1947 से 2020 तक रक्षा क्षेत्र...राफेल की गर्जना से दहशत में दुश्मन, लेकिन क्या आत्मनिर्भर बन पाएगा भारत ?

देश आजादी की 74वीं वर्षगांठ मना रहा है। 1947 में आजाद होने के बाद से 2020 तक भारत निरंतर विकास की ओर अग्रसर है। स्वतंत्रता दिवस (independence day)के इस मौके पर हम बात कर रहे हैं 1947 से 2020 तक जल-थल और नभ के क्षेत्र में भारत की ताकत में कैसे इजाफा हुआ। रक्षा (defence) मामलों में क्या-क्या बदलाव आए। 

Asianet News Hindi | Published : Aug 14, 2020 4:36 AM IST / Updated: Aug 14 2020, 10:20 AM IST

नई दिल्ली. देश आजादी की 74वीं वर्षगांठ मना रहा है। 1947 में आजाद होने के बाद से 2020 तक भारत निरंतर विकास की ओर अग्रसर है। स्वतंत्रता दिवस (independence day)के इस मौके पर हम बात कर रहे हैं 1947 से 2020 तक जल-थल और नभ के क्षेत्र में भारत की ताकत में कैसे इजाफा हुआ। रक्षा (defence) मामलों में क्या-क्या बदलाव आए। asianet hindi ने भारत की पूर्व विंग कमांडर अनुमा आचार्य से जाना कि आखिर कैसे आजादी के बाद से अब तक हमारी ताकत दिन दूनी रात चौगुनी होती गई। देश की सेनाओं ने हर क्षेत्र में खुद को मजबूत किया है। हमारे पास 1962 के युद्ध की तुलना में अधिक शक्तिशाली और आधुनिक हथियार, फाइटर प्लेन, मिसाइल्स तो हैं ही, अब हम परमाणु शक्ति संपन्न भी हैं।

पूर्व विंग कमांडर अनुमा आचार्य ने बताया, 1947 में देश जब आजाद हुआ था , उस समय से आज तक हम आगे आए हैं। लेकिन उतना नहीं जितना आना चाहिए था। भारत अभी युद्धक हथियारों का दुनिया में सबसे बड़ा खरीदार है। जबकि हमें इस वक्त तक पूरी तरह आत्मनिर्भर हो जाना चाहिए था। 

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1962 में चीन युद्ध से मिली सीख 
अनुमा आचार्य बताती हैं कि मौजूदा सरकार को ये समझ आ गया कि डिफेंस में अपनी ताकत बढ़ाने के लिए BEL, GSL, HL, DRDO समेत 8 कोर सेक्टर में विकास करना होगा। 1962 में जब चीन से युद्ध में हमें अच्छे परिणाम नहीं मिले, तब भारत सरकार ने कुछ करने की सोची। तत्कालीन रक्षामंत्री वीके मेनन ने आर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड की नींव रखी। हालांकि, इससे पहले 1954 में BEL, 1958 में DRDO की स्थापना हो चुकी थी। 

1970 के दशक में हुआ विकास
पूर्व विंग कमांडर ने बताया, 1970 के बाद भारत का रक्षा क्षेत्र में विकास हुआ। रूस ने हमें लाइसेंस प्रोडक्शन दिया। इसके तहत भारत ने मिग 21 का लाइसेंस प्रोडक्शन शुरू किया। DRDO ने भी विकास किया। इसके बाद DRDO, BEL, BDL ने इंटीग्रेटेड गाइडेड मिसाइल डेवलपमेंट प्रोग्राम शुरू किया। 


मिग-21।

1980-1990 के दशक में मिली बड़ी सफलता

अनुमा आचार्य ने बताया, 1989 में भारत ने इंटरकॉन्टिनेंटल रेंज बैलिस्टिक मिसाइल 'अग्नि' बनाई। 1998 में 'पृथ्वी' मिसाइल बनी। यह सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइल थी। इस बैलिस्टिक मिसाइल से भारत की शक्ति कई गुना बढ़ी। 2009 में आकाश बनाई गई। इसी बीच भारत ने सतह से हवा में मार करने वालीं त्रिशूल और नाग मिसाइल बनाईं। नाग को हेलिकॉप्टर में भी लैश किया जा सकता था। 1996 में हमने अर्जुन टैंक बनाए। स्वदेशी हल्के लड़ाकू विमान तेजस के बारे में विचार किया गया। अभी तेजस की एक स्क्वाड्रन बनी है। 

आकाश मिसाइल।

रूस ने दिया हमेशा साथ 

अनुमा आचार्य के मुताबिक, 'रूस के लाइसेंस के तहत भारत ने मिग, मिराज, सुखोई-30 एमकेआई बनाए। भारत के रक्षा क्षेत्र के विकास में रूस की अहम भूमिका रही। रूस के अलावा किसी अन्य देश से हमें ट्रांसफर ऑफ टेक्नोलॉजी नहीं मिली। भारत ने हाल ही में राफेल खरीदा है।

भारत क्यों खरीदता है हथियार? 
उन्होंने बताया, भारत के साथ एक समस्या, इस वजह से भारत हथियारों के लिए दूसरे देश पर ज्यादा निर्भर है। इसके पीछे एक प्रमुख वजह है। दरअसल, भारत में एचएएल जैसे पीएसयू में लेबर यूनियन का वर्चस्व होता है। हम सोशलिस्ट कंट्री हैं, इन देशों में आउटपुट की तुलना में यूनियन को ज्यादा महत्व देने लगते हैं। इससे निरंतरा में कमी आती है। यही कारण है कि स्लो वर्किंग जैसी कमियां सामने आने लगती हैं। 

क्या हम विकासशील देश रहना चाहता हैं?
हालांकि, भारत अन्य मित्र राष्ट्रों को हथियार तो देने लगा है। लेकिन जिस तरह से हमें अपने देश के हथियार या उपकरण बनाने चाहिए, उसमें कमी नजर आती है। इसके पीछे हमारी विकासशील देश बने रहने की सोच है। हम तभी विकसित देश बन सकते हैं, जब हर कोई अपने हिस्से का कंट्रीब्यूशन करे।

सरकार ने निकाली अहम पॉलिसी
अनुमा आचार्य ने मुताबिक, सरकार ने एक ऑप्टिमिस्टिक पॉलिसी निकाली है। डिफेंस प्रोडक्शन एंड एक्सपोर्ट प्रोमोशन पॉलिसी के तहत बहुत कुछ कवर किया गया है। अगर यह आदर्शवादी तौर पर लागू होती है तो भारत कम ही समय में एयरक्राफ्ट, लड़ाकू वाहन, कार्बाइन, अन्य अहम छोटी छोटी चीजें जैसे कोल्ड क्लाइमेट ग्लोदिंग (अभी विदेश से आता है) जैसी चीजों को घर पर बना पाएंगे। इस पॉलिसी में लिखा है कि भारत में बुलेटप्रूफ जैकेट भारत में बनाई जाएगी। 

ठंडे जगहों पर तैनात जवानों के लिए अभी कोल्ड क्लाइमेट ग्लोदिंग विदेशों से आती है। 

भारत बनेगा आत्मनिर्भर देश
उन्होंने बताया, डिफेंस कॉरिडोर के तहत प्राइवेट कंपनियों को पीएसयू और पीएसयू के साथ जोड़ा जा रहा है। डिफेंस इको सिस्टम बनाया जाएगा। अगर हम कहते हैं कि 2020 से हम कोई हथियार बाहर से नहीं खरीदते, 2021 में कोई हथियार नहीं खरीदेंगे। अगर हम इन टाइमलाइन्स पर कायम रहे तो भारत अच्छा कर सकेगा। और हम भारत को एक आत्मनिर्भर भारत के तौर पर देख सकते हैं। 

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