
नई दिल्ली। शनिवार का दिन भारत के एयर ट्रैवल इतिहास में एक बड़ी अफरातफरी के रूप में दर्ज हो गया, जब इंडिगो ने एक ही दिन में 400 से ज़्यादा घरेलू उड़ानें कैंसिल कर दीं। देश के सबसे बड़े एयरलाइन नेटवर्क में अचानक आई इस भारी रुकावट ने लाखों यात्रियों की मुश्किलें बढ़ा दीं। एयरपोर्ट्स पर लंबी कतारें, गुस्से में यात्रियों की भीड़, मिस्ड कनेक्शन, और बिना जानकारी के घंटों इंतजार—हर जगह एक जैसा ही हंगामा देखने को मिला। इंडिगो ने सोशल मीडिया पर "हमें खेद है" संदेश जारी किया, लेकिन यह संकट इतने बड़े पैमाने पर कैसे फैल गया, यह सवाल अब भी यात्रियों को परेशान कर रहा है।
सूत्रों के मुताबिक, इंडिगो का यह ऑपरेशनल संकट पिछले कुछ दिनों में चुपचाप बढ़ता रहा। एयरलाइन रोज़ाना 2,300 फ़्लाइट्स चलाती है और इसके पास 400+ एयरक्राफ्ट हैं। इतने बड़े नेटवर्क में पायलटों की शॉर्टेज का असर चेन-रिएक्शन की तरह फैल गया। कहा जा रहा है कि पायलटों की कमी, प्लानिंग की गलतियां, और अचानक बढ़े ऑपरेशनल प्रेशर ने पूरे सिस्टम को कुछ ही घंटों में ठप कर दिया। रिपोर्ट्स के अनुसार, यह संकट पहले ही दिन से कंट्रोल में नहीं था, लेकिन एयरलाइन समय रहते यात्रियों को सही जानकारी नहीं दे पाई।
देश के लगभग सभी बड़े एयरपोर्ट इस संकट की चपेट में आए।
सबसे ज़्यादा फ्लाइट कैंसिल हुईं:
इसके अलावा,
सभी जगह यात्रियों की भीड़ और गुस्सा बढ़ता गया। कई लोगों ने कहा कि उन्हें न तो मैसेज मिला, न ईमेल, न कोई ऑन-ग्राउंड जानकारी।
इंडिगो ने X पर रात को माफी जारी की और कहा, “हम जानते हैं कि पिछले कुछ दिन आप सभी के लिए बहुत मुश्किल रहे हैं… हम ऑपरेशन को जल्द से जल्द नॉर्मल करने की कोशिश कर रहे हैं।” साथ ही कंपनी ने यह भी कहा कि सभी कैंसिल फ्लाइट्स के रिफंड अपने-आप यात्रियों के अकाउंट में वापस जाएंगे। CEO ने बयान में यह भी कहा कि 10 से 15 दिसंबर के बीच ऑपरेशन सामान्य हो सकते हैं, लेकिन एयरलाइन ने चेतावनी दी कि स्केल बड़ा होने के कारण पूरी रिकवरी में समय लग सकता है।
केंद्रीय मंत्री राम मोहन नायडू ने कहा कि स्थिति “सुलझने की कगार पर” है। उनके अनुसार दिल्ली, मुंबई, चेन्नई जैसे मेट्रो एयरपोर्ट्स पर बैकलॉग काफी कम हो गया है। बाकी एयरपोर्ट्स की स्थिति भी आज रात तक सुधर जाएगी। इंडिगो कल से लिमिटेड कैपेसिटी में दोबारा नॉर्मल ऑपरेशन शुरू करेगी। पूरी क्षमता बहाल होने में कुछ दिन लगेंगे, लेकिन यात्रियों को आज से राहत मिलनी शुरू हो सकती है।
विशेषज्ञों का कहना है कि यह संकट सिर्फ ऑपरेशनल नहीं था, बल्कि एक कम्युनिकेशन फेलियर भी था। प्लानिंग कम होने के साथ-साथ यात्रियों तक जानकारी सही समय पर नहीं पहुँची, जिससे छोटे ऑपरेशनल मुद्दे एक बड़े राष्ट्रीय संकट में बदल गए।