PM मोदी और राष्ट्रपति पुतिन का रिश्ता 23 साल पुराना, जानें कैसे दोनों नेताओं के बीच हुई थी दोस्ती की शुरुआत

भारत और रूस के संबंध काफी लंबे समय से चले आ रहे हैं। दोनों देशों के बीच संबंधों की जड़ें गहरी ऐतिहासिक हैं। इस संबंध को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी काफी समय से मजबूत करते आ रहे हैं।

sourav kumar | Published : Jul 8, 2024 7:32 AM IST / Updated: Jul 08 2024, 01:07 PM IST

PM Modi Russia Visit: भारत और रूस के संबंध काफी लंबे समय से चले आ रहे हैं। दोनों देशों के बीच संबंधों की जड़ें गहरी ऐतिहासिक हैं। इस संबंध को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी काफी समय से मजबूत करते आ रहे हैं। बता दें कि आज पीएम छठी बार रूस के दौरे पर जा रहे हैं, जहां वो भारत-रूस समिट 2024 में भाग लेने वाले हैं। हालांकि, इसे पहले पीएम मोदी 6 नवंबर, 2001 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के साथ रूस के दौरे पर गए थे। उस वक्त नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे। आज से 23 साल पहले के रूस दौरे पर नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ मुलाकात की थी। एक छोटे राज्य से होने और अंतरराष्ट्रीय मंच पर नए होने के बावजूद राष्ट्रपति पुतिन ने उनके साथ बहुत सम्मान से व्यवहार किया, जिससे दोनों नेताओं के बीच  दोस्ती के दरवाजे खुल गए।

 

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साल 2001 के दौरे पर गुजरात के तत्कालीन सीएम और मौजूदा पीएम नरेंद्र मोदी ने गुजरात और रूसी प्रांत अस्त्रखान के बीच एक प्रोटोकॉल समझौते पर भी हस्ताक्षर किया था। उस समझौते से दोनों पक्ष पेट्रो और हाइड्रोकार्बन क्षेत्रों, व्यापार, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, शिक्षा, पर्यटन और संस्कृति के क्षेत्र में एक साथ काम करने पर सहमत हुए। अपने पहले रूसी दौरे पर मोदी ने दोस्ती की शुरुआत करते हुए आगे बढ़ाए रखा, जिसके बाद मोदी एक बार फिर  2006 में मोदी ने अस्त्रखान का दौरा किया और गवर्नर अलेक्जेंडर झिलकिन से मुलाकात की।

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साल दर साल पीएम मोदी ने मजबूत की पकड़

साल 2006 में भी नरेंद्र मोदी गुजरात के सीएम थे। उस वक्त अपने रूस दौरे पर साल 2001 में किए गए प्रोटोकॉल समझौते को अगले पांच वर्षों के लिए बढ़ा दिया था। सहयोग के लिए प्रोटोकॉल समझौते को अगले पांच वर्षों के लिए बढ़ा दिया गया। इसके बाद 2009 में उन्हें चौथे इंटरनेशनल एनर्जी वीक को संबोधित करने और 9वें रूसी तेल और गैस वीक सम्मेलन में भाषण देने के लिए आमंत्रित किया गया था। मोदी ने रूसी भाषा में प्रेजेंटेशन देकर रूसी कारोबारियों को चौंका दिया था। इस तरह से ऊर्जा और पेट्रोकेमिकल क्षेत्रों में गुजरात-रूस साझेदारी की नींव रखी गई। आज इसका फायदा पूरे देश को मिल रहा है।

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