भारत को जल्द मिल सकती है एक और वैक्सीन, Zydus Cadila का दावा 91% तक सफल है उसकी दवा

खबर यह है कि भारत को एक और वैक्सीन मिल सकती है। अहमदाबाद की फार्मा कंपनी जायडस कैडिला (Zydus Cadila) अपनी वैक्सीन के लिए इसी महीने इमरजेंसी अप्रूवल मांगने जा रही है। इस दवा का फेज-3 क्लिनिकल ट्रायल सक्सेस रहा था। कंपनी का दावा है कि उसकी वैक्सीन 91% असरकारक है। अगर इस वैक्सीन को अप्रूवल मिलता है, तो भारत के पास 4 वैक्सीन हो जाएंगी।

नई दिल्ली.  कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर आने की आशंका के बीच एक अच्छी खबर यह है कि भारत को एक और वैक्सीन मिल सकती है। अहमदाबाद की फार्मा कंपनी जायडस कैडिला (Zydus Cadila) अपनी वैक्सीन के लिए इसी महीने इमरजेंसी अप्रूवल मांगने जा रही है। इस दवा का फेज-3 क्लिनिकल ट्रायल सक्सेस रहा था। कंपनी का दावा है कि उसकी वैक्सीन 91% असरकारक है। बता दें कि इससे पहले भारत बायोटेक की कोवैक्सिन, सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की कोविशील्ड और रूस की स्पुतनिक-V को इमरेंसी अप्रूवल दिया जा चुका है। ये वैक्सीन वैक्सीनेशन अभियान में शामिल हैं।

जायडस कैडिला के मैनेजर डायरेक्टर(MD) शर्विल पटेल के मुताबिक, कंपनी इसी महीने तक ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI)  को ट्रायल का डेटा देकर इमरजेंसी अप्रूवल मांग सकती है। कंपनी ने दावा किया कि अभी उसकी उत्पादन क्षमता 1 करोड़ डोज प्रति माह तक हो सकती है। इसे 2 करोड़ तक किया जा सकेगा।

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यह भी जानें..
क्लिनिकल ट्रायल में दवा 91 फीसदी तक असरदार साबित हुई है। जायडस कैडिला का कहना है कि कोविड-19 के मरीजों पर पेगिलेटेड इंटरफेरॉन अल्फा 2b दवा का क्लिनिकल ट्रायल किया गया। यह ट्रायल दिसंबर 2020 में शुरू किया गया था। करीब 250 कोरोना मरीजों को इस ट्रायल में शामिल किया गया। दरअसल, यह कोई नई थेरेपी नहीं है। पेगिलेटेड इंटरफेरॉन अल्फा 2b को साल 2011 में हेपेटाइटिस C का इलाज करने के लिए भारतीय बाजार में उतारा गया था। तब से इस दवा का इस्तेमाल क्रॉनिक हेपेटाइटिस B और हेपेटाइटिस C के मरीजों के इलाज के लिए किया जा रहा है।

क्या है इस दवा का असर
कंपनी की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक, PegIFN देने पर कोरोना के 91.15 फीसदी मरीजों का 7 दिन में ही RT PCR नेगेटिव पाया गया। वहीं, इसकी तुलना में स्टैंडर्ड ऑफ केयर (SOC) से ट्रीटमेंट कराने पर 78.90 फीसदी मरीज ही 7 दिन में RT PCR नेगेटिव हो सके। कंपनी का यह भी कहना है कि PegIFN देने पर 56 घंटे ही ऑक्सीजन देनी पड़ी, जबकि स्टैंडर्ड ऑफ केयर में 84 घंटे ऑक्सीजन देनी पड़ रही है। इस दवा में सिंगल डोज में ही मरीजों की हालत में काफी सुधार हो रहा है। 

कंपनी ने मांगा अप्रूवल
बता दें कि नियमों के तहत ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया की सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमेटी सबसे पहले कंपनी के दावे की जांच करेगी। फेज-3 ट्रायल्स के नतीजों का विश्लेषण करने के बाद ही वह अपनी सिफारिश रेग्युलेटर को देगी। इसके बाद इस दवा के इमरजेंसी इस्तेमाल की अनुमति मिल सकती है। इससे पहले भी रेमडेसिविर जैसी दवाओं के इमरजेंसी इस्तेमाल की अनुमति रेग्युलटर द्वारा दी जा चुकी है। 

 

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