दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सबसे कम प्लास्टिक वेस्ट पैदा करता है भारत, पहले स्थान पर है ऑस्ट्रेलिया

भारत दुनिया की प्रमुख 10 अर्थव्यवस्था वाले देशों में सिंगल यूज प्लास्टिक का सबसे कम इस्तेमाल करने वाला देश है। इस मामले में पहला स्थान ऑस्ट्रेलिया का है। यहां के हर व्यक्ति ने 59 किलो प्लास्टिक वेस्ट पैदा किया।

Asianet News Hindi | Published : Mar 23, 2022 2:35 PM IST / Updated: Mar 23 2022, 08:12 PM IST

नई दिल्ली। भारत दुनिया की दस बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देशों में सिंगल यूज प्लास्टिक (single use plastics) का सबसे कम इस्तेमाल करने वाला देश है। भारत सरकार ने 2019 से 2021 के बीच ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका, दक्षिण कोरिया, ब्रिटेन, जापान, फ्रांस, स्पेन, जर्मनी, चीन और भारत के लोगों द्वारा पैदा किए गए प्लास्टिक वेस्ट का डाटा जारी किया है। इसके अनुसार भारत के लोगों ने प्रति व्यक्ति सबसे कम चार किलोग्राम प्लास्टिक वेस्ट पैदा किया। 

सबसे अधिक प्लास्टिक वेस्ट ऑस्ट्रेलिया के लोगों ने पैदा किया। वहां के हर व्यक्ति ने 59 किलोग्राम प्लास्टिक वेस्ट पैदा किया। इसके बाद अमेरिका का स्थान है। हर अमेरिकी नागरिक ने 53 किलोग्राम प्लास्टिक वेस्ट पैदा किया। इसी तरह दक्षिण कोरिया के लोगों ने 44 किलोग्राम, ब्रिटेन के लोगों ने 44 किलोग्राम, जापान के लोगों ने 37 किलोग्राम, फ्रांस के लोगों ने 36 किलोग्राम, स्पेन के लोगों ने 34 किलोग्राम, जर्मनी के लोगों ने 22 किलोग्राम और चीन के लोगों ने 18 किलोग्राम प्लास्टिक वेस्ट पैदा किया।

प्रदूषण का मुख्य कारण है सिंगल यूज प्लास्टिक 
बता दें कि भारत समेत पूरी दुनिया प्रदूषण की समस्या का सामना कर रही है। जल, जमीन और हवा में प्रदूषण फैलाने में प्लास्टिक का बड़ा रोल है। सबसे बड़ी समस्या एक बार ही इस्तेमाल हो पाने वाले प्लास्टिक को लेकर है। रिसाइकल नहीं होने के चलते ये इस्तेमाल के बाद खुले में फेंक दिए जाते हैं। इसके चलते जहां मिट्टी की उर्वरता घट जाती है। वहीं, पानी में जाने पर यह उसे भी प्रदूषित कर देता है। 

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कई सालों तक ये नष्ट नहीं होते, जिससे शहरों, गांवों और कस्बों के बाहर पॉलिथीन, रैपर और अन्य तरह के सिंगल यूज प्लास्टिक का ढेर लग जाता है। लोग इसे नष्ट करने के लिए जलाते हैं तो इससे निकलने वाली जहरीली गैसें हवा को दूषित कर देती हैं। सिंगल यूज प्लास्टिक से पर्यावरण को होने वाले नुकसान को देखते हुए इसके इस्तेमाल को कम किया जा रहा है।

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