बीटिंग द रिट्रीट 2022 : पहली बार एक साथ आकाश में दिखेंगे 1,000 ड्रोन, ऐसा करने वाला भारत चौथा देश बनेगा

केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज ड्रोन्स का डेमो देखा और बोटलैब स्टार्टअप के तन्मय बुनकर, सरिता अहलावत, सुजीत राणा, मोहित शर्मा, हर्षित बत्रा, कुणाल मीणा और अन्य लोगों से अपने आवास पर मुलाकात की। इस मौके पर बोटलैब डायनेमिक्स प्राइवेट लिमिटेड के एमडी और इंजीनियर पहली बार एक साथ 1,000 ड्रोन के जरिये आकाश को रोशन करने वाली योजना पर उत्साहित दिखे। 

Asianet News Hindi | Published : Jan 28, 2022 12:06 PM IST

नई दिल्ली। शनिवार 29 जनवरी 2022 को दिल्ली के विजय चौक पर 'बीटिंग रिट्रीट' (Beating Retreat ceremony) समारोह में 'ड्रोन शो' आकर्षण का केंद्र रहेगा। केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने बताया कि 1000 ड्रोन वाले इस शो को भारतीय स्टार्टअप कंपनी बोटलैब आयोजित करेगी। 
आजादी के 75 साल पूरे होने पर मनाए जा रहे अमृत महोत्सव में पहली बार इस ड्रोन शो को समारोह का हिस्सा बनाया गया है। समारोह में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी मौजूद रहेंगे। आजादी का अमृत महोत्सव मनाने के लिए इस बार बीटिंग रिट्रीट समारोह में कई नई धुनें जोड़ी गई हैं। इनमें 'केरल', 'हिंद की सेना' और 'ऐ मेरे वतन के लोगों' शामिल हैं। इस कार्यक्रम का समापन 'सारे जहां से अच्छा' की धुन के साथ होगा। ड्रोन शो 10 मिनट का होगा। इस ड्रोन शो के दौरान बैकग्राउंड म्यूजिक भी चलेगा। 

भारतीय स्टार्टअप बोटलैब पेश करेगा 1000 ड्रोन वाला शो
इस ड्रोन शो को 'मेक इन इंडिया' के तहत डिजाइन किया गया है। केंद्रीय मंत्री डॉ .जितेंद्र सिंह ने बताया कि ड्रोन शो भारतीय स्टार्टअप बोटलैब, केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड (टीडीबी) द्वारा वित्त पोषित और आईआईटी दिल्ली के पूर्व छात्रों के नेतृत्व में होगा। उन्होंने बताया कि इससे भारत चीन, रूस और ब्रिटेन के बाद 1,000 ड्रोन के साथ इतने बड़े पैमाने पर प्रदर्शन करने वाला चौथा देश बन जाएगा।

मंत्री ने देखा डेमो, स्टार्टअप से की बातचीत
केंद्रीय मंत्री ने आज ड्रोन्स का डेमो देखा और बोटलैब स्टार्टअप के तन्मय बुनकर, सरिता अहलावत, सुजीत राणा, मोहित शर्मा, हर्षित बत्रा, कुणाल मीणा और अन्य लोगों से अपने आवास पर मुलाकात की। इस मौके पर बोटलैब डायनेमिक्स प्राइवेट लिमिटेड के एमडी और इंजीनियर पहली बार एक साथ 1,000 ड्रोन के जरिये आकाश को रोशन करने वाली योजना पर उत्साहित दिखे। 

साइंस एंड टेक्नोलॉजी डिपार्टमेंट ने विकसित किया बोटलैब
मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि स्टार्टअप, बोटलैब डायनेमिक्स को साइंस एंड टेक्नोलॉजी डिपार्टपेंट (DST) द्वारा रिसर्च एंड डेवलपमेंट के लिए एक करोड़ रुपए की प्रारंभिक राशि दी गई थी। बाद में टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट बोर्ड ने अपनी तरह की पहली तकनीक विकसित करने और बड़े पैमाने पर व्यावसायीकरण के लिए 2.5 करोड़ रुपए दिए। बोटलैब डायनेमिक्स की एमडी डॉ. सरिता अहलावत ने कहा कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा दी गई वित्तीय सहायता के कारण ही ड्रोन परियोजना सफल हो सकी है, क्योंकि निजी क्षेत्र हार्डवेयर स्टार्टअप को संभालने के इच्छुक नहीं थे। उन्होंने मल्टीनेशनल कंपनियों के बेहतरीन ऑफर ठुकराने और मेक इन इंडिया प्रोजेक्ट से जुड़ने के लिए इंजीनियरों का धन्यवाद दिया। 

छह महीने में बनी ड्रोन फ्लीट, सारे उपकरण भारतीय
बोटलैब डायनेमिक्स ने यह फ्लीट 6 महीने में विकसित की है। डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा- उन्हें यह जानकर खुशी हुई कि भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान में इनक्यूबेटेड Boatlab Dynamics 6 महीने में 1000 ड्रोन की एक फ्लीट विकसित करने में सक्षम है। उन्होंने इस बात पर भी गर्व जताया कि इस प्रोजेक्ट में हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर दोनों जैसे फ्लाइट कंट्रोलर, सटीक जीपीएस, मोटर कंट्रोलर, ग्राउंड कंट्रोल स्टेशन (जीसीएस) एल्गोरिदम आदि देश में ही विकसित की गईं।

आमंत्रण पत्रों में बीज, गमलों में डालने से उगेंगे औषधीय पौधे
 'बीटिंग द रिट्रीट' समारोह के लिए पर्यावरण के अनुकूल आमंत्रण पत्र तैयार किए गए हैं। इनमें अश्वगंधा, एलोवेरा और आंवला जैसे औषधीय पौधों के बीज हैं। लोगों को इसे अपने बगीचे/फूलों के गमलों में इसे डालने और व सदियों पुराने औषधीय लाभों को प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।

क्यों होती है बीटिंग रिट्रीट
बीटिंग रिट्रीट एक सदियों पुरानी सैन्य परंपरा है। यह उन दिनों से चली आ रही है, जब सैनिक सूर्यास्त के समय युद्ध समाप्त कर अपनी-अपनी छावनी में चले जाते थे। जैसे ही बिगुल बजाने वाले पीछे हटने की धुन बजाते थे, इसे सुनते ही सैनिक लड़ाई बंद कर देते थे और अपने अस्त्र-शस्त्र को वापस रखकर युद्ध भूमि से पीछे हट जाते थे। इसी वजह से पीछे हटने की आवाज के दौरान खड़े रहने की परंपरा आज भी बरकरार रखी गई है। रंगों और मानकों पर आवरण चढ़ा दिया जाता है और स्थान छोड़ने पर ध्वज को नीचे उतार दिया जाता है। 

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