भारत व चीनी सैनिकों के बीच LAC पर झड़प, सेना ने किया घुसपैठ को नाकाम, ड्रैगन को अधिक नुकसान

जून 2020 में गलवान घाटी में सबसे भयानक झड़प हुई जिसमें 20 भारतीय सैनिक मारे गए थे। इस घटना में चालीस से अधिक चीनी सैनिकों के मारे गए थे।

Dheerendra Gopal | Published : Dec 12, 2022 2:32 PM IST / Updated: Dec 12 2022, 08:58 PM IST

Clash at LAC: भारत-चीन के सैनिकों के बीच एक बार फिर झड़प की बात सामने आ रही है। सरकारी सूत्रों के अनुसार अरुणाचल प्रदेश में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच संक्षिप्त झड़प हुई थी। यह तवांग सेक्टर की घटना है। यह झड़प 9 दिसंबर की है। इसमें दोनों पक्षों के कुछ सैनिकों के घायल होने की सूचना है। हालांकि, झड़प के बाद दोनों तरफ के सैनिक अपने-अपने कैंप वापस हो चुके हैं। इस झड़प में चीन के सैनिकों के अधिक नुकसान की सूचना है। उधर, भारत के घायल छह सैनिकों को गुवाहाटी के अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

एक न्यूज एजेंसी ने बताया कि भारतीय सेना ने चीनी घुसपैठ का करारा जवाब दिया। इस घटना में चीनी फौज को भारतीय सेना से काफी ज्यादा नुकसान हुआ। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 17 हजार फीट की ऊंचाई पर यह झड़प हुई। चीन के 300 सैनिकों ने घुसपैठ की कोशिश की थी लेकिन भारतीय सैनिक इस तरह की हरकत के लिए पहले से ही तैयार थे।

काफी लंबे समय के बाद दोनों सैनिक भिड़े हैं...

बीते 9 दिसंबर को हुई दोनों देशों के सैनिकों के बीच की झड़प के बारे में अधिकारिक रूप से कोई जानकारी नहीं दी गई है। इसके पहले 2020 में गलवान घाटी में दोनों सैनिकों में झड़पें हुई थी। जून 2020 में गलवान घाटी में सबसे भयानक झड़प हुई जिसमें 20 भारतीय सैनिक मारे गए थे। इस घटना में चालीस से अधिक चीनी सैनिकों के मारे गए थे। यह घटना पैंगोंग झील के दक्षिण तट पर हुई थी। इसके बाद सैन्य कमांडर्स लेवल पर कई मीटिंग हुई तो थोड़ा मामला सुलझा। दोनों देशों के बीच बातचीत के बाद भारतीय और चीनी सैनिक लद्दाख में गोगरा-हॉट स्प्रिंग्स सहित प्रमुख बिंदुओं से पीछे हट गए।

चीन ने अरुणाचल प्रदेश के कई क्षेत्रों का बदल दिया था नाम

चीन ने अरुणाचल प्रदेश (Arunachal Pradesh) के कई इलाकों समेत इससे सटे करीब 15 जगहों का नाम बीते साल 2021 के दिसंबर में बदल दिया था। तिब्बती संस्कृति को खत्म करने में जुटे चीन ने चीनी शब्दों में इन जगहों के नाम रखे थे। साथ ही इन क्षेत्रों पर अपना अधिकार बताया था। बता दें कि भारत के अभिन्न अंग अरुणाचल प्रदेश को चीन मान्यता नहीं देता है साथ ही इसे दक्षिण तिब्बत (South Tibet) या जंगनान (Jungnan) कहता रहा है। ग्लोबल टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार चीन के नागरिक मंत्रालय ने नियमों के मुताबिक जंगनान (चीन अरुणाचल प्रदेश को दक्षिण तिब्बत या जंगनान कहता रहा है) में चीनी अक्षरों, तिब्बती और Roman alphabets में जगहों का मानकीकरण किया है। जिन 15 जगहों के नाम बदले गए हैं, उसमें से कई भारत और चीन के बीच विवादित हैं। बदले गए 15 नामों में से आठ रेसिडेंशियल प्लेस, चार पहाड़, दो नदी और एक पहाड़ी दर्रा है। चीन ने दूसरी बार तिब्बत और अरुणाचल के नजदीकी जगहों का चीनी नाम देने का काम किया। इससे पहले 2017 में चीन ने छह जगहों का नाम अपने हिसाब से रखा था।चीन ने जिन जगहों के नाम बदले हैं उसमें से कई जगह अरुणाचल प्रदेश के भाग हैं। चीन ने शन्नन प्रीफेक्चर के कोना काउंटी में सोंगकोज़ोंग और डग्लुंगजोंग, निंगची के मेडोग काउंटी में मणिगंग, ड्यूडिंग और मिगपेन, न्यिंगची के जायू काउंटी में गोलिंग, डंबा और शन्नान प्रीफेक्चर के लुंजे काउंटी में मोजाग के नाम बदल दिए हैं। जायू और लुंजे काउंटी के बड़े हिस्से भारत के अरुणाचल प्रदेश में हैं।

अरुणाचल और अक्साई चीन पर विवाद

भारत-चीन के बीच अरुणाचल व अक्साई चीन को लेकर विवाद कई दशकों से चला आ रहा है। चीन, अरुणाचल प्रदेश को अपना हिस्सा बताता आया है। चीन का दावा है कि अरुणाचल पारंपरिक तौर पर दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा है। जबकि, भारत के अक्साई चिन इलाके पर 1962 के युद्ध में चीन ने कब्जा कर लिया था।

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