोड़ खाते खोले गए। गैस सब्सिडी और महिलाओं को 8 करोड़ फ्री गैस सिलेंडर देना बड़ी बात है। लॉकडाउन में तमाम योजनाओं का सीधे तौर पर जनता को लाभ मिल रहा है।

इस सरकार के आने के बाद नागरिकों का महत्व बढ़ा है। अब सरकार और बिजनेस के बीच नागरिक अहम भूमिका में है। पहले की तुलाना में पार्टिसिपेशन काफी बढ़ गया है। इसके अलावा डिजिटल इंडिया भी काफी अहम भूमिका निभा रहा है। 

वरदान साबित हुआ 20 लाख करोड़ का पैकेज
उन्होंने बताया, इंडस्ट्री के लिए हाल ही में सरकार ने 20 लाख करोड़ रुपए का आर्थिक पैकेज का ऐलान किया गया। इसका बड़ा हिस्सा एमएसएमई सेक्टर को मिला है। यह अभिशाप में एक बड़ा वरदान साबित हो सकता है। इस पैकेज में कई ऐसे ऐलान किए गए हैं, जिनमें आगे चलकर काफी फायदा होगा। जल्द ही भारत वैश्विक स्तर पर एक बड़ी अर्थव्यवस्था के तौर पर उभरेंगे। 
 

Share this article
click me!