India Navy की इस पनडुब्बी से खौफ खाएगा चीन, छिपकर शिकार करने में है माहिर, 5 प्वाइंट में जानें ताकत

Published : Jan 23, 2023, 10:31 AM ISTUpdated : Jan 23, 2023, 11:49 AM IST

नई दिल्ली। हिंद महासागर में पिछले कुछ सालों में चीनी नौसेना की उपस्थिति बढ़ी है। इसे देखते हुए भारत नौसेना को अत्याधुनिक हथियार प्रणालियों से लैस कर रहा है। इसी क्रम में सोमवार को पनडुब्बी वागीर नौसेना में शामिल हुआ। 5 प्वाइंट में जानें ताकत...

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1- यह पनडुब्बी इतना ताकतवर है कि चीनी नौसेना के जहाज इससे खौफ खाएंगे। इस पनडुब्बी को प्रोजेक्ट-75 के स्कॉर्पीन प्रोग्राम के तहत तैयार किया गया है। स्कॉर्पीन क्लास की छह पनडुब्बियों का निर्माण होना है। वागीर पांचवीं पनडुब्बी है। इससे पहले कलवरी, खंडेरी, करंज और वेला को भारतीय नौसेना में शामिल किया गया था। छठी पनडुब्बी का नाम 'वागशीर' है।

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2- पनडुब्बी वागीर को अत्याधुनिक स्टील्थ फीचर से लैस किया गया है। एडवांस ध्वनिक अवशोषण तकनीक (वह तकनीक जो पनडुब्बी से निकलने वाली आवाज को सोख ले), लो रेडिएटेड न्वाइज लेवल और हाइड्रो-डायनामिक रूप से अनुकूलित आकार जैसे फीचर से लैस है। इसके चलते पानी के अंदर या समुद्र की सतह पर इसका पता लगाना बेहद कठिन होता है। दुश्मन की पनडुब्बी, युद्धपोत या किसी और टारगेट के खिलाफ यह टारपीडो या एंटी शिप मिसाइल से हमला कर सकता है।

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3- पनडुब्बी वागीर पानी में छिपे रहकर दुश्मन के करीब जाता है और हमला करती है। इसका इस्तेमाल कई तरह के अभियान में हो सकता है। इसे दुश्मन की जासूसी करने और जानकारी जुटाने, पनडुब्बी या युद्धपोत को नष्ट करने और बारूदी सुरंग बिछाने में इस्तेमाल किया जा सकता है। इस पनडुब्बी को लंबी दूरी तक मार करने वाले टारपीडो और ट्यूब लॉन्च एंटी शिप मिसाइल से लैस किया गया है।

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4- दुश्मन की पनडुब्बी और युद्धपोत का पता लगाने के लिए इस सबमरीन में स्टेट ऑफ द आर्ट सोनार और सेंसर सुइट लगा है। भूतपूर्व वागीर पनडुब्बी को 1 नवंबर 1973 को नौसेना में शामिल किया गया था। इसने तीन दशकों तक देश की सेवा की। इसे जनवरी 2001 में रिटायर कर दिया गया था।

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5- वागीर डीजल इंजन सबमरीन है। डीजल इंजन से पैदा होने वाली बिजली से पनडुब्बी की बैटरियों को चार्ज किया जाता है। पानी के अंदर छिपे रहने के दौरान बैटरी के मिलने वाली ऊर्जा का इस्तेमाल होता है। यह स्पेशल ऑपरेशन के लिए मरीन कमांडो को लॉन्च कर सकता है। वागीर का निर्माण मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (एमडीएल) मुंबई द्वारा फ्रांस के M/S नेवल ग्रुप के सहयोग से किया गया है। वागीर 24 महीने में नौसेना में शामिल होने वाली तीसरी पनडुब्बी है।

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