पूरे देश में हवाई किराए पर सीमा तय कर पाना संभव नहीं- एविएशन मिनिस्टर

Published : Dec 12, 2025, 06:40 PM IST
Ram Mohan Naidu

सार

IndiGo Crisis Airfare Intervention: केंद्रीय विमानन मंत्री राम मोहन नायडू ने लोकसभा में कहा कि पूरे देश में एयरफेयर पर सीमा तय करना संभव नहीं है, क्योंकि डिरेग्युलेटेड मार्केट लंबी अवधि में यात्रियों के लिए फायदेमंद होता है।  

Airfare Deregulation: केंद्रीय विमानन मंत्री (Aviation Minister) राम मोहन नायडू (Ram Mohan Naidu) ने शुक्रवार को लोकसभा में कहा कि पूरे देश में एयरफेयर पर सीमा तय करना संभव नहीं है। उन्होंने बताया कि डिरेग्युलेटेड मार्केट पैसेंजर्स के लिए सबसे फायदेमंद है। मंत्री ने कहा कि टिकट के दाम आमतौर पर फेस्टिव सीजन में बढ़ जाते हैं, क्योंकि उस समय मांग बहुत ज्यादा होती है। नायडू ने समझाया कि जब एविएशन सेक्टर में डिरेग्युलेशन लागू किया गया था, तो इसका उद्देश्य सेक्टर को विकसित करना और नए प्लेयर को बाजार में प्रवेश के लिए प्रोत्साहित करना था। उन्होंने कहा, 'सभी देशों में जिन्होंने अपने एविएशन सेक्टर को बढ़ाया है, वहां डिरेग्युलेटेड मार्केट था। इससे ज्यादा खिलाड़ी आते हैं और सहयोग के अवसर बढ़ते हैं। आप मार्केट डायनामिक्स को काम करने देते हैं। डिमांड और सप्लाई अपने तरीके से संतुलन बनाती हैं। आखिरी में सबसे ज्यादा फायदा पैसेंजर को ही होता है।'

त्योहारी सीजन में टिकट महंगे क्यों होते हैं?

मंत्री ने कहा कि त्योहारी मौसम में टिकट की कीमतें बढ़ना सामान्य है। कुछ मार्गों पर और कुछ समय में मांग अधिक होने की वजह से कीमतें बढ़ जाती हैं। इसलिए पूरे साल किसी सेक्टर पर कीमतों को सीमित करना संभव नहीं है। डिमांड और सप्लाई अपने आप एयरफेयर को कंट्रोल करती हैं। हालांकि, नायडू ने यह भी साफ किया कि इसका मतलब यह नहीं है कि एयरलाइन कंपनियों के लिए पूरी तरह छूट है। सरकार के पास अभी भी पर्याप्त शक्तियां हैं कि जरूरत पड़ने पर हवाई किराए को नियंत्रित किया जा सके और यात्रियों को इस तरह की समस्याओं से बचाया जा सके।

सरकार की पावर और हस्तक्षेप

मौजूदा विमान अधिनियम (Aircraft Act) सरकार को अधिकार देता है कि असाधारण परिस्थितियों में एयरलाइन द्वारा ज्यादा कीमतें वसूलने की स्थिति में हस्तक्षेप किया जा सके। नायडू ने इसके उदाहरण भी दिए। कोविड संकट, महाकुंभ और पहलगाम आतंकी हमले के दौरान जब मांग असामान्य रूप से बढ़ी, सरकार ने विशेष अधिकारों का इस्तेमाल किया और एयरफेयर को नियंत्रित किया। हाल ही में इंडिगो संकट के समय भी ऐसा किया गया। इसके अलावा मंत्री ने 'फेयर से फुर्सत' योजना का उदाहरण दिया, जिसमें सरकार ने 25 रूट्स के लिए किराए तय किए, खासकर उत्तर-पूर्व और दक्षिण भारत के लिए।

डिरेग्युलेशन क्यों जरूरी है?

नायडू ने कहा कि सिर्फ कीमतें नियंत्रित करना पर्याप्त नहीं है। सरकार को पूरे एविएशन इकोसिस्टम, एयरलाइन, एयरपोर्ट्स और ऑपरेशनल नेटवर्क को ध्यान में रखना होता है। डिरेग्युलेटेड मार्केट लंबी अवधि में सेक्टर को मजबूत बनाता है और नए खिलाड़ी बाजार में प्रवेश कर सकते हैं। मंत्री ने यह भी बताया कि समय के साथ भारत में एयरफेयर वास्तव में सस्ती हुई हैं, अगर मुद्रास्फीति (Inflation) के हिसाब से देखा जाए। उन्होंने कहा, 'भारतीय एयरफेयर की तुलना अन्य देशों से करें तो बढ़ोतरी दर वास्तव में नकारात्मक है। वास्तविक रूप में, CPI के हिसाब से भारत में कीमतें 43% कम हुई हैं। अमेरिका में यह 23%, चीन में 34% है।'

 

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