
Gravity return funny moment: अंतरिक्ष यात्रा से लौटने के बाद जब ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ह्यूस्टन में अपने बेड पर बैठे लैपटॉप पर काम कर रहे थे तो उन्होंने आदतन उसे बंद किया और हवा में छोड़ दिया। अंतरिक्ष की आदत की वजह से उनको लगा कि वह तैरेगा लेकिन वह भूल गए कि वह धरती पर हैं और लैपटॉप ज़मीन पर गिर गया। शुक्र है कि नीचे कालीन था, वरना NASA-ISRO के इस ऐतिहासिक मिशन का पहला दिन ही भारी नुकसान में बदल जाता।
Axiom Space के Ax-4 मिशन के तहत शुभांशु शुक्ला ने लगभग 433 घंटे, यानी 18 दिन अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर बिताए। इस दौरान उन्होंने 288 बार पृथ्वी की परिक्रमा की और कुल 12.2 मिलियन किलोमीटर की दूरी तय की जोकि पृथ्वी और चंद्रमा के बीच की दूरी से लगभग 32 गुना अधिक है। वे 1984 के राकेश शर्मा के बाद अंतरिक्ष जाने वाले भारत के दूसरे और निजी स्पेस मिशन से जाने वाले पहले भारतीय हैं।
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अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री पेगी व्हिटसन (Peggy Whitson) ने बताया कि उन्होंने नए अंतरिक्ष यात्रियों को सलाह दी थी कि धीरे चलो, कम नुकसान होगा। मुझे आश्चर्य हुआ कि ये नए यात्री कितनी तेजी से microgravity को अपना लेते हैं। शुभांशु और उनकी टीम बेहद सावधानी से ISS में चले, कोई नुकसान नहीं किया।
शुभांशु शुक्ला ने लौटने के बाद एक और अनुभव साझा करते हुए बताया कि पृथ्वी पर लौटने के बाद जब उन्होंने किसी से फोटो लेने के लिए फोन मांगा तो उसे उठाकर चौंक गए। फोन काफी भारी लग रहा था। वापस लौटने के बाद जो चीज़ पहले रोज़मर्रा का हिस्सा थी, वो अब नई और अजीब लग रही थी।
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20 दिनों तक जीरो ग्रेविटी में रहना शरीर को तेजी से बदल देता है। हड्डियां, मांसपेशियां, संतुलन, सब कुछ नया सीखना पड़ता है। लेकिन लौटकर पुराने नियमों में ढलना और भी मुश्किल होता है। शुभांशु ने बताया कि चलने, खड़े होने, संतुलन बनाने तक में समय लगा। पुनर्वास कार्यक्रम के जरिए 3–4 दिन में सामान्य महसूस होने लगा लेकिन पूर्ण रिकवरी में हफ्ते लगते हैं।
Axiom Space के इस मिशन की भारत को लगभग $70 मिलियन यानी 580 करोड़ रुपये की लागत आई। लेकिन इसके साथ भारत ने अंतरिक्ष अन्वेषण की नई परंपरा में कदम रखा।