अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट का खुलासा, चीन के 35 सैनिक हताहत; भारत ने कहा- हिंसा के लिए चीन जिम्मेदार

भारत और चीन के बीच लद्दाख के गलवान घाटी में हिंसक झड़प के बाद तनाव अपने चरम पर है। विवाद को लेकर भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चीन के विदेश मंत्री वांग यी से फोन पर बात की। इस दौरान भारत ने चीन को कड़ा संदेश दिया है।

Asianet News Hindi | Published : Jun 17, 2020 7:07 AM IST / Updated: Jun 19 2020, 11:39 AM IST

लद्दाख.  लद्दाख के गलवान घाटी में 15 जून की रात दोनों देशों की सेनाओं के बीच हिंसक झड़प हुई थी। बताया जा रहा है कि इस झड़प में भारतीय सेना के 20 जवान शहीद हुए, जबकि चीन के 35 सैनिकों को नुकसान पहुंचा है। इनमें से कुछ मारे गए हैं, कुछ गंभीर रूप से घायल हुए हैं। भारतीय अफसरों ने अमेरिकी इंटेलिजेंस की रिपोर्ट के हवाले से यह जानकारी दी। 

पहले बताया जा रहा था कि चीन के 43 सैनिक हताहत हुए हैं। बताया जा रहा है कि यह जानकारी चीनी सैनिकों की आपस में बातचीत के इंटरसेप्ट से सामने आई। समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, बातचीत में शामिल चीन के कमांडिंग अफसर की भी मौत हो गई है। 

चीन ने पूर्व नियोजित तरीके से हिंसा को अंजाम दिया- भारत

विवाद को लेकर भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चीन के विदेश मंत्री वांग यी से फोन पर बात की। इस दौरान भारत ने चीन को कड़ा संदेश दिया है। एस जयशंकर ने चीनी विदेश मंत्री के सामने साफ कर दिया है कि गलवान में जो हुआ, वह पूर्व नियोजित और योजनाबद्ध था और इसके लिए पूरी तरह से चीन जिम्मेदार है। 

एस जयशंकर ने इस पर भी जोर किया कि इस घटना का दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा। उस वक्त चीनी पक्ष को सही कदम उठाने की आवश्यकता थी। 

एस जयशंकर ने कहा, दोनों पक्षों को 6 जून को हुई बातचीत में तय हुई स्थिति को ईमानदारी से लागू करना चाहिए। दोनों पक्षों के सैनिकों को भी द्विपक्षीय समझौतों और प्रोटोकॉल का पालन करना चाहिए। उन्हें LAC का कड़ाई से सम्मान करना चाहिए और उसका पालन करना चाहिए और इसे बदलने के लिए कोई एकतरफा कार्रवाई नहीं करनी चाहिए।

6 जून को तय स्थिति का करना होगा पालन
समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, इसके अलावा बातचीत के दौरान दोनों देशों के बीच यह सहमति बनी है कि इस मामले को गंभीरता से हल किया जाएगा। साथ ही 6 जून को बैठक में जो स्थिति तय हुई थी, उसी के मुताबिक, दोनों देश सीमा से पीछे हटेंगे।

चीन ने भारत से अपने सैनिकों पर कार्रवाई करने को कहा
समाचार एजेंसी रायटर्स के मुताबिक, विवाद को लेकर भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चीन के विदेश मंत्री वांग यी से फोन पर बात की। रायटर्स ने चीनी विदेश मंत्रालय के हवाले से बताया, भारत और चीन ने सीमा पर झड़प का मुद्दा निष्पक्ष तरीके से सुलझाने पर सहमति जताई है।

इसके अलावा चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने भारत से अपील की है कि इस घटना के लिए जिम्मेदार लोगों को कड़ी सजा दे। साथ ही भारत को अपने जवानों पर नियंत्रण रखने की सलाह दी है। चीन ने भरोसा दिलाया है कि जितनी जल्दी संभव होगा, वह तनाव कम करने और पीछे हटने की कोशिश करेगा।

पीएम ने बुलाई सर्वदलीय बैठक
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत चीन की स्थिति पर चर्चा के लिए सर्वदलीय बैठक बुलाई है। यह बैठक 19 जून को शाम 5 बजे होगी। विभिन्न पार्टियों के अध्यक्ष इस वर्चुअल बैठक में हिस्सा लेंगे। 

राष्ट्र बलिदान को नहीं भूलेगा- राजनाथ सिंह
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, गलवान में सैनिकों की क्षति परेशान करने वाली और दर्दनाक है। हमारे सैनिकों ने अनुकरणीय साहस और वीरता का प्रदर्शन किया और भारतीय सेना की सर्वोच्च परंपराओं में अपने जीवन का बलिदान दिया। राष्ट्र उनकी बहादुरी और बलिदान को कभी नहीं भूलेगा। मेरी संवेदनाएं जान गंवाने वाले सैनिकों के परिवारों के साथ हैं। राष्ट्र इस कठिन घड़ी में उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा है। हमें भारत के बहादुरों की बहादुरी और साहस पर गर्व है।

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कैसे हुई झड़प की शुरुआत?
चीन और भारत के बीच 1.5 महीने से चले आ रहे सीमा विवाद को निपटाने के लिए कई स्तर की बैठक हुई थी। 6 जून को दोनों देशों के बीच हुई बातचीत के बाद चीन विवादित सीमा से पीछे हटने को तैयार हो गया। लेकिन चीन ने बाद में सेना नहीं हटाई। जब भारतीय पक्ष ने इसे लेकर शिकायत दर्ज की तो बड़ी संख्या में आए सैनिकों ने भारतीय जवानों पर लाठी, डंडों और रॉड से हमला कर दिया। झड़प के दौरान दोनों देशों के कुछ सैनिक नदी में भी बह गए। 




हिंसा के लिए चीन जिम्मेदार- विदेश मंत्रालय
भारतीय विदेश मंत्रालय ने बताया कि जहां एक तरफ बातचीत के जरिए विवाद सुलझाने की कोशिश हो रही है, वहां चीन ने ऐसी धोखेबाजी क्यों की? मंत्रालय ने साफ-साफ शब्दों में कह दिया कि 15 जून को देर शाम और रात को चीन की सेना ने वहां यथास्थिति बदलने की कोशिश की। यथास्थिति से मतलब है कि चीन ने एलएसी बदलने की कोशिश की। भारतीय सैनिकों ने रोका और इसी बीच झड़प हुई।

चीन ने भारत पर उल्टे आरोप लगाए 
उधर, चीन ने उल्टा भारत पर ही गंभीर आरोप लगाए हैं। चीन का दावा है कि भारतीय सैनिकों ने दो बार सीमा पार की। इसके अलावा भारतीय सैनिकों ने चीनी सेना पर हमला किया। इसके बाद यह झड़प हुई। हालांकि, नुकसान को लेकर कोई जानकारी सार्वजनिक नहीं की।

<p>इन सैनिकों ने समझौते के मुताबिक, पीछे हटने से इनकार कर दिया। जब भारत की ओर से कर्नल संतोष बाबू बातचीत कर रहे थे तो चीनी सैनिकों ने हमला कर दिया। चीनी सैनिकों के पास रॉड, पत्थर थे। भारतीयों की तुलना में चीन के सैनिकों की संख्या 3-4 गुना थी। &nbsp;(फोटो- सिम्बॉलिक)</p>

शहादत पर शुरू हुई राजनीति

- शिवसेना से सांसद और प्रवक्ता संजय राउत ने कहा, बॉर्डर पर जो कुछ भी हुआ उसके लिए हम जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी या राहुल गांधी को जिम्मेदार नहीं ठहरा सकते। हम सभी 20 जवानों की शहादत के लिए जिम्मेदार हैं। पूरा देश सरकार के साथ है, लेकिन उन्हें बताना चाहिए कि क्या गलत हुआ है। 

राहुल गांधी ने ट्वीट किया, प्रधानमंत्री चुप क्यों हैं, वे क्यों छिप रहे हैं? बस बहुत हुआ। हम जानना चाहते हैं कि क्या हुआ है। चीन की हिम्मत कैसे हुई हमारे सैनिकों को मारने की? उनकी हिम्मत कैसे हुई, हमारी जमीन लेने की?




1975 के बाद पहली बार ऐसी घटना हुई
1975 के बाद पहली बार वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर जानमाल का नुकसान हुआ है। इससे पहले 1975 में एलएसी पर अरुणाचल प्रदेश में गोली चली थी। इस दौरान 4 भारतीय जवान शहीद हुए थे। इसके बाद कभी दोनों देशों के बीच फायरिंग नहीं हुई।

<p><strong>अचानक लौटे चीनी सैनिक</strong><br />कर्नल संतोष 50 जवानों के साथ स्टैंड ऑफ पॉइंट का जायजा लेने गए थे। वे यह देखने गए थे कि चीनी सैनिक वापस लौटे या नहीं। लेकिन इसी दौरान चीन ने साजिश रची। भारतीय सैनिक जब एलएसी पर चीन के अवैध रूप से बने निर्माण को तोड़ रहे थे, तभी बड़ी संख्या में चीनी सैनिक वहां पहुंच गए। यहां करीब 250 चीनी सैनिक पहुंचे। (फोटो- सिम्बॉलिक)</p>

क्या है विवाद?
चीन ने लद्दाख के गलवान नदी क्षेत्र पर अपना कब्जा बनाए रखा है। यह क्षेत्र 1962 के युद्ध का भी प्रमुख कारण था। इसका विवाद को सुलझाने के लिए कई स्तर की बातचीत भी हो चुकी है। 6 जून को दोनों देशों के बीच लेफ्टिनेंट जनरल लेवल की बैठक हुई थी। हालांकि, अभी विवाद पूरी तरह से निपटा नहीं है।

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