EXCLUSIVE: विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर 22 सितंबर को जागे तो इतिहास रच देगा भारत

22 सितंबर को अगर विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर सूरज की किरणें पड़ने पर खुद को स्विच ऑन करने में कामयाब हो जाते हैं तो ये एक ऐतिहासिक पल होगा। इसके साथ ही भारत इतिहास रच देगा। 

ISRO Chief S Somnath Exclusive Interview: बेहद कम तापमान में चंद्रमा की सतह पर लंबे समय तक रहना और ये सुनिश्चित करना कि सिस्टम फिर से काम करेगा, वाकई में एक कठिन टास्क है। ऐसे में अगर 22 सितंबर को विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर सूरज की किरणें पड़ने पर खुद को स्विच ऑन करने में कामयाब हो जाते हैं तो ये एक ऐतिहासिक पल होगा। ये बात ISRO चीफ एस सोमनाथ ने Asianet News Network के एग्जीक्यूटिव चेयरमैन राजेश कालरा के साथ एक विशेष बातचीत के दौरान कही।

स्लीप मोड में जाने से पहले विक्रम-लैंडर ने भेजी जानकारी

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इसरो ने 5 सितंबर को विक्रम लैंडर के लिए स्लीप मोड शुरू किया। इससे पहले, चंद्रमा के साउथ पोल पर सॉफ्ट लैंडिंग के बाद चंद्रयान-3 से जुड़े पेलोड रंभा (RAMBHA-LP), चास्टे (ChaSTE) और आईएलएसए (ILSA) ने अलग-अलग ऑब्जर्वेशन किए। इसके बाद इन ऑब्जर्वेशन से इकट्ठा किए गए डेटा को धरती पर भेजा। बता दें कि इसरो ने 2 सितंबर को प्रज्ञान रोवर और 4 सितंबर को विक्रम लैंडर को स्लीप मोड में डाल दिया था। फिलहाल सारे पेलोड्स बंद हैं। सिर्फ रिसीवर ऑन है, ताकि वो बेंगलुरु से कमांड लेकर दोबारा से काम शुरू कर सके।

लैंडर-रोवर में लगे उपकरणों को एक्टिव करने में जुटा ISRO
22 सितंबर को ध्यान में रखते वैज्ञानिक संभावित मिशन विस्तार की खोज में लैंडर और प्रज्ञान रोवर दोनों पर लगे इंस्ट्रूमेंट्स को फिर से एक्टिव करने के लिए तैयार हैं। इस प्रयास की कामयाबी इस बात पर भी निर्भर करती है कि चंद्रमा पर 14 दिन तक अंधेरा रहने के दौरान बेहद कम तापमान पर ये इंस्ट्रूमेंट आखिर कितना दबाव झेल सके हैं। पिछले मून मिशन के ऐतिहासिक आंकड़ों पर नजर डालें तो पता चलता है कि चंद्रमा पर रात का तापमान लगभग शून्य से 200 डिग्री सेल्सियस तक नीचे चला जाता है।

लैंडर-रोवर के एक्टिव होते ही इतिहास रच देगा भारत
इसरो चीफ एस सोमनाथ के मुताबिक, चंद्रयान 3, विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर के लिए हमने जो कुछ किया, वो हमारे पूर्ण विश्वास और अन्य सभी परीक्षण कार्यक्रमों पर आधारित है। हम उम्मीद कर रहे हैं कि दोनों अपना काम ठीक तरह से करते हुए एक बार फिर वर्किंग में आएंगे। वर्किंग मोड में आने का मतलब है कि सिस्टम में इलेक्ट्रॉनिक्स इस तरह से काम करना चाहिए कि जब हम उसे कमांड भेजें तो वो हमारी बात माने और हमें रास्ता दिखा सकें। 22 सितंबर को अगर ऐसा होता है तो ये इतिहास में दर्ज हो जाएगा, क्योंकि लंबे समय तक इतने कम तापमान में जिंदा रहना और ये सुनिश्चित करना कि सिस्टम फिर से काम कर रहा है, वाकई में एक कठिन काम होगा।

बेहद कम तापमान पर हुई प्रज्ञान की टेस्टिंग

इसरो चेयरमैन एस सोमनाथ ने बताया कि बेहद कम तापमान में सर्वाइव करने के लिए प्रज्ञान रोवर का पूरी तरह से परीक्षण किया गया है। हालांकि, जब विक्रम की बात आती है, तो मैं ये नहीं कह सकता कि हर चीज का परीक्षण किया गया है। ये इतना बड़ा है कि हर एक चीज का परीक्षण संभव नहीं है। लेकिन विक्रम लैंडर और प्रज्ञान के अंदर के कई डिज़ाइन एक जैसे होने के कारण हम उम्मीद कर रहे हैं कि हमने प्रज्ञान पर जो भी परीक्षण किया है, वह हमें विक्रम पर भी विश्वास दिलाने के लिए पर्याप्त है।

कुछ और परीक्षणों के लिए पर्याप्त ईंधन

इसरो अध्यक्ष एस सोमनाथ ने ये भी बताया कि अगर विक्रम लैंडर मॉड्यूल सितंबर 2022 में फिर से एक्टिव हो जाता है तो कुछ और परीक्षण किए जा सकते हैं। उन्होंने कहा- हमारा अनुमान है कि लगभग 90 किलोग्राम ईंधन बचा है, जो कुछ और दिलचस्प टेस्टिंग के लिए पर्याप्त होगा। हालांकि, ये भी कहा कि इसमें कई चुनौतियां हैं। एक बार जब तापमान 180 डिग्री से नीचे चला जाता है, तो लिक्विड वैसा नहीं रहता और ठोस हो जाता है। उम्मीद है कि ये वापस अपने लिक्विड फॉर्म में आएगा और हम इसमें कामयाब होंगे।                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                               WATCH इसरो चीफ एस. सोमनाथ का सुपर एक्सक्लूसिव इंटरव्यू                                           

 

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