भारत और जापान के बीच चीन को लेकर चर्चा हुई। इसके साथ ही दोनों देशों ने यूक्रेन और रूस के बीच जारी जंग के चलते यूक्रेन में परमाणु सुविधाओं की सुरक्षा पर जोर दिया।
नई दिल्ली। भारत और जापान के बीच शनिवार को नई दिल्ली में 14वां भारत-जापान वार्षिक शिखर सम्मेलन (India-Japan Annual Summit) आयोजित हुआ। जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा (Japanese PM Fumio Kishida) और भारत के पीएम नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) सम्मेलन में शामिल हुए। इस संबंध में विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर जानकारी दी। उन्होंने कहा कि भारत और जापान के बीच चीन को लेकर चर्चा हुई। इसके साथ ही दोनों देशों ने यूक्रेन और रूस के बीच जारी जंग के चलते यूक्रेन में परमाणु सुविधाओं की सुरक्षा पर जोर दिया।
विदेश सचिव ने कहा कि पीएम मोदी और जापानी पीएम किशिदा ने आर्थिक सहयोग, डिजिटल सहयोग, भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास के लिए सहयोग, कौशल विकास आदि सहित सभी क्षेत्रों पर चर्चा की। यह न केवल द्विपक्षीय रूप से बल्कि हिंद-प्रशांत और बड़े पैमाने पर दुनिया के लिए एक महत्वपूर्ण संबंध है। मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति से प्रेरित भारत-जापान साझेदारी ने महत्वपूर्ण प्रगति की है।
बातचीत से होगा यूक्रेन संकट का हल
हर्षवर्धन श्रृंगला ने कहा कि इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में दो प्रमुख शक्तियों के रूप में पीएम मोदी और जापानी पीएम किशिदा ने क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर विस्तृत चर्चा की। प्रधानमंत्री मोदी और जापानी प्रधानमंत्री किशिदा ने यूक्रेन में परमाणु सुविधाओं की सुरक्षा के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने हिंसा की तत्काल समाप्ति के लिए अपना आह्वान दोहराया और कहा कि यूक्रेन संकट के हल के लिए बातचीत के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं है।
चीन पर हुई चर्चा
श्रृंगला ने कहा कि मोदी और किशिदा ने यूक्रेन पर दृष्टिकोण का आदान-प्रदान किया। उन्होंने चल रहे संघर्ष और मानवीय संकट के बारे में गंभीरता व्यक्त की और इंडो-पैसिफिक के लिए व्यापक प्रभाव का आकलन किया। दोनों प्रधानमंत्रियों ने चीन पर चर्चा की। हमने जापान को लद्दाख की स्थिति, सैनिकों को इकट्ठा करने के प्रयासों और सीमा संबंधी मुद्दों पर चीन के साथ हमारी बातचीत के बारे में सूचित किया। हमने यह स्पष्ट कर दिया कि जब तक हमारे पास शांति और शांति के साथ सीमा के मुद्दों का समाधान नहीं होगा, हम (चीन के साथ) संबंधों को सामान्य नहीं मान सकते। सामान्य स्थिति उन मुद्दों की प्रगति पर निर्भर करेगी जिनपर हम चर्चा कर रहे हैं।
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विदेश सचिव ने कहा कि हमने कनेक्टिविटी, स्वास्थ्य देखभाल, जल आपूर्ति और सीवेज के क्षेत्रों में आधिकारिक विकास सहायता के लिए 7 ऋण समझौते किए हैं। दोनों पक्ष भारत में जापानी सेब के आयात और जापान को भारतीय आमों के निर्यात के साथ कार्य योजनाओं पर सहमत हुए। साइबर सुरक्षा पर सहयोग, सतत विकास के क्षेत्र में सहयोग और अपशिष्ट जल प्रबंधन पर सहयोग के लिए भारत और जापान के बीच समझौते हुए हैं।
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