सहकारिता की वर्तमान नीति 2002 में तैयार की गई थी। लेकिन बदले हुए आर्थिक परिदृश्य से निपटने के लिए एक नई राष्ट्रीय नीति का मसौदा तैयार करने के लिए सरकार ने एक कमेटी का गठन किया।
The new Cooperation Policy: भारत में नई सहकारिता नीति को जुलाई में लागू किया जा सकता है। नई राष्ट्रीय सहकारिता नीति का मसौदा तैयार हो चुका है। देश के पहले सहकारिता मंत्री अमित शाह को पूर्व मंत्री सुरेश प्रभु की अध्यक्षता वाली 49 सदस्यीय कमेटी ने सोमवार को न्यू कोआपरेटिव पॉलिसी ड्राफ्ट सौंपा। कमेटी की सिफारिशों के आधार पर एक संशोधित ड्राफ्ट तैयार कर नई पॉलिसी बनाई जाएगी।
सहकारिता की वर्तमान नीति 2002 में तैयार की गई थी। लेकिन बदले हुए आर्थिक परिदृश्य से निपटने के लिए एक नई राष्ट्रीय नीति का मसौदा तैयार करने के लिए सरकार ने एक कमेटी का गठन किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'सहकार से समृद्धि' के विजन को साकार करने के लिए एक नई नीति का ड्राफ्ट तैयार करने के लिए 2 सितंबर 2022 को सुरेश प्रभु की अध्यक्षता में 49 सदस्यीय कमेटी का ऐलान किया गया।
कमेटी ने शाह को सौंपा ड्राफ्ट
सुरेश प्रभु की अध्यक्ष वाली कमेटी ने नई राष्ट्रीय सहकारिता नीति का ड्राफ्ट तैयार करने के बाद सोमवार को केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह को उसे सौंपा। कमेटी के सदस्यों ने एक मीटिंग में केंद्रीय मंत्री को नई नीति के ड्राफ्ट के बारे में जानकारी भी दी। राज्य सरकारों, केंद्रीय मंत्रालयों, विभागों, राष्ट्रीय सहकारी समितियों आदि सहित सभी स्टेकहोल्डर्स से रिव्यू के बाद जुलाई में नई सहयोग नीति की घोषणा की जा सकती है।
कौन कौन रहे मीटिंग में?
मीटिंग में अमित शाह व सुरेश प्रभु के अलावा नेशनल कोआपरेटिव यूनियर ऑफ इंडिया के अध्यक्ष दिलीप संघानी, नाबार्ड के चेयरमैन केवी शाह, नेफकब के चेयरमैन ज्योतिंद्र मेहता, ग्रामीण प्रबंधन संस्थान आनंद (आईआरएमए) के निदेशक उमाकांत दाश, आरबीआई के निदेशक सतीश मराठे और वैम्निकॉम की निदेशक हेमा यादव मौजूद रहे। इसके अलावा यूपी सरकार के सहकारिता विभाग के वित्तीय सलाहकार पी के अग्रवाल, गांधीग्राम ग्रामीण विश्वविद्यालय के प्रोफेसर सी पिचाई और सहकारिता मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे।
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