एक साथ 78200 तिरंगा लहराकर भारत ने दर्ज कराया 'गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड' में नाम, जानिए पूरी कहानी

बिहार में 23 अप्रैल को स्वतंत्रता संग्राम के महानायक बाबू वीर कुंवर सिंह के विजयोत्सव पर भोजपुर जिले के जगदीशपुर में एक साथ  78200 तिरंगा लहराने का गौरव गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड(Guinness Book of World Records) में दर्ज हो गया है। यह ऐतिहासिक उपलब्धि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) की मौजूदगी में हासिल की गई थी।

नई दिल्ली.केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) की मौजूदगी में भारत ने एक साथ सबसे ज़्यादा राष्ट्रीय ध्वज लहराने का रिकॉर्ड कायम किया है। अभी तक यह रिकॉर्ड पाकिस्तान के नाम था। करीब  5 मिनट तक झंडा फहराया गया। 23 अप्रैल 2022 को बिहार के भोजपुर के जगदीशपुर स्थित दुलौर मैदान में वीर कुंवर सिंह विजयोत्सव कार्यक्रम में 78 हज़ार 220 तिरंगे झंडों को एक साथ लहराकर भारत ने गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड अपने नाम दर्ज किया।

1857 की स्वतंत्रता के नायक थे राजा वीर कुंवर सिंह
यह मौका था जगदीशपुर के तत्कालीन राजा वीर कुंवर सिंह का अंग्रेजों के खिलाफ विजय प्राप्त करने का, जिन्हें 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के नायकों में गिना जाता है। यह कार्यक्रम भारत की स्वतंत्रता की 75 वीं वर्षगांठ 'आजादी का अमृत महोत्सव' के अंतर्गत गृह मंत्रालय और संस्कृति मंत्रालय ने मिलकर किया था।

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इस तरह की गई कार्यक्रम की मॉनिटरिंग
गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स के प्रतिनिधियों के सामने बनाए गए इस रिकॉर्ड के लिए कार्यक्रम में उपस्थित लोगों की भौतिक पहचान के लिए बैंड पहनाए गए थे। इसके अलावा पूरे कार्यक्रम की वीडियो रिकॉर्डिंग भी कराई गई थी। कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्रीआरके सिंह, अश्विनी चौबे और नित्यानंद राय भी मौजूद रहे। उप मुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद और रेणु देवी की भी इस गौरवशाली क्षण की गवाह बनीं। हजारों लोगों ने एक साथ पांच मिनट तक तिरंगा लहराया। इस दौरान राष्ट्रीय गीत 'वंदे मातरम्' का गायन किया गया था।

कौन थे वीर कुंवर सिंह
बाबू वीर कुंवर सिंह 1857 के भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक प्रमुख नेता थे। उन्होंने लगभग 80 वर्ष की उम्र में भी अंग्रेजों से लड़ाई लड़ी थी। वे जगदीशपुर के परमार राजपूतों के उज्जयिनी वंश के परिवार से ताल्लुक रखते थे। जगदीशपुर इस समय भोजपुर जिले में आता है। कुंवर सिंह ने ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की कमान के तहत सैनिकों के खिलाफ सशस्त्र सैनिकों के एक चयनित बैंड का नेतृत्व किया। उन्हें बिहार में अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई के मुख्य नायकों में शुमार माना जाता है।

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