
नई दिल्ली। भारत की सबसे बड़ी एयरलाइन इंडिगो पिछले कुछ दिनों से ऐसे संकट में फंसी है जिसने देश के एविएशन सेक्टर की कमजोरियों को खुलकर सामने ला दिया। एयरपोर्ट्स पर यात्रियों की भीड़, लगातार कैंसिल होती उड़ानें और रोस्टरिंग पर छिड़ा विवाद-इन सबने मिलकर हवा में उड़ते विश्वास को जमीन पर ला दिया। सरकार ने पहली बार बेहद कड़े शब्दों में कहा है कि पायलट और क्रू के रोस्टरिंग नियमों पर कोई बातचीत नहीं होगी, चाहे एयरलाइन कितनी भी बड़ी क्यों न हो। एविएशन मंत्री राम मोहन नायडू का यह बयान बताता है कि इंडिगो का यह संकट सिर्फ ‘मैनेजमेंट की चूक’ ही नहीं, बल्कि एक गहरी सिस्टम फेल्योर का हिस्सा भी है। आखिर इस उथल-पुथल की जड़ क्या है? क्या रोस्टरिंग नियम वाकई इतना बड़ा कारण बने? या फिर कहानी कहीं और छिपी है?
पिछले हफ्ते अचानक 500 से ज्यादा फ्लाइट्स कैंसिल हो जाने के बाद यात्रियों में हड़कंप मच गया। एयरपोर्ट्स पर अफरा-तफरी इतनी थी कि कई लोग घंटों फंसे रहे। कहे जाने लगा कि पायलटों की कमी और क्रू रोस्टर की गड़बड़ी ही इसका मुख्य कारण है। दो साल पहले सरकार ने नए FDTL (Flight Duty Time Limitation) नियम लागू किए थे, जिनका मकसद था पायलटों की थकान को कम करना और उड़ानों को सुरक्षित बनाना। लेकिन इंडिगो-जो पहले से कम डाउनटाइम रखकर काम करती रही है-इन नियमों को लेकर तैयारी नहीं कर पाई। नतीजा, अचानक पायलट शेड्यूल बिगड़ गए, क्रू कम पड़ गया और उड़ानें लगातार कैंसिल होने लगीं। क्या इंडिगो ने जोखिमों को नजरअंदाज किया, या संकट वाकई अचानक आया?
जब हालात बेकाबू होने लगे, DGCA ने अस्थायी रूप से रात की ड्यूटी नियमों में थोड़ी ढील दी। यह फैसला इतनी जल्दी लिया गया कि एक्सपर्ट्स ने सवाल उठाना शुरू कर दिया।
सरकार ने इन दावों को खारिज करते हुए कहा "सुरक्षा पर कोई समझौता नहीं हो सकता। यह राहत सिर्फ ऑपरेशनल बैलेंस बहाल करने के लिए थी।" लेकिन इस फैसले ने बहस को और गहरा कर दिया।
लेकिन यात्रियों का दर्द सिर्फ पैसे तक सीमित नहीं:
इस अचानक हुए संकट ने यह भी पूछने पर मजबूर किया कि क्या देश की सबसे बड़ी एयरलाइन अपने ही आकार के बोझ तले दब रही है?
इंडिगो ने शोकॉज नोटिस के जवाब में कहा कि संकट इन वजहों से आया:
सरकार और इंडिगो दोनों अब अपनी-अपनी स्थिति मजबूत करने में लगे हुए हैं। मंत्री का साफ संदेश “कोई भी एयरलाइन नियमों से ऊपर नहीं।” इंडिगो का जवाब “हम हालात सुधार रहे हैं।” लेकिन इस पूरे विवाद ने एक बात तो साफ कर दी…भारत को अब एक अधिक मजबूत, पारदर्शी और संतुलित एविएशन सिस्टम की जरूरत है।
जब DGCA ने नियमों में अस्थायी ढील देकर इंडिगो को राहत देने की कोशिश की, तो एक्सपर्ट्स ने इसे गलत बताया। उनका कहना था कि इतने बड़े मार्केट शेयर वाली एयरलाइन के कारण सरकार दबाव में आ गई। मंत्री नायडू ने कहा कि “यह मामला हल्के में नहीं लिया गया। यह देश के सभी एयरलाइंस के लिए एक मिसाल है।” लेकिन मंत्री नायडू ने साफ किया कि “हम किसी एयरलाइन के दबाव में नहीं हैं। नियम सबके लिए एक समान हैं। सुरक्षा सबसे ऊपर है। तो क्या यह कदम इंडिगो के लिए चेतावनी है कि अब चालें चलने से पहले दो बार सोचना होगा?