रूस से S-400 मिसाइल सिस्टम खरीद पर भारत ने अमेरिका को दो टूक जवाब दे दिया है। भारत ने कहा है कि वह किसी के दबाव में नहीं आने वाला। रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट ने लोकसभा में लिखित जवाब में यह बयान दिया है।
नई दिल्ली। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) 6 दिसंबर को भारत आ रहे हैं। उनकी भारत यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच कई अहम रक्षा सौदों पर साइन होने की संभावना है। रूस द्वारा S- 400 एयर डिफेंस सिस्टम (S-400 Air Defence System) की आपूर्ति शुरू कर देने से दोनों देशों के सामरिक संबंध और मजबूत हुए हैं। हालांकि रूस से S-400 सिस्टम खरीदने पर अमेरिका द्वारा प्रतिबंध लगाने का अंदेशा बना हुआ है।
अमेरिकी प्रतिबंधों के खतरे के बीच भारत ने अमेरिका को एस-400 मामले में दो टूक जवाब दे दिया है कि वह 'किसी के दबाव' में नहीं आने वाला है। रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट ने लोकसभा में एक लिखित जवाब में यह बयान दिया। रक्षा मंत्रालय की तरफ से कहा गया कि 'रूस से एस-400 सिस्टम की खरीद के लिए 5 अक्टूबर 2018 को करार किया गया था। सरकार रक्षा उपक्रमों की खरीद को प्रभावित करने वाले सभी घटनाक्रमों से अवगत है। सरकार सशस्त्र बलों की सभी सुरक्षा चुनौतियों का सामना करने की तैयारी के लिए संभावित खतरों, ऑपरेशनल और तकनीकी पहलुओं के आधार पर संप्रभुता से फैसला लेती है। डिलीवरी करार की समय सीमा के हिसाब से हो रही है।'
CAATSA के तहत अमेरिका लगा सकता है प्रतिबंध
दरअसल, अमेरिका रूस से रक्षा सौदा करने वाले देशों के खिलाफ काउंटरिंग अमेरिकाज एडवर्सरीज थ्रू सेक्शंस एक्ट (CAATSA) के तहत कार्रवाई कर उनपर प्रतिबंध लगाता है। रूस से एस-400 सिस्टम खरीदने पर अमेरिका भारत के खिलाफ भी कार्रवाई कर सकता है, लेकिन अभी तक अमेरिका ने इस संबंध में कोई कदम नहीं उठाया है।
अमेरिकी कांग्रेस ने CAATSA को 2017 में लागू किया था। इसे रूस की रक्षा और खुफिया कंपनियों के साथ खरीद-फरोख्त करने वाले देशों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई के लिए बनाया गया है। अमेरिका इससे पहले रूस से एस-400 मिसाइल रक्षा प्रणालियों की खरीद के लिए तुर्की पर कात्सा के तहत प्रतिबंध लगा चुका है।
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