Exclusive: क्या ISRO में काम करते हैं देश के बेस्ट टैलेंट, एस. सोमनाथ ने सुनाया दिलचस्प किस्सा

चंद्रयान-3 और फ्यूचर मिशन को लेकर Asianet News Network के एग्जीक्यूटिव चेयरमैन राजेश कालरा ने ISRO चेयरमैन एस सोमनाथ से इसरो सेंटर में विस्तार से बातचीत की। इस दौरान उन्होंने एक दिलचस्प किस्सा सुनाया। 

चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाले चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर के एक बार फिर जागने की उम्मीद है। 14 दिन तक चांद पर रात रहने के बाद अब इसके साउथ पोल पर एक बार फिर रोशनी पहुंचेगी। ऐसे में इसरो को उम्मीद है कि दोनों फिर काम करना शुरू करेंगे। चंद्रयान-3 और फ्यूचर मिशन को लेकर Asianet News Network के एग्जीक्यूटिव चेयरमैन राजेश कालरा ने ISRO चेयरमैन एस सोमनाथ से इसरो सेंटर में विस्तार से बातचीत की। इस दौरान उन्होंने इसरो में काम करने वाले साइंटिस्ट से जुड़ा एक दिलचस्प किस्सा सुनाया।

ISRO का सैलरी स्ट्रक्चर जान क्या था स्टूडेंट का रिएक्शन?

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इसरो चीफ एस सोमनाथ के मुताबिक, हाल ही में हमने एक IIT में प्लेसमेंट कैंप किया। वहां स्टूडेंट्स आए, जिनके सामने हमने ISRO का सैलरी स्ट्रक्चर सामने रखा। आपको विश्वास नहीं होगा कि वहां से 60 प्रतिशत स्टूडेंट बाहर चले गए। IIT में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स आजकल सबसे पहले पैकेज देखते हैं। वे हाईएस्ट पैकेज से स्टार्ट करना चाहते हैं। ऐसे में कहा जा सकता है कि इसरो में मिलने वाला पैसा टैलेंट को अट्रैक्ट नहीं करता है। हालांकि, हम जो काम करते हैं, उसके मुताबिक बेस्ट टैलेंट हमारे पास है।

चंद्रयान-3 की कामयाबी के बाद ISRO से जुड़ना चाहते हैं लोग

इसरो चीफ एस सोमनाथ ने बताया कि चंद्रयान-3 की कामयाबी के बाद बहुत सारे सफल लोगों ने हमसे संपर्क किया और हमारे साथ काम करने की इच्छा जताई है। कई लोगों ने चंद्रयान मिशन की सफलता के बाद कहा कि हम इसरो और देश के लिए कंट्रीब्यूट करना चाहते हैं। ऐसी बातें हमेशा होती हैं लेकिन हमारे पास ऐसे एंगेजमेंट के लिए कोई प्रोसेस नहीं है। हमारे कांट्रैक्ट टर्म्स सरकारी नियमों के अनुसार हैं।

क्या है चंद्रयान-3 मिशन?

- 14 जुलाई 2023 को दोपहर 2 बजकर 35 मिनट पर चंद्रयान-3 मिशन देश के सबसे भारी रॉकेट GSLV लॉन्च व्हीकल मार्क-3 (LVM-3) से लॉन्च किया गया।

- करीब 42 दिनों की यात्रा के बाद 23 अगस्त को विक्रम लैंडर ने चांद के साउथ पोल पर सॉफ्ट लैंडिंग की। इस दौरान PM मोदी दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग से वचुर्अल माध्यम के जरिए ISRO से जुड़े और पूरी प्रॉसेस देखी।

- इसके बाद विक्रम लैंडर के साथ गए प्रज्ञान रोवर ने चांद की सतह पर घूमकर पेलोड्स के जरिए नई जगहों की जांच-पड़ताल की।

- चांद की तस्वीरें भेजने और जांच-पड़ताल के बाद इसरो ने 2 सितंबर को प्रज्ञान और 4 सितंबर को विक्रम को स्लीप मोड में डाला।

- हालांकि, 22 सितंबर को चांद पर एक बार फिर सूर्य की रोशनी पड़ने के बाद लैंडर और रोवर के दोबारा एक्टिव होने का इंतजार है।

- बता दें कि भारत का चंद्रयान-3 मिशन दुनिया का सबसे सस्ता मून मिशन है। इस पर महज 615 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं।                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                       WATCH इसरो चीफ एस. सोमनाथ का सुपर एक्सक्लूसिव इंटरव्यू

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