chaudhary charan singh: इंडिया के पूर्व पीएम चौधरी चरण सिंह को भारत रत्‍न देने का ऐलान, PM मोदी ने की घोषणा

Published : Feb 09, 2024, 12:57 PM ISTUpdated : Feb 09, 2024, 01:40 PM IST
chaudhary charan singh

सार

भारत के पूर्व प्रधानमंत्री और क‍िसान नेता स्वर्गीय चौधरी चरण सिंह को भारत रत्‍न देने का ऐलान किया गया है।

चौधरी चरण सिंह। भारत के पूर्व प्रधानमंत्री और क‍िसान नेता स्वर्गीय चौधरी चरण सिंह को भारत रत्‍न देने का ऐलान किया गया है। इस बात की घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की है। उन्होंने अपने सोशल मीडिया अकाउंट एक्स पर बात की जानकारी दी. पीएम मोदी ने ट्वीट करते हुए लिखा कि हमारी सरकार का यह सौभाग्य है कि देश के पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह जी को भारत रत्न से सम्मानित किया जा रहा है। यह सम्मान देश के लिए उनके अतुलनीय योगदान को समर्पित है।

उन्होंने (स्वर्गीय चौधरी चरण सिंह ) किसानों के अधिकार और उनके कल्याण के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया था। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे हों या देश के गृहमंत्री और यहां तक कि एक विधायक के रूप में भी, उन्होंने हमेशा राष्ट्र निर्माण को गति प्रदान की। वे आपातकाल के विरोध में भी डटकर खड़े रहे। हमारे किसान भाई-बहनों के लिए उनका समर्पण भाव और इमरजेंसी के दौरान लोकतंत्र के लिए उनकी प्रतिबद्धता पूरे देश को प्रेरित करने वाली है।

 

 

पूर्व पीएम चौधरी चरण सिंह का राजनीतिक सफर

भारत के पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह का जन्म साल 1902 में उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले के नूरपुर में एक मध्यमवर्गीय किसान परिवार में हुआ था। उन्होंने 1923 में विज्ञान से स्नातक की एवं 1925 में आगरा विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की। इसके बाद वो साल 1929 में कांग्रेस में शामिल हो गए।वे सबसे पहले 1937 में छपरौली से उत्तर प्रदेश विधानसभा के लिए चुने गए एवं 1946, 1952, 1962 एवं 1967 में विधानसभा में अपने निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। 

वे 1946 में पंडित गोविंद बल्लभ पंत की सरकार में संसदीय सचिव बने और राजस्व, चिकित्सा एवं लोक स्वास्थ्य, न्याय, सूचना इत्यादि विभिन्न विभागों में काम किया। जून 1951 में चौधरी चरण सिंह राज्य के कैबिनेट मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया एवं न्याय तथा सूचना विभागों का प्रभार दिया गया। बाद में 1952 में वे डॉ. सम्पूर्णानन्द के मंत्रिमंडल में राजस्व एवं कृषि मंत्री बने। अप्रैल 1959 में जब उन्होंने पद से इस्तीफा दिया, उस समय उन्होंने राजस्व एवं परिवहन विभाग का प्रभार संभाला हुआ था।

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